श्री गुरु ग्लोबल न्यूज रायपुर:-छत्तीसगढ़ सरकार के हाल ही में मंत्रिमंडल का गठन हो गया है, विभागों का बंटवारा हो गया है, प्रत्येक सरकार यही कहती है सुशासन की सरकार है नया गठान हुई भाजपा सरकार भी यही कह रही है,कोई भी नहीं कहेगी कि हमारी सरकार करप्शन की सरकार है,, यह तो जनता को लोकतंत्र में तय करना है,, लेकिन बीजेपी सरकार का स्लोगन यही है सुशासन की सरकार,, प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य यही है की शासन में सुशासन रहे गुड गवर्नेंस रहे,, लेकिन बीजेपी के नेता एवं मंत्रिमंडल एवं कोई भी नेता यही नहीं कह रहे हैं यह बिल्कुल कहने से कतरा रहे हैं कि हमारे सरकार कमीशन की सरकार नहीं है,, जब खुद पर नज़र होना चाहिए जब छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार थी तो विपक्ष में बीजेपी आरोप लगाती थी कांग्रेस की सरकार कमीशन की सरकार है,, तो जनता ने बीजेपी को ही शासन में बैठा दिया,, अभी लेकिन बीजेपी यह नहीं कह रही है कि हमारी सरकार कमीशन की सरकार नहीं रहेगी बल्कि यह कह रही है सुशासन की सरकार रहेगी,, तो सुशासन का अभिप्राय क्या है,?, यह जनता को समझना होगा और यह जनता समझदार है गवर्नमेंट को देखकर बिल्कुल समझ जाती है,, गवर्नमेंट कोई भी योजना बनाती है तो जनता को लाभ के लिए कुछ आर्थिक नुकसान करना पड़ता है तो समझ जाना चाहिए कि यह कमीशन की सरकार है,, अगर आपका राजस्व विभाग में काम है अगर राजस्व विभाग का कोई भी कर्मचारी पैसा ले रहा है तो समझ जाना चाहिए कहीं हिस्सा मंत्रिमंडल तक तो नहीं जा रहा है, अगर आपका काम पंचायत विभाग का है कहीं किसी विभाग में पैसा मांगने संबंधित कर्मचारी मांगता है, तो कहीं पंचायत मंत्री तक तो यह पैसा नहीं जा रहा है स्थानीय विधायक या संसद के पास तो नहीं जा रहा है, शासन किस काम के लिए कितना पैसा लगेगा उसकी रसीद एवं अन्य व्यवस्था किया है या नहीं, प्रत्येक सरकारी विभागों में किस कार्य के लिए कितना पैसा लगेगा इसका लिखित क्यों नहीं दिया जाता है, क्योंकि शासकीय कर्मचारी का पैसा शासन की तरफ से मिलता है तो अलग से पैसा लेने का क्या कारण होता है, और यही गुड गवर्नेंस है और यही सुशासन की सरकार है अगर उनके सरकार में ऐसा होता है तो समझ जाना चाहिए जनता को यह कमीशन की सरकार है,, अगर पुलिस विभाग में कोई काम है अगर पुलिस का कोई कर्मचारी पैसा ले रहा है तो समझ जाना चाहिए पैसा कहीं गृह मंत्रालय तक तो नहीं जा रहा है,, अगर ऊर्जा विभाग का कोई काम है अगर आपको आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है तो जनता को समझना चाहिए कहीं पैसा सीधे ऊर्जा मंत्री तक तो नहीं जा रहा है,, क्योंकि सरकार गुड गवर्नेंस के लिए शिकायत के लिए कोई टोल फ्री नंबर अभी तक जारी नहीं किया है, किसी भी विभाग में कोई भी पैसा लेने का मामला आता है शिकायत के लिए, किसी भी प्रकार का कोई कार्रवाई अभी तक किस प्रकार का गुड गवर्नेंस रहेगा सुशासन की सरकार कैसी रहेगी इसका पॉलिसी अभी तक नहीं बना है,, बड़ा सा बड़ा अधिकारी या कर्मचारी सीधे पैसा नहीं लेता कोई ना कोई माध्यम होता है,, शिकायत होता है तो नीचे के लोग ही फ़सते हैं,,,। और बड़े-बड़े मछली जाल में नहीं फसते है,। क्योंकि सरकार ब्यूरोक्रेसी चलाती है,, शासन का काम पूरा सीढ़ी नुमा की तरह छोटे से लेकर के बड़े तक चलता है,, और जनता को वास्तविक अंतिम मध्यम पता ही नहीं चलता आखिर शासन की योजनाओं को लाभ लेने में जनता को आर्थिक नुकसान उठाना पड़ता है उसका सोर्स क्या है कहां तक जाता है,। आखिर नीचे तक सीमित है या ऊपर तक जाता है और इसका पॉलिसी क्या है इसका उपाय क्या है,। मीडिया लोकतंत्र का चौथा स्तंभ है लेकिन यहां दो तरह के मीडिया है एक है जो विज्ञापन फंडिंग डोनेशन देकर मुंह बंद कर देते हैं, और एक छोटे मीडिया है जो हमेशा आवाज़ उठाते हैं,। और छोटे मीडिया का उतना वैल्यू शासन नहीं देती।

उदाहरण के लिए मान लो जाए इस गरीब आदमी को, आवास स्वीकृत करने से के लिए अगर कोई पंचायत विभाग का कर्मचारी उनसे पैसा मांगेगा तो यह शिकायत कहां करेगा, इनके पास प्लास्टिक खरीदने के लिए पैसा मुश्किल से आ रहा है तो वहां पैसा कहां से देगा इसके लिए कुछ नियम और पॉलिसी है या नहीं सरकार बनाएगी या नहीं, सुशासन की सरकार कैसे रहेगी इसका कुछ कायदा और कानून बनाया गया है नहीं।, सरकार की कोई भी अन्य योजना भ्रष्टाचार एवं करप्शन की बेट ना चढ़े इसके लिए क्या पॉलिसी है,?, या फिर यही कह देंगे या जनता यही मान ले कि भ्रष्टाचार लोकतंत्र का हिस्सा बन चुका है बिना भ्रष्टाचार के कोई भी काम संभव नहीं है देना ही पड़ता है, चलो शासन की तरफ कुछ मिल रहा है तो संबंधित को कुछ देने में क्या हर्ज है,, लेकिन वास्तविकता यही है कितना देना है यह कम से कम तो तय हो जाना चाहिए या इसी को सुशासन कहें। या हर शासकीय के कार्य के लिए कितना देना है यह कम से कम तय होना चाहिए,, इसी को सुशासन की सरकार कहे,, ताकि जनता को भी पता चले ज्यादा आर्थिक नुकसान ना हो कितना देना है बस,,,!

मीडिया लोकतंत्र का चौथा स्तंभ है जनसंपर्क विभाग भी स्वयं मुख्यमंत्री के पास है तो श्री गुरु ग्लोबल न्यूज यही कहते हैं,, जो लोग मीडिया को गंदगी कर चुके हैं वैसे लोगों को कम से कम चिन्हित करें, मीडिया का स्लोगन यही होना चाहिए निष्पक्ष सत्यमेंव जयते,।,