छत्तीसगढ़ सरकार की महत्वाकांक्षी योजना है नरवा घुरवा बाड़ी। लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में बंदरों से काफी किसान प्रभावित है। बंदरों से क्षतिपूर्ति नुकसान का किसानों को नहीं मिलता है। जंगली अन्य जानवरों से। कई किसान बंदरों से तंग आकर चना एवं अन्य फसल लेना छोड़ दिए हैं जो फसल को बंदर नहीं खाते हैं वैसे फसल लेने लग गए हैं। बंदरों के कारण किसानों को दिन भर अपने बाड़ी में बैठना पड़ता है काफी कार्य प्रभावित होते हैं। एवं कुछ साल पहले माननीय विधायक के पास एक किसान ने एप्लीकेशन दिया था बंदरों ने मेरा छानी खबरा फोड़ दिया है विधायक महोदय कुछ सहायता क्षतिपूर्ति राशि दिलाने की कृपा करें। बंदरों की जनसंख्या लगातार बढ़ रही है खेती किसानी की के चीजों को काफी प्रभावित कर रही हैं। एक बार हमने भी गरियाबंद के कलेक्टर दो हजार अट्ठारह के समय जब छत्तीसगढ़ में पूर्व भाजपा की सरकार थी तब एप्लीकेशन दिए थे। बंदरों से क्षेत्र के किसान काफी प्रभावित है उसका निराकरण निकालने एवं सुझाव भी दिए थे पर उसका कोई असर नहीं हुआ। कोई निष्कर्ष नहीं आया। गरियाबंद जिले में भेंट मुलाकात में आ रहे मुख्यमंत्री के पास इसका फिर लेटर देंगे और सुझाव भी देंगे उम्मीद है कार्य करेंगे। शासन और प्रशासन को बंदर से नुकसान पर क्षतिपूर्ति देना चाहिए पर तहसील छुरा में क्षतिपूर्ति के कई मामले पेंडिंग है कई मामले ऐसे हैं जिसको मामला भी दर्ज नहीं करते। उम्मीद है मुख्यमंत्री भ्रष्टाचार पर कार्रवाई करेंगे। बिना अधिकारियों कर्मचारियों को तहसील में बिना घूस पैसा दिए क्षतिपूर्ति की राशि पास करवा लेंगे तो आप भाग्यशाली हैं। हमारा भी क्षतिपूर्ति राशि का छुरा में मामला दर्ज नहीं किया गया है। हालांकि संविधान के मौलिक अधिकार में भ्रष्टाचार करना मौलिक अधिकार नहीं है पर बिना भ्रष्टाचार के कोई कार्य नहीं होता। ऐसा लगता है लोकतंत्र में भ्रष्टाचार एक हिस्सा है इसको आजादी के 75 साल बाद भी दूर करने का कोई ठोस कानून नहीं बनाया गया है।
नरवा घुरवा बाड़ी फसल को तो बेंद्रा खा रहे हैं संगवारी।
