श्री गुरु ग्लोबल न्यूज मड़ेली:-छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु साय गरियाबंद जिले के छुरा,विकासखंड, के अंतर्गत ग्राम पंचायत मड़ेली पहुंचे,,, मुख्यमंत्री अचानक 9 मई को,पहुंच गए क्योंकि कार्यक्रम 19 मई को समाधान शिविर,होना है, तय था,, केवल एक दिन पहले सोशल मीडिया, के माध्यम से पब्लिक को जानकारी हुआ, मुख्यमंत्री ग्राम पंचायत मड़ेली, हेलीकॉप्टर से वही लैंड किये महाऔघोरेश्वर ज्योतिर्लिंग के सामने बोईरगांव बांध के पास ,, अब सवाल उठाता है मुख्यमंत्री आखिर मड़ेली को क्यों चुने आने के लिए,, क्योंकि यहां के आसपास के 10 गांव, किसानों के जो आंसू है, 1980 से बह रहे थे,, क्योंकि पिपरछड़ी जलाशय अधूरा था चाहे पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह का 15 साल,कार्यकाल हो, और चाहे कांग्रेस का भी क्यों ना हो दोनों ने किसानों को आंसू बहाने का काम,किए हैं, क्षेत्र का जलस्तर घट रहा था और इस क्षेत्र में पानी की समस्या किसानों के सामने खड़ी हो रही थी, बहाने बाजी बस चलता था, कोई कहता था कि हमारा केंद्र में सरकार नहीं,है, राष्ट्रपति मंजूरी नहीं दे रहे हैं फॉरेस्ट विभाग वाले रोक रहे हैं दुनियाभर के, और वोल्टेज की समस्या छुरा विकासखंड (रसेला)क्षेत्र,में था, मुख्यमंत्री ने 132 kV,, के लिए भी स्वीकृत किए हैं, और राजिम से छुरा मार्ग बेलटुकरी होते हुए,,, 147 करोड रुपए,, लेकिन यह काम समय पर पूरा होगा कि नहीं यह सवाल अब उठ रहा है, क्योंकि कई ऐसे टेंडर देखे हैं 2 साल का टेंडर रहता है और उसको कार्यकाल को आगे बढ़ा-बढ़ा करके कई साल लगा देते हैं,, क्योंकि पांडुका से मुङागांव रोड अभी भी अधूरा है घाटी का काम कंप्लीट नहीं हुआ,है, जरगांव का घुनघुटी नाला अधूरा है 2 साल का टेंडर था,,। ऐसे ही आपको कई उदाहरण मिल जाएंगे, वर्तमान सरकार का अभी लगभग डेढ़ साल कार्यकाल पूरा हो चुका है लगभग अभी 42 महीने का कार्यकाल बचा है क्या 42 महीने में पीपरछड़ी जलाशय पूरा हो जाएगा,¿????? क्या 42 महीने में 132 kv का उपकेंद्र लग जाएगा,, क्या 42 महीने में, राजिम छुरा मार्ग कंप्लीट हो जाएगा,, शासन और प्रशासन ध्यान देंगे तो बिल्कुल पूरा हो जाएगा, लेकिन नहर लाइन कार्य कार्य में पिपरछेड़ी जलाशय में भूपेश बघेल सरकार कार्यकाल,में, किसानों के भूमि अधिग्रहण नहर लाइन कार्य में कई प्रकार के भ्रष्टाचार की खबर सामने आए थे उसे समय कोई कार्रवाई नहीं,हुआ,, अभी भी जो नहर बना है पानी किधर आएगा किधर जाएगा यह इंजीनियर भी नहीं समझ पाएंगे। जमीन कहीं और अधिग्रहण हुआ नहर कहीं और बन गया,, फिर से नक्शा खसरा देखना पड़ेगा।
समाधान शिविर बहना था, मड़ेली आना जरूरी था!!
