न्यू इंडियन पॉलीटिशियन,, राजनीति विशेषज्ञ,:-गोल्डन यादव -,,,, सरकार पॉलिसी से चलती है सरकार ब्यूरोक्रेट चलाती है ब्यूरोक्रेट मतलब अधिकारी और कर्मचारी,,, अधिकारी और कर्मचारी किसी के नहीं होते यानी जिसकी सरकार होती है उसी की तरफ होते हैं, यह तो खैर कांग्रेस के नेताओं को मालूम पहले से है क्योंकि 15 साल वनवास झेलने के बाद, सरकार रिपीट नहीं कर पाए, इस पार्टी को इतना भी मालूम नहीं सरकार तभी रिपीट करती है जब आपका विधायक रिपीट हो जनता उसे रिपीट करें मंत्री रिपीट हो जनता उसे रिपीट करें,, कांग्रेस को तो इतना ओवर कॉन्फिडेंस हो गया था कि जिसको भी टिकट देंगे उनको लग रहा था चुनाव जीत जाएंगे,, लेकिन किसानों ने कांग्रेस का वोट किया है अगर कांग्रेस कर्ज माफी की घोषणा नहीं करती तो परिणाम और भयंकर आता,, छत्तीसगढ़ का चुनाव कैंडिडेट बेस पर हो गई थी पार्टी बेस पर नहीं थी,, जनता कैंडिडेट के हिसाब से भी वोट किये है,, कांग्रेस के वोटर कैंडिडेट बदलने के चक्कर में सरकार ही बदल दिए, कांग्रेस के वोटर को यही लगा सरकार तो कांग्रेस के ही आ रही है लेकिन यहां से कैंडिडेट बदलते हैं चेंज करते हैं, और यही छत्तीसगढ़ के 36 सीटों पर हो गई,, चुनाव से 2 साल पहले सर्वे रिपोर्ट आया था जिसमें कांग्रेस के 30 से 35 विधायकों का सर्वे रिपोर्ट था जिसे लीक किया गया,, और वह परिणाम बिल्कुल सही साबित हुआ, मतलब सर्वे रिपोर्ट सही था लेकिन कांग्रेस के शीर्ष नेताओं को चुनाव में जब नांक कटती है तब इनको एहसास होता है सत्ता जाने का,,,छत्तीसगढ़ में सरकार पलट चुकी है नए मुख्यमंत्री शपथ ले लिए हैं,,,,, जो मुख्यमंत्री थे भूपेश बघेल अब वह पूर्व मुख्यमंत्री हो गए हैं,,,,।छत्तीसगढ़ का सिस्टम और बागडोर उनके हाथों से निकल गया है,,,।, जो मुख्यमंत्री के साथ ताम- झांम चलता था,,,,, ओ नए मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के पीछे चलेगी,,,,,। लेकिन अब 2024 अप्रैल में में लोकसभा चुनाव होना तय है लेकिन बीजेपी पॉलिसी में कोई कमजोरी करने वाली नहीं है बीजेपी वही जोश के साथ चुनाव फिर लड़ेगी और कोई गलती कांग्रेस की तरह नहीं करेगी,, जितने भी वोटर हैं जो बीजेपी के वोट किए हैं उसे लोकसभा चुनाव तक अपने साथ रखने का प्रयास करेगी और बीजेपी रणनीति में सबसे राजनीति में सबसे बड़ा खिलाड़ी है, यह पार्टी छत्तीसगढ़ के 11 की 11 लोकसभा सीटें जीतने की प्रयास करेगी,,,, चुनाव हारने के बाद देश के तीन राज्यों में हिंदी भाषी राज्यों में कांग्रेस के कार्यकर्ता और जो लीडरशिप है उनका मनोबल टूट गया है,,, भले ही कांग्रेस की पीएससी प्रमुख प्रभारी,, गांधी परिवार की सबसे खास,, कुमारी शैलजा बोले कि कांग्रेस हार से हताश नहीं होती,,,, कांग्रेस के सरकार जाने के बाद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की पैरों के नीचे जमीन चली गई है और उनको बहुत चीजों का आने वाला समय में दिक्कत है,,, क्योंकि उनके मंत्री एवं कई नेता उनके ऊपर आरोप लगाए हैं की पार्टी और सरकार केंद्रीय कारण हो गया था पूरा सिस्टम भूपेश बघेल के हाथों में था,, बाकी पूरा बस मंत्री और विधायक बस चेहरा थे काम पूरा भूपेश बघेल अपने हाथों में रखे थे,, एक दूसरे के विरोध में सत्ता के स्वार्थ में कांग्रेस पार्टी को बहुत नुकसान हुआ है,, इंडिया गठबंधन में भी कांग्रेस को अब बैक फुट में आना पड़ रहा है अब इंडिया गठबंधन का नेस्ट मीटिंग होने वाली है।,, भारत जोड़ो यात्रा में मजबूत हुई कांग्रेस फिर कमजोर हो चुकी है क्योंकि इसको केवल कांग्रेस के नेता नहीं कमजोर किया है जैसे मध्य प्रदेश में पूर्व मुख्यमंत्री,कमलनाथ , समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री,अखिलेश यादव के ऊपर उल्टा सीधा बयान दिए,, दिग्विजय सिंह टिकट में रोल रहा,, कांग्रेस मध्य प्रदेश में बुरी तरीका से हार गई,राजस्थान में सचिन पायलट और अशोक गहलोत के बीच आपसी झंझट में पार्टी वहां से निपट गई,, दिल्ली के कांग्रेस के शीर्ष नेता,, फिर पार्टी को संगठन को संभालना मुश्किल हो रहा है,, पार्टी और संगठन अब नियंत्रण से बाहर है, और कांग्रेस पार्टी की यही कमजोरी है सरकार में रहे फिर भी फैसला लेने में बहुत कमजोरी करती है और इसी का नुकसान हुआ और देरी भी करती है,, कांग्रेस नवजोत सिंह सिद्धू और कैप्टन अरविंदर, के बीच आपसी झंझट से पंजाब हार गई फिर भी कांग्रेस अभी तक नहीं सुधरी,। इसीलिए तो कहावत है अब पछतावा हो गया जब चिड़िया चुग गई खेत,,,,। कांग्रेस को अपने सलाहकार बदल देना चाहिए या फिर नए सलाहकार रख लेना चाहिए यही श्री गुरु ग्लोबल न्यूज की सलाह है।