किसानों का ऋण पुस्तिका जिसे पट्टा भी कहते हैं जल्द ही सरकार उसे डिजिटल करने वाली है, उदाहरण के लिए जैसे स्मार्ट कार्ड होता है बैंक का एटीएम होता है, वैसे किसानों का कार्ड भी होगा। उसमें किसानों के सारे जानकारी अपलोड होंगे जैसे नक्शा खसरा b1 b2, एवं अन्य जानकारी। उसमें किसानों को पासवर्ड मिलेगा। कार्ड में किसान का फोटो होगा। किसानों के सारे जानकारी उसमें कार्ड में अपलोड रहेंगे उसका नंबर होगा किसानों को जरूरत के समय किसानों का नक्शा खसरा मशीन कंप्यूटर के माध्यम से निकल जाएंगे। एवं न्यायालय में जमानत के समय किसान जमानत भी ले सकेंगे जमानत लेने के समय जो भी जानकारी है पासवर्ड बताते ही प्रमुख विभाग उसमें जानकारी अपलोड करेंगे और इसमें समय पड़ने पर या बैंक कर्ज के समय सारे जानकारी उसमें जोड़े जा सकते हैं और कर्ज मुक्त होने पर उनमें में काटने का भी ऑप्शन रहेगा। किसानों का पट्टा यानी ऋण पुस्तिका डिजिटल करने से किसानों की कई प्रकार की समस्या ऑटोमेटिक समाप्त हो जाएंगे जैसे बैंक कर्जा लेने समय कर्ज नहीं प्रमाण पत्र। शासन एवं प्रशासन को कर्मचारियों में ज्यादा खर्चा होता है उसमें बचत होगी। अब धीरे-धीरे कागज का युग खत्म होगा। मतलब यह इंडिया डिजिटल होगा।
ग्लोबल न्यूज़ के संपादक हैं गोल्डन कुमार, किसान भी हैं और जवान भी, फिर भी कहते हैं मेरा भारत महान, पहले कहते थे पहले नारा यही रहता था जय जवान और जय किसान, अब सबको एहसास हो जाना चाहिए यह कलयुग है कल मतलब मशीन युग मतलब समय है मशीनों का समय, जय जवान मतलब जवानों की जय जय किसान मतलब अनाज उगाने वाले किसानों की जय, लेकिन अब लड़ाई लड़ने के लिए रोबोट काफी है जवानों की जरूरत नहीं है काफी काम अब रोबोट ही करेंगे, इसीलिए कहते हैं यह मशीनों का युग है।
कोई भी चीज मशीन आता है तो दुष्परिणाम भी सामने आते हैं, ऋण पुस्तिका डिजिटल करने से रोजगार कम होगा लेकिन यह समय है, जैसे ट्रैक्टर के आने के बाद बैलों के भाव में कमी आई उनका कीमत घट गया, बैल बेरोजगार हो गए, कल इनसे जुड़े हुए लोगों की रोजगार की संख्या घटेगी, लेकिन बैल और सांड आज पूरे देश में सड़क पर हैं भटक रहे हैं दुर्घटनाएं हो रही है लेकिन परिणाम दुष्परिणाम भी तो सामने आ रहे हैं, देश में ऐसा टेक्निकल रिसर्च होना चाहिए जिसमें केवल गाय का बछड़ा ही पैदा हो बैल अपने हिसाब से कम संख्या से ही हो सकती है, जितना जरूरत है बैल रखेंगे, क्योंकि बैलों का काम अब खत्म है। लेकिन बैल के कार्य में खर्च कम है केवल घास खाता है, लेकिन मशीनों को चलाने के लिए बिजली एवं ऊर्जा की आवश्यकता होती है।