डॉलर के मुकाबले रुपया लगातार गिर रहा है आज रुपया डालर के मुकाबले $1 ₹81 से अधिक हो गया है,, भारत में अप्रत्यक्ष एवं प्रत्यक्ष कर,, उपभोक्ता को प्रभावित करती है,, भारत में महंगाई का मुख्य कारण पेट्रोलियम एवं अन्य वस्तुओं जो विदेशों से आयात होता है जिसको डॉलर में खरीदते हैं और उसी समान में भारत में टैक्स सिस्टम लगा है जैसे पेट्रोल और डीजल डॉलर के मुकाबले रुपया कमजोर होता है तो उसका पूर्ति करने के लिए डीजल और पेट्रोल के दरों में वृद्धि करके किया जाता है जो कि टैक्स सिस्टम पेट्रोल और डीजल में है उसी में पूरा देश का सिस्टम अर्थव्यवस्था टिका है एक चीज के वृद्धि में सारे चीजों में एक साथ वृद्धि हो जाती है, कुछ दिन पहले भारत आजादी का 75 वा सालगिरह मनाया लेकिन यहां के राजनीति में टैक्स सिस्टम में जरूरी सुधार नहीं कर पाए यही का नतीजा आज देश के आम जनता को भुगतना पड़ रहा है, जब तक उत्पादन लागत में सब्सिडी डीजल और पेट्रोल में सरकार से बिना टैक्स सब्सिडी,नहीं मिलेगी महंगाई कम हो ही नहीं सकता है, जिसको पेट्रोल और डीजल में सब्सिडी, कमजोर वर्ग के लोगों को देकर के राहत देकर के किया जा सकता है, जैसे किसानों को बिना टैक्स के डीजल उनको उत्पादन लागत कम किया जा सकता है, जिस नागरिक का आर्थिक स्थिति मजबूत है और जिस नागरिक का आर्थिक स्थिति कमजोर है पर डीजल और पेट्रोल वर्तमान देश के टैक्स सिस्टम में दोनों एक ही दर पर एक ही टैक्स सिस्टम पर डीजल पेट्रोल खरीदते हैं, प्रभावित केवल उत्पादन लागत में महंगा केवल कमजोर आदमी को पड़ता है और जो आर्थिक रूप से संपन्न आदमी है उसको कोई प्रभावित नहीं पड़ता, भारत में टैक्स सिस्टम में जो भारत में उत्पादन नहीं होता वैसे चीजों में टैक्स लगाना यहां के इकोनॉमिक्स एक्सपर्ट के लिए सबसे बड़ा गलती है, जो जनता को असर करती है और डॉलर के मुकाबले रुपया गिरने का मुख्य कारण रहता है, इतिहास में भारत में लगातार गिर ही रहा है यह निश्चित स्तर पर ठहरा आज तक नहीं, आगे भी यही सिस्टम रहा इसमें टैक्स सिस्टम में जरूरतमंद के हिसाब से राहत नहीं दिया गया तो और गिरेगा क्योंकि यहां 10 परसेंट ऐसे आबादी हैं जो ₹200 पेट्रोल खरिंदेगें फिर भी उनको कोई प्रभावित नहीं पड़ेगा, लेकिन वर्तमान टैक्स सिस्टम में वही रेट में डीजल पेट्रोल खरीदते हैं जो आम आदमी खरीदता है,, देश में एलपीजी गैस की तरह पेट्रोल में सब्सिडी चाहने वाले नागरिक और सब्सिडी नहीं चाहने वाले नागरिक यानी बिना टैक्स के खरीदने वाले नागरिक एवं टैक्स जोडकर खरीदने वाले नागरिक जब तक अलग नहीं कर पाएंगे यह सिस्टम ऐसा ही रहेगा! नागरिक को यह समझ जाना चाहिए जिस प्रकार कोविड-19 में देश को पूरा प्रभावित किया है, जनता अपने आप को महंगाई में डाल चुकी है, महंगाई केवल उपभोक्ता को प्रभावित करती है जो उत्पादन करता है वह लागत के हिसाब से रेट बढ़ा देते हैं, अनुपात में सब चीज में धीरे धीरे वृद्धि हो जाती है और सिस्टम उसी प्रकार का चलने लग जाता है, क्योंकि इतिहास गवाह है एक दिन चवन्नी बंद हुआ आज अठन्नी बंद है ₹1 चल रहा है वैल्यू के हिसाब से जितना कल सामान ₹1 में आता था, समान का दर बढ़ा है, आज उसके लिए कई रुपया खर्च करना पड़ता है और सामान उतना का उतना ही है,