पॉलिटिकल रिपोर्टर गोल्डन यादव :-पावर डिपार्टमेंट यानी छत्तीसगढ़ का ऊर्जा विभाग खुद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल अपने पास रखे थे,,, पावर आंखों से दिखाई नहीं देती पावर को देखने के लिए करंट को देखने के लिए वोल्टमीटर एंपियर मीटर की आवश्यकता होती है,,,, फेस है या न्यूट्रल है,,, उसे लाइन टेस्टर से देखा जाता है,,,,, लेकिन मुख्यमंत्री भूपेश बघेल राजनीतिक भाषा से देखें तो पब्लिक के अंदर कितना अंदर करंट था,,,, उसे भांपने में फेल हो गए,,,,,, भूपेश बघेल सरकार के खिलाफ छत्तीसगढ़ में कोई एंट्रीइनकम्बेसीं नहीं था,,, उनके विधायकों एवं मंत्रियों पर था,,,,, 2 साल पहले के सर्वे रिपोर्ट में लगभग जो सर्वे रिपोर्ट सार्वजनिक हो गई थी,,, उसमें लगभग 30 से 35 विधायकों का नाम था,, उसे सर्वे रिपोर्ट का भूपेश बघेल,, या कांग्रेस पार्टी में जो टिकट वितरण करने वाले जो शीर्ष नेता थे बिल्कुल खारिज कर दिए,,,, जिनका टिकट चुनाव में पार्टी को काटना था उसका नहीं काटा गया,,, जिनका नहीं काटना था उसका कट गया,,,, जैसे उदाहरण के लिए बृहस्पति सिंह,,, रामानुजगंज के पूर्व विधायक सरगुजा,, सरगुजा में कांग्रेस की करारी हार हुई है,,,,,,, बृहस्पति से कांग्रेस के जमीन से उठे हुए नेता है बृहस्पति सिंह को राजनीति विरासत में नहीं मिली थी उनका टिकट काटा गया,,,, पार्टी आपसे झंझट में,,, छत्तीसगढ़ में सरकार गंवा बैठी,,,,, सरकार का फिर वापस सत्ता में नहीं आना कई चीजों को प्रभावित करती है,,,,, और कांग्रेस पार्टी वोट परसेंट 2018 के मुकाबले के हिसाब से अपना हर अभी भी मानने को तैयार नहीं है यह कह रही है थोड़ा बहुत अंतर है,,,,, कांग्रेस जब सत्ता में थी मुख्यमंत्री बनने के लिए कांग्रेस में गुटबाजी सामने आई थी अब सरकार हारने के बाद हार की जिम्मेदारी लेने में भी गुटबाजी दिखाई दे रही है,,, आने वाला समय में कांग्रेस की समीक्षा बैठक में जिन नेताओं के ऊपर टिकट वितरण में बड़ा रोल था वह कांग्रेस पार्टी का हार का जिम्मेदारी ले करके कांग्रेस के जमीनी कार्यकर्ता, को मनोबल का बढ़ाने का काम करने की कोशिश होती है या नहीं होती है यह देखने लायक होगी,,,,, अब लोकसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी के लिए बड़ी चुनौती सामने आ चुकी है,,,,,,