राजनीति विशेषज्ञ : golden Kumar, 5 जुलाई को अमित शाह का दौरा एवं संगठन के बीच बैठक हो चुकी है अब 7 जुलाई को भारत के प्रधानमंत्री 4 साल बाद छत्तीसगढ़ आ रहे हैं,। छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की मजबूत सरकार है, जितने भी उपचुनाव हुए है कांग्रेस जीती है,। 15 साल के बाद भाजपा के शासन के बाद कांग्रेस सत्ता में लौटी है, पिछले 15 साल के जितने भी इलेक्शन हुए हैं कांग्रेस को वोट परसेंट ओसत 39 से 40 परसेंट के आसपास रहा है, मतलब कांग्रेस के वोट परसेंट में कोई गिरावट नहीं हुआ सीटें केवल 10 सीट के आसपास सत्ता के पहुंच से दूर हो जाती थी, चाहे 2018 के चुनाव का अजीत जोगी वोट काटने के लिए खड़े हो गए और एवं 2004-5 में विद्या चरण शुक्ला जो राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी से चुनाव लड़े थे फिर भी उनका वोट परसेंट 7 परसेंट रहा जिसमें 5 परसेंट वोट कांग्रेस के ही था, इसी कारण कांग्रेस सत्ता से उस समय दूर हो गए थी, सबसे पहला कारण यह है कि केवल कांग्रेस के 5 साल बनाम बीजेपी के 15 साल के बीच मुकाबला है, छत्तीसगढ़ की जनता इतनी आसानी से मूड नहीं बदलती, भारतीय जनता पार्टी जितना भी घोषणा कर ले जनता भरोसा करने वाली नहीं लग रही है, क्योंकि 2013 के विधानसभा चुनाव में एवं जितने भी भाजपा ने घोषणा किए थे उन्हें कई चीजें कमियां भी रही थी, जैसे किसानों धान का बोनस एवं धान का समर्थन मूल्य की 21सौ,₹ करने का कहा गया था वह नहीं कर पाई और इसी कारण 2018 के चुनाव में भाजपा करारी हार का सामना करना पड़ा,। उससे अपेक्षा कांग्रेस ने धान का भाव पूरे भारत में सबसे ज्यादा 2500 का वादा पूरा कर चुकी है एवं किसानों का कर्जा माफ करके किसानों का भरोसा जीत चुकी है, और कांग्रेस भूपेश है तो भरोसा है और यकीन है और यकीन भी है उस मुद्दे से इसी मुद्दे को चुनाव लड़ेगी,। सबसे पहले भाजपा की हार किस लिए हुई थी इसको देखते हैं भाजपा को जो वोट करने वाले जो किसान थे वह भाजपा को 2018 के चुनाव में वोट नहीं किए थे उनसे जुड़े हुए कार्यकर्ता एवं भाजपा से जुड़े हुए लोग भी वोट बीजेपी को नहीं किए थे, भाजपा का कोई प्रदेश स्तर का मजबूत नेता नहीं है, इनके पास कोई चेहरा नहीं है, मनोवैज्ञानिक ढंग से कांग्रेस मजबूत दिखाई दे रही है क्योंकि कुछ चीजों की कमियां केंद्र सरकार पर भी जनता को समझ आ रही है।

कर्नाटक चुनाव में करारी हार भाजपा के, कार्यकर्ताओं को मनोवैज्ञानिक ढंग से रिचार्ज करने की आवश्यकता है फिलहाल भाजपा में ऐसे नेता नहीं है जो रिचार्ज कर पाएंगे,। प्रधानमंत्री जी नरेंद्र मोदी भोपाल में पूरे देश भर के भाजपा कार्यकर्ताओं को रिचार्ज करने की कोशिश की पर सफल होना फिलहाल मुश्किल है, क्योंकि भाजपा 9 साल शासन कर चुकी है और कई चीजें में महंगाई एवं बेरोजगारी एवं कई मुद्दों पर भाजपा बैकफुट पर है, प्राइवेट नेटवर्क जिओ की बात करते हैं लेकिन सार्वजनिक उपकरण बीएसएनएल का हालत खराब है, प्रधानमंत्री मोदी डाटा सस्ता किए करके बात करते हैं लेकिन आटा कितना महंगा है यह जनता जान चुकी है, एवं कांग्रेस पार्टी ₹500 में सिलेंडर का घोषणा करके चुनाव जीती हिमाचल प्रदेश में, और भाजपा ₹500 सिलेंडर कर ही नहीं सकती क्योंकि केंद्र में उनका सरकार है पूरे देश भर में करना पड़ जाएगा, धान का समर्थन मूल्य पर ही नहीं सकती क्योंकि उत्तर प्रदेश के किसान व्यापारियों के पास 12 _13 सौ रुपए प्रति क्विंटल में धान बेचने पर मजबूर है जबकि सरकार में उत्तर प्रदेश में है देशभर के कई राज्यों में छत्तीसगढ़ जैसा धान का मूल्य मिले ऐसा डिमांड होने लग गया है, और केंद्र में लगातार इंदिरा गांधी के कार्यकाल देखें तो कोई भी सरकार लगातार 10 साल से अधिक शासन में नहीं रही है। क्योंकि लोकतंत्र है जो सत्ता जनता चुनती है सत्ता बाहर करना भी जानती है,
छत्तीसगढ़ में BJP वोट में सेंध लगाएगी आप!
एंटी इनकंबेंसी वोट रहता है मतलब नाराज वोट चाहे पंचायत के चुनाव देख लो दोबारा वही प्रत्याशी खड़ा होता है तो पहले जीत के अपेक्षा उनको कुछ न कुछ परिणाम अलग रहता है, ठीक वैसा ही लोकसभा एवं विधानसभा में ही रहता है जो दोनों को पसंद नहीं करते, अन्य विकल्प तलाश करते हैं, वैसे मैं आम आदमी पार्टी राष्ट्रीय पार्टी बन चुकी है और सत्ता में यहां कांग्रेस है और विपक्ष के वोटों में सेंध लगना यानी बंटवारा होना दिखाई दे रहा है और अधिकतर भाजपा के वोटों में सेंधमारी लगने की स्थिति हो सकती है।

अब देखने लायक यही होगी आने वाले इलेक्शन में भाजपा के शीर्ष नेता एवं अपने कार्यकर्ताओं को किस प्रकार रिचार्ज करते हैं। कोई भी चुनाव है बॉडी लैंग्वेज एवं मनोवैज्ञानिक ढंग से मजबूत जरूरी है पर भाजपा किसान विरोधी चेहरा होने के कारण फिलहाल छत्तीसगढ़ में कमजोर स्थिति में है जो विपक्ष का काम है ईडी और सीबीआई कर रही है वैसे ही है अब चुनाव नजदीक में यह इसका उपयोग केवल राजनीतिक स्टंट ही हो सकता है अब मुश्किल है। अब जनता जनार्दन को ही फैसला करना है किसके पक्ष में देती है। आने वाले लोकसभा को देखते हुए इसका परिणाम सेमीफाइनल नहीं सीधा फाइनल है जो जीतेगी उसका केंद्र में सरकार फिर बनना तय है।