श्री गुरु ग्लोबल न्यूज़:-न्यूज़ लिखने से पहले हम अपना डायलॉग लिखते हैं,,:::::जिसकी लाठी उसकी भैंस नहीं जिसके पास है कैश वही चलाएगा देश,,,,”””पंचायती राज ही नहीं विधानसभा एवं,लोकसभा,का पूरा सिस्टम अब लोकतंत्र से अब पैसा तंत्र बन चुका,है,, हालांकि संविधान में महिलाओं के लिए आरक्षण दिया गया है,, आदिवासी पिछड़ा वर्ग, एवं शेड्यूल कास्ट के लिए भी आरक्षण,है,, लेकिन इसमें से कौन आरक्षण का लाभ ले रहा है,? यह सवाल है, कोई आदिवासी दलित उसको आरक्षण का लाभ मिल रहा है लेकिन चुनाव लड़ने के लिए जिसके पास पैसा है उसी को दमदार समझते हैं और कमजोर आदिवासी,दलित,आदमी तो नॉमिनेशन ही नहीं करता,है,,उसको पता है बिना दारू मुर्गा खर्च किए बिना बिना पैसा,के,चुनाव में उसकी जमानत जप्त हो जाएगा,,, अब यह सवाल उठता है लोकतंत्र को पंचायती राज को पैसा तंत्र बनाने में कांग्रेस का हाथ है कि भाजपा का हाथ है ?क्योंकि देश और राज्य की सत्ता उसी के पास रही है,,। अब छत्तीसगढ़ की पंचायत चुनाव होने वाली है अब छत्तीसगढ़ के ही बात करेंगे,, पिछले कांग्रेस सरकार ने नगर पंचायत नगर निगम अध्यक्ष को अप्रत्यक्ष प्रणाली से बनाया था, यानी पार्षदों को खरीद करके आप नगर अध्यक्ष बन सकते हैं यानी सीधे-सीधे कांग्रेसियों का सीधा हाथ पैसा तंत्र लोकतंत्र को बनाने में हाथ,,रहा,,। अभी विधानसभा लोकसभा की छोड़ दो भाजपा भी लोकतंत्र को पैसा तंत्र बनाने में कोई हद तक नहीं छोड़ा,, अभी भी जिला पंचायत में जिला पंचायत सदस्य को खरीद करके जिला पंचायत अध्यक्ष बनाया जा सकता है क्योंकि जनता सीधा जिला पंचायत अध्यक्ष और जनपद अध्यक्ष को नहीं चुनती है,,। और यही अनुच्छेद में छेद है और लोकतंत्र में पैसा तंत्र बनाने में कांग्रेस और भाजपा दोनों का ही हाथ है क्योंकि सत्ता उसी के पास रही है। अब सवाल यह उठता है जनप्रतिनिधि बनने के लिए इतने लोग आगे क्यों आ जाते हैं क्योंकि पैसा खाने के लिए मिलता है, सरकारी पैसा को भ्रष्टाचार करने में कोई ठोस कानून नहीं,है, और यही है सरकारी पैसा खाने में कोई ठोस कानून नहीं है कानून बिल्कुल कमजोर है और कानून को कमजोर करने में कांग्रेस और भाजपा दोनों का,,हाथ है,, आप देखे होंगे कई जनप्रतिनिधि,सरकारी पैसा हज़म,कर,देते हैं और उसका कुछ नहीं होता बस कार्यवाही,चलता है और ऐसे ही मामला रफा_दफा हो जाता है,, उसका कुछ नहीं होता,, यानी जनप्रतिनिधि, बन करके लाखों रुपए कमाए जा सकता है करोड़ रूपया कमाया जा सकता है तो जनता को दारू और मुर्गा खर्च करने में चुनाव में कोई बड़ी बात नहीं है इसलिए लोकतंत्र को पैसा तंत्र बनाने में कांग्रेस और भाजपा दोनों का ही हाथ है। और दूसरी बात पंचायत चुनाव में 99% वोटिंग होता है और विधानसभा लोकसभा में नहीं होता उसका यही कारण है केवल पैसा,, विधानसभा में लोकसभा में कितना खर्च नहीं होता कई मतदाता वोट डालने नहीं जाते, यानी मतदाता उसको कोई मतलब नहीं है,, यानी दारू और मुर्गा खर्चा करेंगे तो वोट परसेंट भी,बढ़ेगा, लोकतंत्र अब पैसा तंत्र बन चुका है कोई भी चुनाव बिना पैसा के बिल्कुल संभव नहीं है ऐसा हो चुका है आखिर इसको दूर कैसे किया जा सकता है? यानी इसको दूर करने का एक ही उपाय है जनप्रतिनिधि मतलब जनता का सेवा करने वाला जन सेवक उसको पैसा और भ्रष्टाचार से कोई मतलब नहीं होना चाहिए ऐसा सिस्टम तैयार होना चाहिए कानून और संविधान और द्वारा तभी यह हो सकता है लेकिन आने वाला समय में अगर ऐसा नहीं किया गया तो लोकतंत्र पैसा तंत्र बन जाएगा। और यह देश के लिए घातक है,, जिसकी लाठी उसकी भैंस जिसके पास कैश वही चलाएगा देश।