श्री गुरु ग्लोबल न्यूज गरियाबंद:-गरियाबंद जिला अब हाथी प्रभावित क्षेत्र हो गया है,, भले ही शासन और प्रशासन की ओर से गरियाबंद जिला को हाथी विचरण क्षेत्र घोषित नहीं हुआ है,। आज से पहले गरियाबंद जिला हाथी प्रभावित क्षेत्र से दूर था,,। अब आए दिन कभी ना कभी यह सूचना मिलते ही रहता है हाथी आ गया है सावधान रहे,, गरियाबंद जिला में कई मामले जनहानि के भी आ चुके हैं,, मकान छति या फसल छति के भी कई मामले आ चुके हैं। वन विभाग के कर्मचारियों का भी उनके ड्यूटी क्षेत्र से अधिक ड्यूटी करना पड़ता है, उनके टाइम टेबल का कोई ठिकाना नहीं दिन रात ड्यूटी लगा रहता है,, वन विभाग के कर्मचारी भी परेशान है और आम किसान और आम जनता को भी दिक्कत का सामना करना पड़ता है। साथ ही बिजली विभाग को भी लाइन बंद करना और कई प्रकार के कठिनाई से गुजरना पड़ता है,। हाथी को भी बिजली से सुरक्षा देना पड़ता है। और बिजली बंद करने के कारण आम पब्लिक को दिक्कत का सामना करना पड़ता है। महासमुंद जिला से पहले महासमुंद जिला भी हाथी प्रभावित नहीं था आज से कई सालों का देखे तो पहले केवल सरगुजा और कोरबा क्षेत्र में हाथी था,, अब गरियाबंद और धमतरी जिला भी हो गया है, कई न्यूज़ रिपोर्टिंग देखें तो हाथी के बारे में जानकारी मिलता है कि हाथी को आया नहीं बल्कि जबरदस्ती लाया गया है। छत्तीसगढ़ में असम से हाथी को लाया गया है और यहां के जंगलों में छोड़ा गया है। अब सवाल उठता है असम से छत्तीसगढ़ हाथी कौन लाया किसने लाया क्यों लाया,।?????? यह तो जिसने छत्तीसगढ़ में हाथी को लाया वही बता सकता है,, अब यह सवाल उठता है पहले छत्तीसगढ़ में कितने हाथी थे अब कितने हो गए हैं,। आने वाला समय में और कितने हो सकते हैं अगर और बढ़ेंगे तो और प्रभावित होंगे जीना हराम रहेगा आम पब्लिक का,,। हाथी का मस्तिष्क इतना तेज रहता है जिस क्षेत्र में गुजर गया उसे क्षेत्र को कभी भूलता नहीं है। मतलब जिस क्षेत्र में आएगा आ गया तो वह क्षेत्र में फिर आएगा और भी आएगा। आज एक आया है कल अपने झुंड के साथ आएगा। और यह भी है हाथी के साथ अगर दुर्व्यवहार करेंगे उसे चोट पहुंचाने की कोशिश करेंगे तो हाथी आक्रामक हो जाता है और भी बहुत नुकसान पहुंचा सकता है,, इसलिए उसे वन विभाग के कर्मचारी आम पब्लिक को दूर ही रखते हैं। हाथी को बनाकर बंकर के पकड़ा जा सकता है,,, अगर हाथी की संख्या एक होगा तो बिल्कुल पकड़ा जा सकता है अधिक होगा, अगर एक को पकड़गें तो बाकी हाथी आक्रामक हो जाएंगे, और यह भी चिंता का विषय है,, और हाथी को पकड़ने में भी बहुत खर्च है। हाथी की गणना जरूरी है की कितनी संख्या में है,। हाथी गर्मी के दिनों में पानी या बांध के आसपास रहते हैं। लेकिन हाथी प्रभावित होने वाला को उचित मुआवजा राशि एवं किसानों को फसल क्षति पर उचित मुआवजा राशि मिलने का एक निश्चित प्रावधान करना चाहिए,। क्योंकि हाथी भी जीव है उसका भी सुरक्षा की जिम्मेदारी है। जीवों और जीने दो,, यही मनुष्य का सिद्धांत है,, वैसे तो जंगल का एक चिड़िया भी मारना गैरकानूनी है वन अधिनियम में,,, चिड़िया मारने वाले शिकारी मार देते हैं और खा,,देते हैं।चोरी चुपके सब चलता है।