राजनीति विशेषज्ञ गोल्डन यादव:-पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं छत्तीसगढ़ के पीसीसी प्रभारी रही कुमारी शैलजा,, जो अभी हरियाणा जो लोकसभा चुनाव के बाद चुनाव विधानसभा चुनाव हरियाणा में होगी वहां मुख्यमंत्री की प्रबल दावेदार है,,,,_एक बार छत्तीसगढ़ के महिला कांग्रेस के संबोधन करते हुए उनका हमने वीडियो और बयान देखा था,,, उन्होंने कहा था एक हार से हताश नहीं होते,, जब मैं पहली बार हरियाणा में चुनाव लड़ी तो चुनाव हार गई थी,,, फिर मैंने खूब संघर्ष किया उसे समय मेरे पास जिप्सी थी खुद जिप्सी चलती थी और खुद पब्लिक के पास जाती थी और दूसरा बार चुनाव में जीत गई,,,,,,फिर हमने उसे सोशल मीडिया में टिप्पणी किया उसे समय कांग्रेस था और विपक्ष मे, या रूलिंग पार्टी,, शायद ओम प्रकाश चौटाला थे,, उस समय केवल जनता के पास विकल्प में केवल कांग्रेस था इसलिए जीत मिल गया,,,,_राजनीति में पॉलिटिशियन को इतना भी ध्यान नहीं होता सरकार तभी रिपीट करती है जब आपका विधायक रिपीट हो मंत्री रिपीट हो पर छत्तीसगढ़ में ऐसा नहीं हो पाया टिकट वितरण में बहुत गड़बड़ी हुई उसमें कुमारी शैलजा का बहुत बड़ा हाथ था,,,,यानी कांग्रेस के बड़े नेताओं का खुद यहां की सरकार को निपटने में कारगर साबित हुई,, ऐसी राजनीति में कई कारण होते हैं उसमें से एक कारण यही है क्योंकि कई सीटों पर कुछ वोट परसेंट से हार हुई है,,,,कांग्रेस ने यहां उदयपुर किए गए चिंतन शिविर के नियम को लागू नहीं किया गया,, कई परिवारवादी नेताओं को टिकट दिया गया जिसको राजनीति विरासत में मिला है उसकी टिकट दिया गया,, वैसा ही है जैसे जनता के पास विकल्प नहीं होता है तो विरासत वाले नेताओं चुनाव जीत जाते हैं,, क्योंकि लोकतंत्र अब पैसातंत्र बन चुकी है,,, लेकिन काबिले तारीफ तो बीजेपी का है किसी को भी टिकट देकर के विधायक सांसद बनवा देते हैं,,कांग्रेस के टिकट वितरण में भी काफी देरी हुई,, और कांग्रेस फैसला लेने में भी बहुत देरी किया,, प्रचार नहीं कर पाए,, कांग्रेस में कई भीतरघात और अंतर कल से हार हुई,,, लेकिन सबसे बड़ा कारण टिकट वितरण में रहा कई मंत्रियों का एवं कई पीढ़ी दर वाले नेताओं का टिकट काटने पर चुनाव जीत की संभावना बिल्कुल थी और उन्होंने मनोवैज्ञानिक तौर पर कांग्रेस के कार्यकर्ता रिचार्ज हो जाते पर यह नहीं हो पाया,।,, बस ब्लॉक अध्यक्ष एवं जिला अध्यक्ष के पास नाम मंगाया गया और टिकट खुद बैठे-बैठे तय किये,,, कई पॉलिटिकल विशेषज्ञों की राय को इग्नोर किया गया,, कांग्रेस के छत्तीसगढ़ में टिकट वितरण में बहुत मनमानी हुई,,,।