गेहूं आ गया है साहब, क्या अब बंदरबांट नहीं करेंगे?

गेहूं बोने का उपयुक्त समय 15 नवंबर से 15 दिसंबर तक उपयुक्त होता है। जल्द ही नजदीकी कृषि विभाग में गेहूं चना का बीज आने वाला है। कृषि विभाग हमेशा फसल चक्र अपनाने के लिए कहती है और कार्य करती है। पर जमीन पर कोई कार्य उनका दिखाई कम पड़ता है। हर गांव में किसान मित्र कृषि विभाग रखी है उनको महीने में भुगतान देती है फिर भी नहीं होता क्यों नहीं होता? छत्तीसगढ़ सहित गरियाबंद जिले में अधिकतर रवि में धान का पैदावार करते हैं गेहूं बहुत कम लोग खेती करते हैं। बिजली बचाने के लिए एवं जल स्तर को बनाए रखने के लिए गेहूं उपयोगिता है। रूस यूक्रेन युद्ध के कारण भारत का गेहूं का डिमांड पूरी दुनिया में बढ़ गया है शासन और प्रशासन को गेहूं का प्राथमिकता देना चाहिए फिलहाल उतना जमीन पर असर नहीं होता। बीज निगम से सस्ते दर पर गेहूं उपलब्ध किया जाता है कृषि विभाग के द्वारा, उसी को देखते हुए कई लोग वहीं से गेहूं का बीज वाला सस्ता में गेहूं लेकर के आटा पीसवाकर खा जाते हैं। मुफ्त में गेहूं चना के लिए अधिकतर लोग समय की तलाश में रहते हैं। कृषि विभाग के कर्मचारी अधिकारी एवं किसान मित्र यह नहीं देखते कि वह गेहूं बोने के लिए ले जा रहा है या खाने के लिए। पिछले अन्य वर्षो में तुलना करें कृषि विभाग के रिकॉर्ड के हिसाब से जितनी बीज किसान लोग ले जाते हैं उतना जमीन पर बुंवाई नहीं दिखाई देता। कृषि विभाग उप संचालक गरियाबंद को ध्यान देना चाहिए वही किसान को गेहूं मिले जो खेतों में बुंवाई करते हैं। जो किसान गेहूं ले गए हैं उसके खेतों का फोटो अपने विभाग में शेयर करें यह किसान बीज लेकर के बुवाई किया है। जितनी जरूरत है उसके हिसाब से बीज आर्डर करें एवं बचे हुए बीज को पुनः बीज निगम के पास वापस करें। क्योंकि सरकार किसानों को सस्ते दर पर किसानों के विकास के लिए यह कार्य करती है। ना कि आटा पिसवाकर खाने के लिए। गुरु ग्लोबल न्यूज़ हमेशा नागरिकों को जागरूक करने का काम करती है उम्मीद है अब अधिकारी बहुत सतर्क हो गए हैं इस बार बंदरबांट नहीं करेंगे। ग्लोबल न्यूज़ के संपादक गोल्डन कुमार नजदीकी कृषि विभाग कार्यालय में बहुत चीजों की कमियों को अब सुधार कर चुके हैं। क्योंकि कुछ साल पहले कृषि मंत्री से लेकर केंद्रीय कृषि मंत्री तक को लेटर लिखे थे। एवं दिल्ली के पीएमओ कार्यालय से सीधा संपर्क में रहते हैं।

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