भ्रष्टाचार के मामले में, मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में कोई पहला मामला नहीं है इससे पहले भी मामले हो चुके हैं। समय-समय पर कानून को थोड़ा बहुत संशोधन कर देते हैं और कुछ नहीं फिर भी भ्रष्टाचार नहीं रुक रहा है। आम जनता का सार्वजनिक पैसा डकार जाते हैं। अपराध दो प्रकार के होते हैं एक संगीन अपराध दूसरा नॉर्मल अपराध। भारत के पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय राजीव गांधी ने कहा था दिल्ली से ₹1 निकलता है जनता तक चवन्नी पहुंचती है। लोकतंत्र में जनता मालिक होती है एवं राजनेता प्रतिनिधि होते हैं बिना राजनेता के जानकारी में कोई भ्रष्टाचार हो ही नहीं सकता अगर जानकारी होता है तो मामला सीधा करवाई करना चाहिए। पर इसमें राजनीतिक साजिश एवं पक्ष विपक्ष होने लगता है। देश में चंद्र रूपये क लिए हत्या लूट, जमीन के कुछ टुकड़े के लिए बड़े संगीन अपराध हो जाते हैं। अपराध के दो कारण होते हैं एक सोच समझकर अपराध करना और दूसरा प्रस्तुति से अपराध हो जाना। जिनके हाथों में पूरा सिस्टम होता है पढ़े-लिखे लोग सोच समझकर अपराध करते हैं उनको पूरा मालूम है कि संविधान और कानून में भ्रष्टाचार पर संगीन अपराध नहीं है कोई ठोस कानून नहीं है। कोर्ट में मामला लंबा चलता है फास्ट ट्रेक कोर्ट नहीं है। तब तक पैसा हजम पैसा अपने रास्ते में लग जाते हैं। आरोप अगर सिद्ध होती है तो पैसा बनाया गया संपत्ति जप्त होती है। और नहीं मिलने पर अधिक से अधिक कुछ साल का सजा का प्रावधान है। के अलावा संविधान में नहीं है कानून में नहीं है इसलिए आजादी के 75 साल बाद भी भ्रष्टाचार नहीं रुक रहे हैं और बढ़ते जा रहा है। इसमें दोषी वर्तमान की दोनों पार्टी भाजपा एवं कांग्रेस है क्योंकि सांसद का काम होता है कानून बनाना और पूर्ण बहुमत में कांग्रेस का भी सरकार रह चुका है और फिलहाल बीजेपी का भी है पर इसमें, कानून नहीं बनने पर दोषी यही लोग हैं। फिलहाल सत्ता में केंद्र की सत्ता में बीजेपी है और राज्य में कांग्रेस की सरकार है संवैधानिक संस्थाओं को दुरुपयोग के आरोप लग रहे हैं जब कांग्रेस भी सत्ता में थी संवैधानिक संस्था के ऊपर दुरुपयोग के आरोप लगते रहे थें। भारत का संविधान कठोर एवं लचीला है आम और गरीब इंसान के लिए कठोर है और जिनके पास पैसा है उनके लिए लचीला है और भ्रष्टाचार के मामले में तो लचीला है क्योंकि गरीब कमजोर आदमी भ्रष्टाचार कर ही नहीं सकते। अपने क्षेत्रीय स्तर पर देख लो एसडीएम कार्यालय पूरे देश की बात करें तो कई मामले पेंडिंग है निर्णय होना में कई साल लग जाते हैं। पेशी लेते लेते कई लोग ऊपर चले जाते हैं। अब यह मामला माननीय न्यायालय का है न्यायालय देखते हैं कब तक न्याय देती है या कई साल लग जाएंगे साबित करने में दोषी कौन है? दोषी स्पष्ट है अब तक के माननीय सांसदों के द्वारा भ्रष्टाचार के मामले में कानून नरम एवं कमजोर बनाया गया है। भारत के अन्य देशों में तुलना करें तो भ्रष्टाचार के मामले में में ठोस कानून है कड़ा कानून है भारत की अपेक्षा अन्य देशों में भ्रष्टाचार के मामले बहुत कम मिलते हैं।