बंदर के हाथ में बंदूक भारत का जी डी पी 6.8%।

भारतीय राजनीति में 2013वाला काला धन का तलाश थी आज ₹5 पॉकेट में हमारे गांव मड़ेली में,2022में हमको मिला।में आई मोदी सरकार राजनीति में बड़े धमक से उतरी पर उनकी कार्यशैली से लगातार भारतीय अर्थव्यवस्था में चोट पहुंचा है। देश के पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह मोदी सरकार के नोट बंदी एवं खराब जीएसटी पॉलिसी इसके कारण भी मानते हैं। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया एशियाई डेवलपमेंट बैंक के बाद,imfने विकास दर घटा दिया है। कई प्राइवेट बैंक कर्ज से डूब गए। कई सरकारी बैंक को मर्ज करना पड़ा। एवं सरकारी बैंकों का एनपीए बढ़ रहा है। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने की चिंता जता चुकी है। बैंकों में कॉर्पोरेट कर्जा बढ़ रही है बैंकों के पास ब्याज नहीं आने के कारण बैंक संकट में पढ़ने वाले हैं। केंद्र सरकार के दबाव में घाटे में चल रहे कई कॉर्पोरेट को बैंक कर्ज देने को मजबूर कर देती है उनका विकास दर में वृद्धि नहीं करना बैंक के प्यास ब्याज नहीं मिलने के कारण यह सब कुछ कारण बनते हैं। भारत की अर्थव्यवस्था कृषि पर निर्भर है और करोना काल में भारत की अर्थव्यवस्था देश के किसानों ने संभाला। भारत की अर्थव्यवस्था 1992 में भी इसी प्रकार खराब हो गई थी। उस समय भारत के प्रधानमंत्री स्वर्गीय नरसिम्हाराव थे, डॉक्टर मनमोहन सिंह उस समय गवर्नर रहे। भारतीय मुद्रा में उस समय किसान ट्रैक्टर एवं सिक्कों के रुपए में धान गेहूं की बालियां रहती थी। अब केंद्र सरकार ने सीधे भारतीय मुद्रा से किसानों को ही गायब करना शुरू कर दिए। पहले एक रुपए के सिक्के में गेहूं की बालियां दिखाई देती थी अब अंगूठा दिखाई देता है, डॉलर के मुकाबले रुपया लगातार गिर रहा है, ग्लोबल न्यूज के संपादक गोल्डन कुमार बताते हैं जब हम छठवीं क्लास में थे तब एक डालर ₹47 था। हमको अच्छी तरीका से याद है। आज कितना है न्यूज़ के माध्यम से पता सबको चल रहा है। आज एक डॉलर ₹81 से अधिक हो गया है। डॉलर के मुकाबले का रुपया का गिरना महंगाई के बहुत से कारण है क्योंकि विदेशों से आयात में डॉलर में ही खरीदना पड़ता है और क्या पूरे महंगाई के मुख्य कारण बनते हैं। आगे चलकर हम भी राजनीति इतिहास भूगोल और अर्थशास्त्र एवं मनोविज्ञान का भी पढ़ाई किए। देश की अर्थव्यवस्था में विकास हो सकती है पर साफ नियत अच्छी पॉलिसी लाने की जरूरत है वह वर्तमान केंद्र सरकार के पास बिल्कुल नहीं दिखाई दे रही है। वर्तमान समय में अर्थव्यवस्था में अच्छी पॉलिसी लाने पर महंगाई नियंत्रण में हो सकता है। लेकिन यह वर्तमान केंद्र सरकार से नियंत्रण से अब बाहर दिखाई दे रही है लगातार महंगाई में वृद्धि राजनीति में जनता को अच्छे वादों से सरकार तो बन जाती है पर वादों और बेहतर पॉलिसी में अंतर होती है बेहतर पॉलिसी अच्छे नियत मोदी सरकार का कई फैसला राजनीतिक विरोध के कारण एवं जनता के बीच उसे अच्छे साबित करना उनके योजना जनता के बीच खरा नहीं उतर रही है। मोदी सरकार ने सबसे अधिक कॉर्पोरेट को फायदा पहुंचाने वाले योजना बनाया जबकि देश कृषि पर है। मोदी सरकार ने किसी पर कोई ठोस कार्य नहीं किया बल्कि उनको किसानों को किसान सम्मान निधि जैसी योजना बनाई जो किसानों को काम धाम छोड़कर बैंक के पास किस्त के लिए लाइन लगाना पड़ रहा है जबकि किसानों को मजबूत करने के लिए किसानों को आत्मनिर्भर करने के लिए ऐसा कोई ठोस कदम मोदी सरकार ने नहीं उठाई। किसान लगातार कर्ज में है और किसान कर्ज क्यों हो रहे हैं किसान के पास पैसा बच क्यों नहीं रहा है यह फिलहाल मोदी सरकार के पास कोई दूरदृष्टि नहीं है। वर्तमान स्थिति में केंद्र की मोदी सरकार किसान विरोधी होने का यह विपक्ष लोग जनता के बीच जाते हैं अब जनता को ही समझना है कौन किसान विरोधी है और कौन हितैसी?

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