साहब कर लिए फसल चक्र के लिए दुनियादारी किसानों को क्यों नहीं आ रहा है समझदारी,?

Shri Guru global news:-सबसे पहले हिंदी फिल्म का एक डायलॉग लिखते हैं, लोकतंत्र है तो जनप्रतिनिधि कलेक्टर से कहता,है,,, “”चेंबर में बैठे-बैठे कलेक्ट्री नहीं चलने वाला,, थोड़ा फील्ड में भी जाओ,””छत्तीसगढ़ में फसलचक्र अपनाने के लिए शासन और प्रशासन प्रयास करती है पर यह मैदान स्तर पर सफल बिल्कुल बहुत कम प्रतिशत दिखाई देती है,, खैर जलस्तर नीचे जा रहा है शासन और प्रशासन का फैसला तो एक प्रकार का सही है,, और इसमें फैसला फील्ड पर नहीं उतरने का सबसे ज्यादा दोषी लचर व्यवस्था है,,, यह वर्तमान सरकार या शासन प्रशासन नहीं जब छत्तीसगढ़ निर्माण हुआ तब से स्वर्गीय,अजीत जोगी प्रथम मुख्यमंत्री थे तब भी उसके बाद रमन सिंह मुख्यमंत्री से तो भी भूपेश बघेल मुख्यमंत्री कांग्रेस के थे तो भी,,फसल चक्र अपनाने की अपील होता था,, पर किसी भी सरकार ने इस पर सफल नहीं हो पाया,, इसमें दूसरा मुख्य कारण है भ्रष्टाचार,, भ्रष्टाचार यहां पर यह है कि शासन और प्रशासन किसानों को सब्सिडी दर पर रवि की बीज,देती है,,, लेकिन कृषि विभाग से जुड़े हुए अधिकारी दिए हुए किसानों को बीज को बुवाई कर रहे हैं या नहीं यह देखने तक नहीं जाते,, उनका काम बीज दिए और,खत्म,,, डिजिटल इंडिया है आप खेत की बुवाई कर रहे हैं उसको संबंधित विभाग को फोटो भी भेज सकते हैं किस खसरा रकबा, में बुवाई हुआ है वह भी भेज सकते हैं लोकेशन भेज सकते,हैं,, क्योंकि सिस्टम में किसी भी सरकार में ऐसा अभी तक नहीं हुआ,, इसलिए सफल नहीं होता,, हालांकि प्रशासन शासन जन चौपाल के माध्यम से कृषि विभाग के अधिकारी गांव गांव घूम करके फसल चक्र अपनाने की अपील करते रह गए पर उसमें किसी भी प्रकार का कोई ठोस,, किसानों पर काम हुआ है क्या फील्ड पर बिल्कुल दिखाई नहीं,देता,,, और दूसरी सब्सिडी दर पर जो बीज रवि की फसल मिलता है,, एग्रीकल्चर, विभाग के कर्मचारी अधिकारी जन प्रतिनिधि के डर के मारे उनको मुक्त में दे देते,हैं,,अपने नजदीकी लोगों को दे देते,हैं,, पर जिसको मिला है,,वह बुवाई नहीं करता,,, कृषि विभाग से मिला हुआ गेहूं को आटा पीसा करके किसान खा,जाएगा,,, अन्य चीज जो मिला है जैसे मूंगफली मक्का अरहर चना मसूर उसको दाल बनाकर के खा,जाएगा,, यानी सरकार शासन महंगे में खरीद करके किसानों को सब्सिडी देती है वह बीज, बोवाई नहीं होती,है,, और कई किसान ऐसे भी हैं जो सदुपयोग करते हैं बोवाई करते,हैं,। उनके लिए तो खैर,ठीक है,। इसके लिए” हमने संबंधित कृषि विभाग से एक बार चर्चा किया और इसके बारे में बताएं तो कृषि विभाग के संबंधित अधिकारी कर्मचारियों ने हमसे कहा,, हमको किसानों का आधार कार्ड ऋण पुस्तिका का फोटो कॉपी और बैंक पासबुक शासन लेकर के बीज देने को कहती,है,। पर किसान की विवेक पर है वह सब्सिडी में मिले हुए बीच का क्या करता है हमारा आगे का काम नहीं है,, तो आप ही बताएं इसमें दोषी किसान है या सरकार शासन और सिस्टम, फिर हमने फील्ड पर यह भी देखा है, सब्सिडी दर पर बीज को खाने वाले किसान भी यह सफाई देते हैं बड़े-बड़े मंत्री बड़े-बड़े अफसर लाखों करोड़ों का जाते हैं हम कुछ बोरी खा गए तो कौन सी बड़ी बात है,,, पहली नजर में दोषी तो सिस्टम है अगर आप जो किसान सब्सिडी में बीज,ले गया है अगर वह बुवाई नहीं करता अगर आप रिकवरी करते उनसे पैसा वसूली करते जितना शासन में खरीदी है उतना बिल वसूलते तब यह कारगर साबित होता नहीं तो दुनियादारी कर लेंगे फिर भी किसानों में समझदारी आएगी ही नहीं और आप फसल चक्र बिल्कुल फील्ड पर नहीं उतार पाएंगे,।, और जल ही जीवन,है, जल को बचाना है यह तो जरूरी है क्योंकि आने वाला पीढ़ी के,लिए है, जल का सदुपयोग होना चाहिए, बिजली भी बचेगी पानी का सही उपयोग होगा, इसके लिए शासन और प्रशासन को ड्रिप इरीगेशन और,नया-नया,, तकनीक आ गया है जिसमें कम पानी में फसल उत्पादन हो सकता है ऐसी चीजों को शासन और प्रशासन को ऐसे किसान को प्रोत्साहन करना चाहिए जो फसल चक्र अपना चुके हैं यानी रवि की फसल में धान के अलावा अन्य फसल कई सालों से उत्पादन कर रहे हैं,, एवं बागवानी फसल को भी बढ़ावा देना चाहिए, ड्रिप इरीगेशन ऐसे किसानों को नहीं मिलना चाहिए जो धान का फसल उत्पादन करते हैं,, पैसे किसानों को समझौता करके ही सब्सिडी देना चाहिए जो, रवि फसल में धान के अलावा अन्य फसल उत्पादन करता है, उसे किसान को बिजली में भी सब्सिडी मिलना चाहिए अलग से तभी यह मैदान में फील्ड में उतर सकता है,, और ऐसे कार्यालय, में बैठे-बैठे लेटर जारी कर देने से यह या जन चौपाई लगा देने से फील्ड में बिल्कुल काम नहीं होनेवाला। एवं किसानों की समस्या समझ करके, उचित फैसला लिया जा सकता है, कई सालों से देख रहे हैं यही हो रहा है।

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