राजनीतिक विश्लेषण गोल्डन कुमार:-राजनीति में छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की बात करते हैं,, कई लोगों को यही लगता होगा विधानसभा 2023 और 2024 लोकसभा चुनाव छत्तीसगढ़ में बुरी तरीके से हारे,, लेकिन उन्हें के नेतृत्व में 2019 लोकसभा चुनाव भी छत्तीसगढ़ में कांग्रेस हारी है,,। 2018 में राज्य में कांग्रेस की सरकार भूपेश बघेल की नेतृत्व में किसानों के लिए तो अच्छा काम किया फिर भी कुछ दिन के बाद 2019 के लोकसभा चुनाव में भी क्यों हार गए,, कांग्रेस का मुख्य घोषणा पत्र के अनुसार धान का 25 सौ रूपए और किसानों का, कर्ज माफ, किसाने की अंतर की राशि किसान न्याय योजना के अंतर्गत मिल गया था,,, किसानों के कर्ज माफी में कांग्रेस से देरी हुई,, राष्ट्रीयकृत बैंकों का कर्ज माफ करने में कांग्रेस ने बहुत देरी कर दी तब तक लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को खामियाजा 2019 में भुगतना पड़ा,,, 2019 के लोकसभा चुनाव में,, किसान दो भागों में बंट गए थे,,, किसान दो प्रकार के होते हैं एक बड़ा किसान और छोटा किसान,,, भूपेश बघेल की नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार की गलती यही हुई,, किसानों के कर्ज माफी में लिमिट नहीं था यानी छोटे किसान में भावना थी कि बड़े किसानों को ज्यादा हुआ है हम लोगों को कम हुआ है,, हमारा कर्ज ही कम था,, लोकसभा 2019 के चुनाव में कांग्रेस को नुकसान झेलना पड़ा,,, और जिनका प्राइवेट निजी बैंकों में किसानों का कर्ज है वह अभी तक माफ नहीं हुआ है,,। 2018 से 2023 विधानसभा कार्यकाल भूपेश बघेल अच्छा कार्य कीये थे,, 2023 विधानसभा चुनाव में किसी ने नहीं सोचा था कि कांग्रेस पार्टी हार जाएगी लेकिन उसके पीछे भी भूपेश बघेल कांग्रेस की लापरवाही और राजनीति में फेल पॉलिटिक्स, विधानसभा 2023 हारने में कुमारी शैलजा, की भी, फिर,,कांग्रेस ने उसे सीख लेते हुए हटा दिया, कांग्रेस के लापरवाही नंबर __1, कांग्रेस पार्टी विधानसभा चुनाव में टिकट वितरण में भारी गलती हुई,, घिसे_पीटे नेताओं को टिकट दे दिया,, कांग्रेस ने अपने किसी भी मंत्रियों का टिकट नहीं काटा,, आपसी गुटबाजी,में,, TS,सिंहदेव,, एक दूसरे को ऊपर नीचे करने के चक्कर में छत्तीसगढ़ से सरकार से कांग्रेस ही नहीं निपट गई विधानसभा,, कांग्रेस की लापरवाही नंबर _2,विधानसभा हरवाने में भूपेश बघेल सबसे ज्यादा दोषी हैं,, विधानसभा चुनाव सामूहिक नेतृत्व में लड़े थे और जीते थे लेकिन सरकार में आते ही सत्ता अपने हाथों में केंद्रीकरण कर लिए थे भूपेश बघेल, अपने कार्यकर्ताओं और छोटे,नेताओं के नहीं सुनते थे,, भूपेश बघेल की मनमानी चलती थी, कांग्रेस के नेता राहुल गांधी भारत जोड़ रहे थे लेकिन छत्तीसगढ़ की कांग्रेस पार्टी अंदर ही अंदर टूट रही थी, कांग्रेस जब सरकार में थी तो संगठन का कोई वैल्यू नहीं था,, केंद्र के पास ED और सीबीआई है तो छत्तीसगढ़ कांग्रेस के पास सरकार के पास आर्थिक अपराध शाखा था परंतु 15 साल भाजपा के कार्यकाल के एक भी मामले दर्ज नहीं करा पाई,, तो आपके क्या लगता है छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री कांग्रेस के अंदर बैठे हुए भाजपा के (जासूस),है,? जो भाजपा को मदद कर रहे थे अपने पॉलिसी में, ऐसा इसलिए कह रहे हैं क्योंकि छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय अजीत जोगी पर भी यही आरोप लगा था, कांग्रेस नेताओं ने लगाया और उन्हें कांग्रेस से बाहर कर दिया,, फिर कांग्रेस 2018,सत्ता में आ गई,, फिर 2023 क्यों हार गई,?कांग्रेस की लापरवाही नंबर_3, उसे समय के मुख्य विपक्षी पार्टी भारतीय जनता पार्टी कवर्धा कांड,,, झंडा विवाद पर, सोशल मीडिया से लेकर के सड़क पर संघर्ष कर रही थी,,, विधानसभा चुनाव में अपने मंत्री मोहम्मद अकबर का टिकट काट देना था कांग्रेस ने नहीं काटी,, लेकिन कांग्रेस को तो अपना नांक कटवाना था विधानसभा चुनाव में जनता से,,कांग्रेस की लापरवाही नंबर _3,,,, मुख्य विपक्षी पार्टी,, भाजपा,,बिरणपुर,, हिंसा पर सोशल मीडिया से लेकर के सड़क पर संघर्ष कर रही थी,, जिसमें साहू समाज के लड़के की हत्या हो गई थी उसे मुद्दे पर को भाजपा पूरे प्रदेश,भर में फोकस कर रही,थी,, उस समय के तात्कालिक उस क्षेत्र के कृषि मंत्री रविंद्र चौबे का टिकट काट देना था,, कांग्रेस ने नहीं काटा,, कांग्रेस को तो अपना नांक कटवाना था,,।कांग्रेस की लापरवाही नंबर _4 अब 2024 लोकसभा की कांग्रेस की लापरवाही की गणना करते,हैं,, लोकसभा चुनाव बाद क्षेत्र का चुनाव होता है बाद अहम चुनाव होता है इसकी तैयारी 2 साल पहले शुरू हो जाती है पर कांग्रेस ने शुरू नहीं, किसको लोकसभा किस क्षेत्र से,लड़ना है,, तो लोकसभा चुनाव में टिकट वितरण से स्पष्ट हो गया कांग्रेस बिना तैयारी के बिना होमवर्क के मैदान में आ गए,, जब महासमुंद से पूर्व गृह मंत्री ताम्रध्वज साहू,को चुनाव लड़वाना था उनको दुर्ग से विधानसभा नहीं लड़ने देना था,, किसी नए कार्यकर्ता को उसे समय मौका मिलता,, विकास उपाध्याय को रायपुर से लोकसभा लड़ना था तो विधानसभा उनको नहीं,लड़ना था,, कांग्रेस ने यही लापरवाही किया जिसको जनता ने नकार दिया था उसको फिर मैदान में ला दिए थे,,,,।अब कुल मिलाकर यही निष्कर्ष निकलता है 2028 में आने वाला विधानसभा चुनाव,, कांग्रेस केवल सामूहिक नेतृत्व में ही सफलता मिल सकती है, जनता के मुद्दे पर सड़क पर संघर्ष करना होगा,, ऐसा नहीं होना चाहिए 2018 की तरह पुलिस के डंडे आम कार्यकर्ता खाए और सत्ता की मलाई अकेले भूपेश बघेल खाएं।