मनी लॉन्ड्रिंग एवं भ्रष्टाचार का कोई पहला मामला नहीं है इससे पहले भी कई मामले आ चुके हैं। वित्तीय गड़बड़ी के मामले में प्रवर्तन निदेशालय ने छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के डिप्टी सेक्रेटरी सौम्या चौरसिया को गिरफ्तार किया गया है। चाहे कोई भी हो अपराध दो प्रकार के होते हैं एक सोच समझकर अपराध और दूसरा परिस्थिति वश अपराध, भारत के पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय राजीव गांधी ने कहा था दिल्ली से ₹1 निकलता है जनता तक चवन्नी पहुंचती है। समय-समय पर कानून में संशोधन कर भ्रष्टाचार के मामले में कानून बनाया गया है पर अब तक आजादी के 75 साल के बाद भी यह नियंत्रण में नहीं है। भ्रष्टाचार वित्तीय हेर_फेर कानून में संगीन अपराध की श्रेणी में नहीं रखा गया है। सजा का प्रावधान नॉर्मल है। इसलिए भ्रष्टाचार रुक नहीं रहा है। दोषी पाए जाने पर अधिक से अधिक संपत्ति की जब्ती एवं कुछ सजा का प्रावधान है। जबकि इस देश में 60 करोड़ ऐसी आबादी है रोजाना ₹200 की आमदनी में उनकी गुजर-बसर चलती है लाखों परिवार ऐसे हैं जिन गरीबी रेखा से नीचे गुजर रहे हैं। जमीन के कुछ टुकड़े के लिए हत्या एवं चंद पैसों के लिए बड़े संगीन अपराध हो जाते हैं। कुछ पैसों के लिए क्या बेरोजगारी में कोई किसान फसल नुकसान होने पर एवं अन्य वित्तीय कारण से कई लोग आत्महत्या करने पर विवश हो जाते हैं। फिर भी जनता के लाखों पैसे को हेरफेर करने वाला कानून में भ्रष्टाचार कोई संगीन अपराध नहीं है। जिनके हाथों में पूरा सिस्टम है भ्रष्टाचार सोच समझकर करते हैं उनको मालूम है कानून लचीला है, जल्दी सुनवाई नहीं होती, फास्ट ट्रैक कोर्ट नहीं है, मामला लंबा चलता है, जिनको सरकारी सुख सुविधा, महीने में भत्ता और तनख्वाह मिलते हैं, ऐसे पढ़े-लिखे जानकार लोग सोच समझकर भ्रष्टाचार करते हैं। सोच समझकर जानकारी के बाद भी अपराध की श्रेणी में इसको रखना चाहिए इसमें ठोस कड़ा कानून बनाना चाहिए।इसके दोषी देखें तो अब तक कि दोनों भारतीय जनता पार्टी एवं कांग्रेस राष्ट्रीय पार्टियां ही है क्योंकि कानून बनाना माननीय संसद का काम है। पूर्ण बहुमत में अब तक के दोनों पार्टियों की केंद्र में शासन रह चुकी है। संवैधानिक संस्था के दुरुपयोग के आरोप कांग्रेस जब सत्ता में थी तब भी लगते थे आज बीजेपी की है फिर भी राजनीतिक साजिश लगने लग रही है। अगर सही है तो माननीय न्यायालय पर भरोसा करना चाहिए अपनी बेगुनाही साबित करना चाहिए इसमें राजनीति से कोई फायदा नहीं। कहते हैं कि भारत का संविधान कठोर एवं लचीला है ऐसा लगता है जैसे भ्रष्टाचार के मामले में लचीला है या लचीला बनाया गया है। क्योंकि भ्रष्टाचार कोई गरीब आदमी कर नहीं सकता। और गरीब आदमी के लिए कानून कठोर है। भ्रष्टाचार आजादी के 75 साल भी नहीं रुक रहा है। अपने क्षेत्रीय एवं अन्य स्तर पर देखें तो देश में भ्रष्टाचार के कई मामले पेंडिंग है सुनवाई विलम है कई साल लग जाते हैं। पेशी लेते लेते हैं आरोपी ऊपर चला जाता है फिर भी सुनवाई अधूरी रहती है। भारत के अलावा अन्य देशों में भ्रष्टाचार के मामलों में ठोस कानून है भ्रष्टाचार कम मामले आते हैं पर भारत में ऐसा नहीं है। भ्रष्टाचार के पैसे से आप केस लड़के मामला लंबा ले जा सकते हैं। कई साल लग जाएंगे साबित करने में तब तक पैसा अपने अपने जगह में लग जाता है। काले धन को सफेद किया जा सकता है।