कानून विशेषज्ञ गोल्डन कुमार:-हिंदी फिल्म के डायलॉग है किसी के माथे पर थोड़ी लिखा होता है की है क्रिमिनल है,, देश का सबसे बड़ा कोर्ट भारत का सुप्रीम कोर्ट है,, और सुप्रीम कोर्ट से ही ऊपर कोई कोर्ट है कोई है तो वह जनता की अदालत,, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट के कई फैसले को भी सरकार ने पलटा है जैसे आज भाजपा ने पलटी है पहले इतिहास में कांग्रेस भी पलट चुकी है,, साउथ फिल्म का भी एक डायलॉग है की खांखी पहनकर नेतागिरी मत कर,, खांकी उतार फिर आजा मैदान में,,, राजनीति में खांखी खादी और कालाकोट,,, यानी व्यवस्थापिका कार्यपालिका और न्यायपालिका,, लोकतंत्र के लिए न्यायपालिका को राजनीति से दूर रहना चाहिए पर ऐसा होता कहां है,, यह काम कांग्रेस ने भी किया बीजेपी कर रही है,, तो इसमें दोषी कौन है नैतिकता कहां है,, जैसे की राम मंदिर पर सुप्रीम कोर्ट के मुख्य चीफ जस्टिस ने फैसला किया फिर भाजपा ने उनको राज्यसभा सांसद बना दिया है तो उनके फैसले पर भी सवाल उठता है राम मंदिर का फैसला किया इसलिए कोई ईनाम मिला,, बंगाल कोलकाता के चीफ जस्टिस हाई कोर्ट के उनको बीजेपी ने चुनाव अपने पार्टी से टिकट दे दिया तो उनके अब तक के फैसले पर ही सवाल उठता है जब उनको नेतागिरी ही करना था तो कालाकोट क्यों पहने,,,, कई लोग आईपीएस आईएएस रह करके vrsलेकर के राजनीति में आ रहे हैं तो सवाल उठता है यह लोग क्या अपना कर्तव्य राजनीति से प्रेरित होकर कि नहीं किए होंगे,, बिल्कुल किए होंगे,, कांग्रेस वाले भले ही,बोल रही है संविधान लोकतंत्र खतरे में है विपक्ष भी बोल रहा है तो लोकतंत्र को पहले खतरा में कौन डाला,? जब अपने ऊपर बीत रहा है तो सवाल उठ रहा है, इसका शुरुआत भी कांग्रेस ने किया,, लेकिन 2024 के लोकसभा चुनाव में इंडिया गठबंधन यह जनता को का क्यों नहीं बोल रही है कि कालाकोट वालों को राज्यसभा सांसद नहीं बनाएंगे, या खांखी वालों को राजनीति में, नहीं लेंगे,, मतलब जो बीजेपी कर रही है यह लोग भी यही करेंगे,, लोकतंत्र बिल्कुल पैसा तंत्र बन चुका है या नहीं जिसके पास है कैश वही चलाएगा देश,, जिसकी लाठी उसकी भैंस,,। केजरीवाल की गिरफ्तारी पर,, सवाल उठ रहा है,, उनको जमानत के लिए सुप्रीम कोर्ट गए लेकिन जज को देखकर के अपना एप्लीकेशन वापस लिए क्योंकि सुप्रीम कोर्ट के जो, उसे मामले को जो देखते हैं कई मामले पर हेमंत सोरेन को भी अमानत नहीं दिए बीजेपी के हिसाब से वह लोग जज लोग काम कर रहे हैं यानी केंद्र सरकार के हिसाब से इसलिए वहां से वापस ले लिए,, मतलब किस प्रकार न्यायपालिका शासन के नियंत्रण में हो चुकी है, जज जज नहीं बल्कि सरकार के हिसाब से फैसला करने लग गए,, सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस ने भी केजरीवाल का केस अपने पास नहीं लिया बल्कि वापस दूसरे बैंच में भेज दिए,, मतलब जो भी फैसला करना है जनता को करना है सुप्रीम कोर्ट की चीफ जस्टिस को मालूम है क्योंकि सुप्रीम कोर्ट के कई फैसले को भी सरकार पलट चुकी है इसके लिए संसद में पूर्ण बहुमत चाहिए, जनता की अदालत की सबसे बड़ी है जनता को ही फैसला करना है क्या करना है।