राजनीति विशेषज्ञ गोल्डन कुमार की रिपोर्ट:-भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के उदयपुर में हुए चिंतन शिविर में लिए गए फैसले एवं कांग्रेस पार्टी के नियम में संशोधन करने के फैसले अब धीरे-धीरे अमल हो रहे हैं,, एवं छत्तीसगढ़ के राजधानी रायपुर में हुए राष्ट्रीय महा अधिवेशन में हुए फैसले अब धीरे-धीरे लागू हो रहे हैं, महिला कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष फूलों देवी नेताम के इस्तीफा से यह स्पष्ट हो चुका है, पार्टी अब बनाए गए नियम नीति पर चलेगी यह आने वाला इलेक्शन के लिए अच्छे संकेत हैं, मुख्य रूप से संशोधन हुए नियम में एक आदमी संगठन और संविधानिक पद पर यानी दोनों पद पर नहीं रहेंगे अन्य को मौका दिया जाएगा,, अब सवाल उठता है क्या पार्टी अब यही नीति आने वाला टिकट वितरण में करेगी,, उदयपुर शिविर में नियम हो चुका है, जिसको पार्टी मौका दे चुकी है जिसको सांसद विधायक पार्टी बना चुकी है, पार्टी के लिए समर्पित नए कार्यकर्ताओं को मौका दिया जाएगा, क्या ऐसा ही आने वाला समय में विधान सभा सांसद एवं जिला एवं विकासखंड स्तर पर लागू होगा? भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस आजादी के आंदोलन से शुरू हुई पार्टी है, देश की सबसे बड़ी पुरानी पार्टी है, देश में धीरे-धीरे अपना जनाधार कई राज्यों में खो रही थी, कांग्रेस की नई पीढ़ी तैयार करने के लिए यह फैसला जरूरी है,, क्योंकि विपक्ष कांग्रेस पर परिवारवाद के आरोप लगाती है,, लेकिन अब ऐसा लगता है अब वह पुरानी कांग्रेस नहीं है न्यू कांग्रेस है, राष्ट्रीय अध्यक्ष भी अब गांधी परिवार से अलग बन गए हैं (दलित )मल्लिका अर्जुन खड़के को बनाया गया है, पार्टी दलित ओबीसी आदिवासी एवं महिला सामान्य सभी को बराबर, संगठन एवं संवैधानिक पद पर अलग-अलग हर क्षेत्र में मौका देगी, यह कांग्रेस के लिए अच्छे संकेत हैं आने वाला लोकसभा एवं विधानसभा चुनाव के लिए।
एक बात और है कांग्रेस पार्टी फैसला लेने में बहुत देरी करती है, खैर अब सचिन पायलट राजस्थान सीएम गहलोत के बीच अंतर कलह को दूर कर चुकी है, और मध्य प्रदेश में किसी भी प्रकार का कोई विरोध नहीं है, और छत्तीसगढ़ में भी कई बदलाव हो चुके हैं, टिकट वितरण में भी बदलाव होने के संकेत मिल रहे हैं, कांग्रेस के कर्नाटक चुनाव में चुनाव जीते ही मनोबल अच्छा है इसका फायदा उठाना चाहती है, आने वाले चुनाव में कांग्रेस नई रणनीति के साथ मैदान में उतरेगी यह तय है, ऐसी संभावना भी लग रही है।