छत्तीसगढ़ के खास आदमी क्या बन जाएंगे आम आदमी?#गुलाबी+पीला+नीला?

जनता कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अमित जोगी का, इन दिनों सोशल मीडिया में एक भावुक लेटर आया है, किसी एक राष्ट्रीय पार्टी में गठबंधन और विलय के संकेत मिल रहे हैं, लेकिन वह पार्टी कौन हो सकती है इसका खुलासा नहीं हुआ है। जनता कांग्रेस अलग से तीसरा मोर्चा भाजपा और कांग्रेस विकल्प के रूप में भी निर्णय ले सकते हैं। अब तक दो हजार तीन 2008 2013 एवं दो हजार अट्ठारह के चुनाव को देखें अलग-अलग क्षेत्रीय दल चुनाव लड़े लेकिन वोट 5 से 12 परसेंट भाजपा और कांग्रेस से बाहर जाता है। जिसमें कन कांग्रेस को 15 साल तक सत्ता से बाहर रहे लेकिन उनका वोट परसेंट 36 से 40 परसेंट बिल्कुल रहा है इसमें कम नहीं हुआ है। भाजपा का भी वोट परसेंट इसी प्रकार रहा है 2018 के चुनाव में एक परसेंट वोटों का अंतर रहा है। जबकि दो हजार अट्ठारह में जनता कांग्रेस के अध्यक्ष अजीत जोगी उस समय जीवित है छत्तीसगढ़ में तीसरा विकल्प के रूप में जनता कांग्रेस चुनाव लड़ रही थी। अब परिस्थितियों को देखें तो आम आदमी पार्टी भी राष्ट्रीय पार्टी बन गई है और 2 जुलाई को बिलासपुर में महारैली है। क्या अमित जोगी आम आदमी पार्टी में आएंगे??? राजनीति में कुछ कहा नहीं जा सकता कब क्या हो जाएगा!

आम आदमी पार्टी का बिलासपुर में 2 जुलाई को महारैली प्रस्तावित हो चुकी है और उस दिन, ऐसी संभावना लग रही है आम आदमी पार्टी सभी पार्टियों से सबसे पहले अपना गारंटी पत्र जारी कर सकती है। आम आदमी पार्टी जबसे राष्ट्रीय पार्टी बनी है वह कांग्रेस और भाजपा हिंदीभाषी राज्यों में काफी मजबूती से चुनाव लड़ने का प्रयास कर रही है। हिंदी भाषी राज्यों में केवल भाजपा और कांग्रेस का गढ़ रहा है। तीसरा विकल्प के रूप में आम आदमी पार्टी हो सकती है। अब तक के चुनाव में आम आदमी पार्टी केवल कांग्रेस को ज्यादा नुकसान पहुंचाई है और कॉन्ग्रेस छत्तीसगढ़ से यहां सरकार में है, मुख्य विपक्ष में भाजपा है। आम आदमी पार्टी किनके वोटों को सेंधमारी करेगी यह चुनाव परिणाम के बाद ही पता चलेगा।

2018 में जनता कांग्रेस बहुजन समाज पार्टी के साथ गठबंधन करके 5 विधानसभा सीट जीती थी और कई सीटों पर दूसरे स्थान पर रही और बहुजन समाज पार्टी को 2 सीटें मिली थी, जनता कांग्रेस बिलासपुर संभाग के कई सीटों पर उनका असर है। खास तौर पर अनुसूचित जाति अनुसूचित जनजाति, शेड्यूल कास्ट,के वोटों पर काफी असर है। बस्तर संभाग के ऐसे वोटों को काफी प्रभावित कर सकती है। बिलासपुर संभाग में शेड्यूल कास्ट वोटों की संख्या काफी अधिक है। ऐसे में तीसरे विकल्प के रूप में दोनों पार्टियों को काफी नुकसान पहुंचा सकती है।

चुनाव से ठीक पहले पार्टी के जो नेता रहते हैं हर राज्य में ऐसा देखने को मिलता है इधर उधर जाते ही हैं, कुछ नेता आचार संहिता लगने के बाद अपना निर्णय लेते हैं, एवं टिकट की आस लगाए हुए नेता टिकट नहीं मिलने से इधर उधर चले जाते हैं, यह एक प्रकार का अवसरवाद है, सब अच्छे मूड के ऊपर है अपना महत्वाकांक्षा के ऊपर रहता है, यह मनुष्य का एक सोच है अपने चाहने वालो वालों को पार्टी ना देती तक तो ऐसा होना स्वाभाविक है यह हमारे साथ भी हो सकता है। किसी के भी साथ हो सकता है, अब जनता को ही ऐसे निर्णय लेना है चुनाव में किसको सत्ता में रखना है और किस को बाहर रखना है।

guruglobal

Learn More →

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *