मंत्री जी कौन है? ओपी चौधरी है कि टोपी चौधरी है।

Shri Guru global news Raipur:-गरियाबंद जिला छुरा विकासखंड,,, का यह स्कूल,,, जहां टोटल 18 बच्चे पढ़ते हैं,,, और दो टीचर हैं, अब सरकार का कितना पैसा खर्च हो रहा है उसको मूल्यांकन करते हैं, स्कूल का बिजली खाना और खर्च जोड़कर के लगभग जितना तनख्वाह सरकार देती है, मोटा मोटी,एक लाख से अधिक, मोटा मोटी एक बच्चे में 5000 से अधिक खर्च हो रहा है, उससे कम खर्च में तो सरकार प्राइवेट स्कूल में भेज देती तो सरकार का पैसा बच जाता है, सरकार को टीचर में इतना खर्च करना नहीं पड़ता,, अब दूसरी बात नजदीक में 1 किलोमीटर दूरी पर एक और स्कूल है नावाडीह, वहां प्राथमिक स्कूल में 30 बच्चे हैं और यहां आधे हैं, वहां दो टीचर है,, कहने का तात्पर्य है, 1 किलोमीटर से नजदीक स्कूल है तो स्कूल को समायोजन करके एक ही स्कूल में बच्चों,भेज करके, अच्छा से पढ़ाई हो सकती है, चार टीचर हो जाते, स्कूल का सफाई कर्मी को उनका वेतन बढ़ाकर के बच्चों को लाने ले जाने की जिम्मेदारी देकर के कर सकते हैं,, विकासखंड में कई ऐसे स्कूल हैं जहां बच्चे ही नहीं,है, शिक्षा विभाग को कई स्कूलों को तो बंद करना पड़ रहा है,, सरकारी अस्पताल जहां मरीज है लेकिन डॉक्टर नर्स नहीं,है, सरकारी स्कूल जहां टीचर हैं वहां पर्याप्त,बच्चे नहीं,है, सरकार को चाहिए कि जहां नजदीक स्कूल है पर्याप्त बच्चे नहीं है पर्याप्त बच्चों को दूरी के हिसाब से समायोजन करना चाहिए, गांव के कई अभिभावक सरकारी स्कूल में अपने बच्चों को एडमिशन नहीं करा रहे, क्योंकि पढ़ाई लिखाई सरकारी स्कूल में होता नहीं है समय पर टीचर स्कूल आते नहीं,है, आज क्यों नहीं आए तो पता किया एक दिन का हड़ताल था नावाडीह से टीचर आएंगे करके बताया गया,,,,अब बात करते हैं न्यूज़ का टाइटल की,, टाइटल इसलिए लिखना पड़ा की 33000 छत्तीसगढ़ में शिक्षकों की भर्ती के लिए, जो पूर्व शिक्षा मंत्री बृजमोहन अग्रवाल विधानसभा में घोषणा किए थे,, उनके जो लीडर,, हैं वह एक न्यूज़ चैनल में जो छत्तीसगढ़ के फाइनेंस मिनिस्टर हैं उनको भर्ती नहीं निकलने पर तंज कसते हुए टोपी चौधरी कहा,,,, सरकारी स्कूल हो या सरकारी अस्पताल,, लगातार इसका दुर्दशा खराब हो रहा है सरकारी अस्पताल से मरीज प्राइवेट की ओर जा रहे हैं और सरकारी स्कूल के जो अभिभावक हैं वह भेज नहीं रहे हैं बच्चे को वह भी प्राइवेट में जारहे हैं,, क्योंकि अभिभावक जो है कहते हैं सरकारी स्कूलों में तो पढ़ाई लिखाई का ठिकाना नहीं है,,। जो टीचर हैं समय पर स्कूल आते हैं या नहीं इसको कोई देखने वाला नहीं है,, अब बात करते हैं प्राइवेट क्षेत्र चाहे जो भी क्षेत्र हो चाहे अस्पताल ले लो या अन्य,, वहां का 12000 का सैलरी देने वाला, मलिक,, सेंसर वाला मशीन लगा देता है अपने जो काम करने वाला जगह है वहां सीसीटीवी कैमरा लगा देता है वाई-फाई से कनेक्ट करके कहीं भी बैठे कर्मचारियों को देखते रहता है काम कर रहे हैं या नहीं समय पर काम करने पहुंच रहे हैं नहीं,,। लेकिन अब बात करते हैं सरकारी चीज की यहां तो पैसा की कोई कमी नहीं है, ओपी चौधरी को फाइनेंस मिनिस्टर इसलिए जिम्मेदारी मिला है अपनी सोच के हिसाब से पूर्व,आई ए एस रहे हैं अच्छा खासा दिमाग लगाएगें सरकार का पैसा बचाएंगे,, लेकिन 9 महीना सरकार का हो गया पर भी अच्छा बेहतर पॉलिसी का एक बच्चा भी ओपी चौधरी के कार्यकाल में नहीं निकला,,, क्या सरकारी स्कूलों में टीचर समय पर स्कूल पहुंच रहे हैं सेंसर वाला मशीन नहीं लग सकता है,,?, सरकारी स्कूलों को देखें तो, डेढ़ महीने से अधिक छुट्टी ऐसे ही है,, यानी टोटल महीने का देखे हैं तो छुट्टी को जोड़ करके देखें तो 20 दिन ही वर्किंग डे होता है,,। बाकी दिन छुट्टी में निकल जाता है,,। सरकार सेंसर मशीन इसलिए शायद नहीं लगाई है, स्कूल समिति बना दी है वह लोग देख रहे करेंगे,, स्कूल समिति वाले क्यों देखेंगे ?उनको तनखवा,, थोड़ी मिलता है।,, खैर यह न्यूज़ पब्लिक जागरूक के लिए है,,, अब बात करते हैं सरकार के सरकार में ओपी चौधरी हैं ias रह चुके हैं उनसे ज्यादा दिमाग तो हमारे पास नहीं है, जनता का पैसा बचाएंगे की उड़ाएंगे,,, सरकार कर्ज में चल रही है कर्जा लेकर फिर टीचरों को तनख्वाह देंगे,,, जनता को क्या है ?जनता का पैसा थोड़ी लग रहा है?, कम बुद्धि वालों का यही,सोंच रहता है,, और यही बात को जनता को समझना है,,।

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