पद्मश्री के बाद बीजेपी टिकट पुष्कर?

अनुज शर्मा छत्तीसगढ़ी फिल्म के कलाकार बीजेपी ज्वाइन किए हैं मतलब अब स्पष्ट होता है इन को पद्मश्री मिला है कला के कारण, या बीजेपी के एजेंडे पर चलने के कारण, या कोई सरकारी ब्यूरोक्रेसी में काम करने वाला आदमी किसी राजनीतिक पार्टी में ज्वाइन करता है मतलब स्पष्ट होता है कि वह किसी एजेंडे पर चलने वाली उसकी विचारधारा। अब इसमें जनता के बीच क्या संदेश जा रहा है, मतलब कोई अधिकारी कर्मचारी शासन के समय नौकर था वह राजनीतिक एजेंडे पर चलने वाला था, विचारधारा किसी एक पार्टी पर था, कला अपनी जगह है, अपने फैन फॉलोइंग हो सकते हैं लेकिन यहां विचारधारा फैन फॉलोइंग है उनमें अलग-अलग रहती है,। अनुज शर्मा को टिकट मिलना कंफर्म है धरसीवा से या भाटापारा क्षेत्र से,। पिछले दो हजार अट्ठारह में रायपुर के आईएएस रहे वो पी चौधरी भी भाजपा ज्वाइन किए वह मुख्यमंत्री के मुख्य, कैंडिडेट मारे जाते हैं सोशल मीडिया के अनुसार। अनुज शर्मा के जितने फैन फॉलोइंग हैं वह पूरे छत्तीसगढ़ में है और देश में है, अगर जिनको जिस क्षेत्र से टिकट देंगे तो वहीं के लोग ही वोटिंग करेंगे, या जिनके उस क्षेत्र में उसने फैन फैन फॉलोइंग है क्या अनु शर्मा को सब कोई वोट डालेंगे, ऐसा कुछ नहीं है कई फिल्म स्टार चुनाव जीते हैं और कई को हार मिलता है। ऐसे कई उदाहरण है कई फिल्म स्टार चुनाव जीते हैं फिर फिल्म बनाने चले जाते हैं पूरी तरीका से राजनीति में नहीं रहते विधानसभा और लोकसभा की उपस्थिति कम रहती है। क्या ऐसे को अपना विधानसभा सदस्य बनाएंगे। चुनाव में तो सब कहते हैं मैं आपके बीच रहूंगा मौजूद रहूंगा पर चुनाव जीतने के बाद कहां ऐसा होता है। पावर में आने के बाद फिल्म बनाने विदेश चले जाएंगे। सवाल इसलिए उठता है क्योंकि सामाजिक स्थिति में पुरस्कार अच्छे कार्य के लिए मिलता है सभी के लिए अच्छे कार्य के लिए मिलता है, किसी एक पार्टी के एजेंडे में जाना या पुरस्कार का एक प्रकार का अपमान है, या जिसको पुरस्कार देने के बीच उसमें कुछ डील और स्वार्थ स्पष्ट होता है। यह छत्तीसगढ़ के अनुज शर्मा के लिए बिल्कुल ठीक से बैठ रहा है। और एक और लोक गायक जिनको छत्तीसगढ़ में पद्मश्री मिला है उनके लिए भी यही स्पष्ट होता है।

चाहे कोई भी पार्टी राजनीतिक दलों हो भाजपा एवं कांग्रेस या अन्य, आप किसी न्यायपालिका में बैठे हुए को रिटायरमेंट के बाद या वीआरएस लेकर के उसको किसी राजनीतिक पार्टी पर टिकट दे रहे हैं तो जनता के बीच क्या मैसेज जा रहा है यानी काला कोट पहना हुआ न्यायपालिका के बीच बैठा हुआ आदमी किसी एक राजनीतिक एजेंडे पर काम कर रहा था। उस का रुझान किसी एक राजनीतिक पार्टी पर था ना कि जनता पर न्याय पर बिल्कुल नहीं। लेकिन कहते हैं लोकतंत्र है सबका चुनाव लड़ने का अधिकार है चुनाव जनता तय करती है लेकिन नौकरी करना है तो नौकरी करें या फिर नेतागिरी करना है तो नेतागिरी करें, लेकिन आपके ब्यूरोक्रेसी के कार्यकाल पर तो बिल्कुल सवाल उठता है। बीजेपी ऐसी राजनीतिक पार्टी है जो सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज को भी राज्यसभा में भेज दिया। एवं कई ऐसे संवैधानिक पद पर बैठे लोगों को लोकसभा एवं विधानसभा का टिकट दे रहे हैं यह राजनीतिक पार्टियों के लिए एक प्रकार का जनता का संदेश है। लेकिन अच्छे लोग राजनीति में आना चाहिए यह भी दूसरा पक्ष यही है। लेकिन यहां विपक्ष अभी है लेकिन लोकतंत्र के लिए विपक्ष जरूरी है। विपक्ष मजबूत होना चाहिए।

सबसे ज्यादा ब्यूरोक्रेसी अधिकतर बीजेपी ज्वाइन करते हैं, और इस पार्टी में टिकट देने वालों की संख्या सबसे ज्यादा है, क्या सबसे बड़ी पार्टी के पास लोकल लीडर कम है, या लीडर ही नहीं है, जनता के बीच काम करने वाले लोगों लोग ही नहीं है, और इस पार्टी के कार्यकर्ता उनको चुनकर भी भेज देते हैं। यानी सरकारी नौकर बाद में नेता बन जाते हैं। क्या जनता के भावनाओं वास्तविक समस्याओं को जान जाएंगे जो अपने ब्यूरोक्रेसी के कार्यकाल में नहीं कर पाए क्या जनप्रतिनिधि बन कर कर पाएंगे।?????????????????? श्री गुरु ग्लोबल न्यूज़ को क्या मतलब है भाजपा वाले ही जाने उनके कार्यकर्ता ही जाने।

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