सबसे पहले हम स्पष्ट कर देते हैं आजकल इलेक्ट्रॉनिक मीडिया प्रिंट मीडिया कुछ ही मीडिया को छोड़कर मीडिया वालों का भी अलग पार्टी बन गया है, निष्पक्षता कम दिखाई दे रहा है, जो वास्तविकता है जनता के सामने ला नहीं रहे, उदाहरण के लिए छत्तीसगढ़ का कोल आवंटन हसदेव अरण्य, जिसमें कोल आवंटन का टेंडर केंद्र सरकार ने दिया है और राज्य सरकार ने सहमति दिया है पर अडानी के नाम पर यहां राजनीति शुरू हो गई, स्थानीय मीडिया कांग्रेस को घेर रहे हैं, जो भी विपक्ष में है वह जनता के बीच राजनीति कर रहे हैं आदिवासियों को उकसाने का काम कर रहे हैं, पर जनता को बिजली भी चाहिए, एक तरफ बिजली भी चाहिए दूसरी तरफ पेड़ भी बचाना है, दोनों कैसे हो सकता है, आजकल इतने मनुष्य कमजोर हो गए हैं बिना बिजली के रह नहीं सकते और बिजली उत्पादन के लिए कोयला चाहिए, 1 मिनट एयर कंडीशनर बंद हो जाता है तो पसीना छूटने लग जाता है घर में पानी पीने के लिए भी मुश्किल हो जाता है बिना बिजली के पानी नहीं निकलता, अभी बिजली उत्पादन का वैकल्पिक व्यवस्था उतना नहीं हुआ है, जबकि पब्लिक के बीच जागरूकता के लिए ऊर्जा बचाने के लिए काम करना चाहिए पेड़ ऑटोमेटिक बच जाएंगे, लेकिन मीडिया वालों का भी किसी एक राजनीतिक पार्टी को भी सपोर्ट करते हैं कोई मीडिया वाले दूसरे राजनीतिक पार्टी को सपोर्ट करते हैं उनके हिसाब से न्यूज़ चलाने का काम करते हैं, इसीलिए हमने निष्पक्षता के लिए पैसा खर्चा करके न्यूज़ बनाने का काम पोर्टल न्यूज़ बनाने का काम किए,! Cm मंत्री छत्तीसगढ़ के भूपेश बघेल ने, कुछ दिन पहले मीडिया में बयान दिये था, जो लोग हसदेव जंगल बचाने के लिए आंदोलन कर रहे हैं वह अपने घरों से पंखा और कूलर बंद कर सकते हैं क्या यह इसका सहमति जरूर दें,! जनता के बीच केवल राजनीति है सरकार को ब्यूरोक्रेट चलाती है और फंडिंग किसी का भी सरकार रहे कॉर्पोरेट करती है यह जनता को भी मालूम होना चाहिए! हम कहते हैं पहले बिजली नहीं था तो जंगल था अब बंद कर दो अपना बिजली रहो आदिमानव जैसे! अपने बुद्धि को भी कम से कम विकसित करो सोचो, इसका उपाय सोचो विकल्प पहले सोचो,gk, ✍?✍?