पॉलीटिकल एनालिसिस श्री गुरु ग्लोबल न्यूज गोल्डन कुमार:-अब तक छत्तीसगढ़ में जितने भी चुनाव देखें तो सत्ता का मुख्य केंद्र बस्तर ही रहा है, बस्तर क्षेत्र हमेशा एक तरफा मतदान करती है,, इसी को देखते हुए राजनीति के मुख्य विचार करने वाले जो पार्टी में लोग हैं बस्तर को अधिक फोकस कर रहे हैं,, एवं आम आदमी पार्टी के संयोजक बस्तर में जगदलपुर जैसे क्षेत्र में बहुत बड़े कार्यक्रम करने वाले हैं, एवं आदिवासी किसानों के लिए वहां से गारंटी पत्र का दसवां एवं अंतिम गारंटी पत्र वही जारी करेंगे, अन्य राज्यों में आम आदमी पार्टी मुख्यमंत्री कैंडिडेट सीधे घोषणा करती है ऐसी संभावना लगाया जा रहा है कि आम आदमी पार्टी बस्तर क्षेत्र से ही मुख्यमंत्री कैंडिडेट घोषणा कर सकती है वह भी आदिवासी समाज से,, भाजपा एवं कांग्रेस भी बस्तर की तरफ फोकस कर रहे हैं, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह भी परिवर्तन यात्रा बस्तर से शुरू करने वाले थे परंतु बारिश तेज बारिश के कारण वह उनका कार्यक्रम स्थगित हो गया अन्य पार्टी के सदस्य वहां से पहुंचे थे, उससे पहले प्रियंका गांधी भी कांग्रेस के नेता वहां कार्यक्रम कर चुकी है, एवं बस्तर क्षेत्र से ही कांग्रेस पार्टी प्रदेश अध्यक्ष पीसीसी के प्रमुख दीपक बैज सांसद वहीं से हैं, बस्तर में अधिकतर आदिवासी समाज की बहुलता है, और वहां से आदिवासी समाज अपना प्रत्याशी उतारने की तैयारी में है, उसी को देखते हुए अब आदिवासी चेहरा को सामने लाने में राजनीतिक फायदा दिखाई दे रही है ताकि जो वोट आदिवासी समाज की तरफ रुझान करें उसे रोका जा सके, एवं अपने और परिवर्तित हो कर सके, एवं आदिवासी समाज के बीच लोकल मुद्दों पर चुनाव को फोकस करें, आम आदमी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष कोमल हुपेंडी भानु प्रतापपुर क्षेत्र से, उम्मीदवार घोषित हो गये है,, इस बार भानु प्रतापपुर में त्रिकोणीय मुकाबला होने की उम्मीद है, वोट परसेंट के हिसाब से बस्तर के क्षेत्र में कभी बीजेपी को कभी कांग्रेस को अच्छी सफलता मिली है, अगर वोट परसेंट इधर-उधर बस्तर की फर्क पड़ती है तो उलट फेर होने की बिल्कुल संभावना दिखाई दे रही है, राजनीति में कुछ कहा नहीं जा सकता कई उलट फेर इतिहास में हुए हैं अच्छे-अच्छे सरकार भी कुछ छोटे-छोटे कारण के कारण सरकार में पुनः रिपीट नहीं हो पाए हैं, पार्टी के लिए टिकट वितरण मुख्य कड़ी होती है, किसको प्रत्याशी बनने पर पार्टी को सफलता मिल सकती है, यह चयन करना बड़ा मुश्किल कार्य होता है क्योंकि कोई अपना कुर्सी छोड़ने नहीं चाहता और कोई किसी को कुर्सी देना नहीं चाहता, सब अपने आप को महत्वाकांक्षी समझते हैं, उम्मीदवार चयन करना पार्टी के लिए बहुत बड़ा कठिन कार्य होता है,
किसी को राजनीति का पॉलिटिक्स का चाणक्य है बोल देने से चाणक्य नहीं होता यहां शेर होता है शेर को भी सवा शेर मिलता है,,, असली चाणक्य वही होता है जो जनता का मनोविज्ञान एवं राजनीतिक पार्टियों का रुझान पहले से ही समझ सके,
बस बस्तर क्षेत्र में, भारतीय जनता पार्टी पर यही धब्बा लगा विश्व आदिवासी जयंती के दिन आदिवासी समाज के नेता को प्रदेश अध्यक्ष पद से हटाया गया और दूसरे को बनाया गया पर बस्तर की जनता क्या सोचती है इस मुद्दे पर चुनाव परिणाम के बाद ही सामने आएंगे,, आदिवासी का पूरे छत्तीसगढ़ में प्रभावित करने वाला वोट होता है किसके तरफ अधिक प्रभावित करती है वह देखने लायक होगी,