गरियाबंद का सरकारी अस्पताल समझो हो गया बिमार।

श्री गुरु ग्लोबल न्यूज गरियाबंद:-,, हॉस्पिटल का उद्घाटन का संदेश जो भी हो भारत सरकार के प्रधानमंत्री भारत सरकार के बीएसएनल का हालत खराब रहते हुए भी निजी जिओ 5G का खुद उद्घाटन किए हैं यह भी देश में गलत मैसेज गया है, उनके पार्टी और संगठन का निजीकरण को बढ़ावा देने का मेनिफेस्टो बन ही गया है तो इसमें कौन सी बड़ी बात है,, अब जनता को ही निर्णय लेना,है,,निजी स्कूल या निजी अस्पताल कोई भी जन प्रतिनिधि,,चाहे मेंबर ऑफ असेंबली हो या पूर्व विधायक हो चाहे नगरपालिका निगम का अध्यक्ष हो,,, आम जनता के चुने हुए जनप्रतिनिधि हैं,, यह जानते हुए भी आपके क्षेत्र में लाखों परिवार ऐसे हैं जो ₹1 चावल,में राशन लेकर के जीवन यापन कर रहे हैं आपके योजना से,,, क्या ऐसे परिवार ,रहिया मेमोरियल हॉस्पिटल गरियाबंद, निजी अस्पताल में अपना इलाज करा पाएंगे यह पहले जनप्रतिनिधि को सोचना चाहिए उसके शुभारंभ से पहले, जनप्रतिनिधि जवाब देंगे गरीबों का इलाज आयुष्मान कार्ड से प्राइवेट में भी होगा मतलब लोचा तो इसी में है,, बीमारी तो इसी में है सरकारी में नहीं होगा सरकारी में नहीं कर सकते प्राइवेट में कर सकते हैं,, यानी सरकारी पैसा निजी, हाथों में जाएगा,, जनप्रतिनिधि जनता के चुने हुए नेता,ऐसे निजी अस्पताल और स्कूल से उद्घाटन कार्यक्रम,दूरी बनाना चाहिए,, और बिंदु के बाद इसमें एक और है जो निजी अस्पताल ने शुभारंभ के लिए जिन व्यक्तियों का नाम है उसमें केवल,रूलिंग पार्टी,से, जुड़े हुए व्यक्तियों के नाम है अपोजिशन का एक भी, नहीं सवाल इसलिए उठ रहा है, ऐसे लग रहा है कि यह बीजेपी का,,अस्पताल है,, राज्य और केंद्र में भाजपा का सरकार,है,,, और मीडिया का काम ही है, जनहित मुद्दों पर सवाल उठाना,, क्योंकि मीडिया लोकतंत्र, चौथा स्तंभ है,,,,,गुरु ग्लोबल न्यूज का विचार है,, चाहे आप रूलिंग पार्टी के हो या अपोजिशन के हो,,, क्योंकि आपकी सरकार पर जवाबदारी है जनता पर जवाबदारी है,, क्योंकि सरकारी अस्पताल आपके मार्गदर्शन पर चल रहा है अगर सरकारी अस्पताल में किसी भी प्रकार का आपके जनता को दिक्कत होता है तो सवाल आप पर ही उठेगा,,, यदि सरकारी अस्पताल से मरीज आपके निजी अस्पताल में रेफर होंगे तो सवाल आपके ऊपर,उठेगा,, अगर सरकारी अस्पताल गरियाबंद में एक्स-रे सोनोग्राफी सीटी स्कैन,MRI अगर नहीं होगा,, किसी का दांत टूट गया है तो उसका इलाज नहीं होगा सर्जरी नहीं होगा तो सवाल उद्घाटन करने वाले जनप्रतिनिधि पर उठेगा,,, अगर किसी जनता का आपके क्षेत्र के जनता का सरकारी अस्पताल के लापरवाही से मृत्यु हो जाता है तो इसका जवाबदारी आप पर ही उठेगा,,,, आपके जनता का इलाज के लिए घर मकान जमीन बिक जाएगा तो सवाल आप पर ही,उठेगा,, क्योंकि उसे अस्पताल का उद्घाटन आपने,किया है,,, खैर निजीकरण क्षेत्र को बढ़ावा देने में कांग्रेस का भी हाथ है 1992 में उसे समय के वित्त मंत्री मनमोहन सिंह ने निजी क्षेत्र को बढ़ावा दिया था राष्ट्रीय उदारीकरण नीति में ताकि रोजगार मिल सके खैर उसे समय के लिए रोजगार के लिए अच्छा है लेकिन निजी क्षेत्र के साथ-साथ सार्वजनिक क्षेत्र को भी लेवल बनाकर रखना चाहिए,,, अगर सरकारी सार्वजनिक क्षेत्र नहीं रहेंगे तो निजी क्षेत्र,, जनता से आर्थिक शोषण, शुरू कर देंगे क्योंकि आपके पास विकल्प ही तो नहीं है,।

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