किसान के पास बीड़ी माचिस आग लगावाने में किसकी साजिश ?

दिल्ली में नगर निकाय का चुनाव चल रहा है। दिल्ली सरकार में केजरीवाल आम आदमी की पार्टी है और फिलहाल नगर निकाय एमसीडी में बीजेपी सत्ता में है। दिल्ली केंद्र शासित प्रदेश में आता है। इसलिए दिल्ली के मुख्यमंत्री दिल्ली में प्रदूषण के कारण केंद्र सरकार भी जिम्मेदार है वह जनता के सामने बयान देते हैं। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पहले यह बयान देते थे आम आदमी पार्टी की सरकार पंजाब में बन जाएगी पराली से जलने के कारण दिल्ली में वायु प्रदूषण होता है उसको ठीक कर देंगे। अब पंजाब में भी आम आदमी पार्टी की सरकार बन गई। अब केजरीवाल ब्यान देते हैं। अब प्रदूषण लेवल पहले की अपेक्षा कम है। एवं देश के कई शहरों के नाम गिनाने लग जाते हैं वहां भी प्रदूषण है इसका जिम्मेदार कौन है। चाहे दिल्ली हो या पंजाब सरकार किसान पर दबाव बनाने बिल्कुल कतराती है। उनको मालूम है किसानों के समर्थन से ही सरकार में है ज्यादा किसानों को बाध्य नहीं कर सकते। भले ही जागरूकता फैला सकते हैं यूरिया एवं अन्य चीजों से पराली को खाद बनाया जा सकता है। इसलिए वहां के पंजाब सरकार ने किसानों को अलग से आग ना लगे इसके लिए उपाय के साथ-साथ सहायता राशि भी देने की योजना बनाई है। पंजाब में धान के बाद गेहूं का बुवाई होता है और अब तक वहां गेहूं का फसल लग चुका है गेहूं और धान में ज्यादा दिन का गैप नहीं होता है। किसान के पास माचिस के अलावा और कोई ऑप्शन नहीं रहता है। कृषि लागत कितनी है किसान मजदूर अन्य चीजें खर्च नहीं कर सकते। पंजाब के किसान नेता ने सोशल मीडिया में बयान दिया था। दिल्ली की मोदी सरकार किसानों को 2000 के तीन किस्त में 1 साल में ₹6000 देती है। 365 से गुणा करें तो ₹16 कुछ पैसा 1 दिन का होता है जब योजना बना था तो उस समय बीड़ी का बंडल है ₹16 मिलता था आज ₹20 से ऊपर हो गया है पर योजना की राशि में कोई बढ़ोतरी नहीं किसान के 1 दिन के बीड़ी का खर्चा के हिसाब से नहीं मिल रहा है। एवं छत्तीसगढ़ में भी किसानों का धान का फसल हार्वेस्टर से कटिंग चल रहा है स्वाभाविक सी बात है यहां आग जरूर लगेगी। भले ही कृषि विभाग कृषि उपसंचालक गरियाबंद ने आग खेतों में ना लगाएं अपने पराली को गौठान समिति में दान करने की बात कह रहे है। पर यह पहले भी यह अपील होता है पर जमीन पर कोई काम नहीं होता इसके लिए बेहतर पॉलिसी चाहिए फिलहाल नहीं है। एग्रीकल्चर को मनरेगा से जोड़कर यह काम किया जा सकता है पर मनरेगा और एग्रीकल्चर जोड़ने की बात चलती है पर आज तक जुड़ा नहीं। मनरेगा योजना से खुद स्वयं किसानों को मजदूरी देकर के पराली(पैरा) को इकट्ठा किया जा सकता है। एवं पराली इकट्ठा करने वाला मशीन भी आ गया है पर किसानों को डीजल में सब्सिडी नहीं मिलता इस को सब्सिडी देने की योजना बनानी चाहिए। किसान एक्साइज ड्यूटी वेट जुड़कर के डीजल खरीदना है। किसान भी वही रेट में डीजल खरीदते हैं जितने में अन्य लग्जरी वाहन खरीदते हैं किसान में कोई अंतर नहीं रखा गया है। छोटे किसानों को लघु सीमांत किसानों को डीजल में सब्सिडी का योजना बनाना चाहिए। कृषि सीजन मई और जून जुलाई एवं दिसंबर और जनवरी में इसका योजना प्रतिवर्ष बनाना चाहिए प्रत्येक किसान को जमीन क्षमता के हिसाब से डीजल सब्सिडी कार्ड बनाना चाहिए। जो किसानों को सब्सिडी में डीजल मिल सके। खेतों में आग ना लगे इसके लिए सरकार को भी किसानों को मदद एवं प्रोत्साहन के लिए पॉलिसी बनाना चाहिए। अब छत्तीसगढ़ में फसल कटाई हो चुकी है अब प्रशासन अपने स्तर पर क्या क्या काम करती है यह देखने योग्य बात है। सरकार में कोई भी रहे किसानों को बाध्य करने के लिए सरकार भी डरती है क्योंकि किसानों को भी मालूम है पराली से खाद बनता है पर उसके पास समय उपयोगी है निश्चित समय में काम होना चाहिए। क्योंकि उनको अगले फसल पर काम करना होता है। किसानों का उतना हालत नहीं है कि मजदूरी लगा कर के और खर्च करके किया जा सके इसके लिए सरकार को किसान सम्मान निधि की राशि एवं राज्य सरकार अलग से प्रोत्साहित करें तभी यह संभव है या मनरेगा के माध्यम से यह किसानों को खुद सब्सिडी मजदूरी देकर के काम कराया जा सकता है। क्योंकि लेखक भी खुद किसान है। एवं मनरेगा योजना की बात करते हैं मनरेगा योजना यूपीए सन् 2004प्रधानमंत्री मनमोहन सरकार के नेतृत्व में उस समय के श्रम एवं कल्याण मंत्री एवं राष्ट्रीय जनता दल के संस्थापक सदस्य स्वर्गीय रघुवंश प्रताप सिंह ने बनाया, मनरेगा पॉलिसी रोजगार गारंटी योजना किसने बनाया मनरेगा में काम कर रहे कर्मचारी अधिकारी रोजगार सहायक कार्यक्रम अधिकारी बहुत कम लोगों को ही मालूम रहता है। उनसे पूछो तो नहीं बता पाते। एवं कांग्रेस सरकार से ग्लोबल न्यूज़ के माध्यम से अपील करते हैं भारत जोड़ो किसान जोड़ो, एवं महात्मा गांधी योजना मनरेगा को एग्रीकल्चर से जोड़ों का योजना आने वाला समय में पॉलिसी बनाना चाहिए। क्योंकि भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष भारत जोड़ो यात्रा कर रहे हैं जो अब तक के राजनीति इतिहास के सबसे लंबी यात्रा है।

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