मीडिया के लिए शिक्षाप्रद कहानी!!

एक आदमी था। वो लंबी लंबी हांकने का बड़ा शौक़ीन था। जब भी कोई कहानी सुनाता तो उसे बढ़ा चढ़ाकर ऐसा बना देता कि अक़लमंद तो क्या जाहिलों, मूर्खों को भी उसकी बातों पर यकीन न होता। एक दिन उसके एक शुभचिंतक ने समझाया कि यार अपने हाथ हल्के रखना चाहिए। इतनी लंबी हांकते हो कि मूर्खों को भी तुम्हारी बातों पे शक होने लगता है। लोग हँसते हैं। तुम्हारा मज़ाक उड़ाते हैं। अब सम्भल जाओ ।उस आदमी ने कहा… ठीक हैं। अगली बार जब मैं कोई कहानी या क़िस्सा शुरू करूँ और तुम्हें लगे कि लंबी हांक रहा हूँ तो बस थोड़ी सी खांस लेना। मैं समझ जाऊँगा ।उसके शुभचिंतक ने कहा…..ठीक है ।एक दिन वो आदमी दोस्तों की महफ़िल में बैठे एक क़िस्सा सुनाने लगा कि मैं एक बार किसी भयानक जंगल में जा रहा था। तभी अचानक मैंने देखा कि वहां एक बहुत बड़ा सांप था। मुझे लगता है कि सांप लगभग 140 फीट लंबा होगा । उसका हितैषी उसके इस बात पर थोड़ा खांसा। वह आदमी कुछ हडबडाया लेकिन उसने कहना जारी रखा…. मैंने सोचा कि इतना बड़ा कोई सांप नहीं हो सकता, मैंने सोचा चलो क़रीब जाकर देखना चाहिए , तो मैं क़रीब गया और देखा, अनुमान लगाया कि कोई लगभग वो 110 फीट का होगा । उसका दोस्त फिर से खांसा। उस आदमी ने नाराज़गी से उसे देखा और कहानी जारी रखी कि 110 फीट बहुत ज्यादा है। मैंने सोचा कि केवल सांप को मारकर ही वास्तविक लंबाई का पता लग सकता है।जब मैंने सांप को मारा और मुर्दे को क़रीब से देखा तो ख्याल आया कि 90 फीट कहीं नहीं गया। दोस्त उसकी बात पर फिर जोर जोर से खांस रहा था।अब उस आदमी ने बेचैनी से करवटें बदल लीं और कहा, “अरे दोस्तों! ” बात को परखने के लिए ज़रूरी था कि मैं इसकी लंबाई नापता। मरा सांप मेरे सामने था। मैंने अपने अनुमान की सच्चाई को परखने के लिए जब नापा तो वो पूरे 70 फीट का निकला। उसका दोस्त इस पर फ़िर से जोर जोर से खांसने लगा। तो उस आदमी ने पलटकर कहा….”अबे यार, अब क्या फायदा… अब तो नाप लिया गया है , तू अब अगर खांसते खांसते मर भी जाए तो भी सांप की लंबाई कम नहीं होगी । “

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