पॉलिटिकल विश्लेषण श्री गुरु ग्लोबल न्यूज:-राजनीति के परफेक्शन का खेल होता है,, मनोवैज्ञानिक रूप से चेहरा में साफ-साफ दिखाई देता है,, जो साइकोलॉजिकल स्पेशलिस्ट होते हैं वे,और चेहरा के हाव-भाव से कई चीजे अध्ययन कर लेते हैं,, या उनसे कुछ बात करने पर समझ में आ जाता है,, ठीक ऐसा ही छत्तीसगढ़ के महासमुंद लोकसभा सीट के सिटिंग सांसद चुन्नीलाल साहू का महासमुंद से उनका टिकट कट करके नया उम्मीदवार को टिकट दिया गया,, चुन्नीलाल साहू पिछड़ा वर्ग से हैं और यहां महासमुंद में उनके समाज की संख्या भी काफी है। चुन्नीलाल साहू लगातार अपने क्षेत्र में दौरा करते रहते थे, यहां तक की महासमुंद जिला में अतिरिक्त नहर बनाने के लिए सिकासेर जलाशय से अतिरिक्त नहर लाइन के लिए पदयात्रा भी किये पूर्व कांग्रेस के बघेल सरकार के लिए उनके कमियां को लगातार उजागर करते रहे फिर भी सांसद चुन्नीलाल साहू का टिकट बीजेपी ने कैसे काट दिया यह तो चुन्नीलाल साहू को भी समझ में नहीं आ रहा होगा। लेकिन भाजपा ने उनका टिकट अंतिम समय में काटा गया,, यह बात इसलिए समझ में आता है जब मध्य प्रदेश राजस्थान और छत्तीसगढ़ का विधानसभा चुनाव शुरू हुआ तब भाजपा ने कई सांसदों को विधानसभा चुनाव लड़वाया जिसमें छत्तीसगढ़ के भी कई सांसद हैं,, अगर चुन्नीलाल साहू का टिकट काटना था तो भाजपा उस समय भी विधानसभा चुनाव लड़़वा सकती थी पर चुन्नीलाल साहू को नहीं लड़वाया गया। मतलब चुन्नीलाल साहू के अपने खुद के कार्य प्रणाली से यकीन था की संसद का चुनाव महासमुंद से फिर लड़ना है इसकी तैयारी भी पहले से कर लिए थे,। सूत्रों की माने तो मिली जानकारी के अनुसार हर पार्टी में अपने-अपने समर्थकों को आगे करने का जुगाड़ चलता ही रहता है ठीक वैसा ही भारतीय जनता पार्टी में भी शुरू हुई है, छत्तीसगढ़ में सबसे बड़े चेहरा ब्यूरोक्रेसी छोड़कर के राजनीति में आए ओपी चौधरी का कद सबसे बड़ा अमित शाह ने उनको कर दिया है, छत्तीसगढ़ का फाइनेंस मिनिस्टर बनते ही यह समझ में आता है, आदिवासी चेहरा के लिए भले ही यहां के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय है लेकिन ओ,पी,चौधरी राजनीति और संगठन को देखें तो बीजेपी में आप चौधरी का सबसे बड़ा कद फिलहाल है, छत्तीसगढ़ में,, जैसे बृजमोहन अग्रवाल को यहां की राजनीति से दूर करने के लिए एक पुराने सबसे पुराने सीनियर नेता बृजमोहन अग्रवाल को रायपुर से लोकसभा सीट का टिकट दिया गया,, बीजेपी की रणनीति भी समझ से बाहर है जब उनको विधानसभा से दिल्ली भेजना था तो उनको विधानसभा नहीं लड़वाना था,, बीजेपी की रणनीति भी समझ से बाहर है। छत्तीसगढ़ के जो ब्रिज मोहन छत्तीसगढ़ के जो बृजमोहन अग्रवाल है वह नरेंद्र मोदी और अमित शाह से भी काफी सीनियर है,, बृजमोहन अग्रवाल उस समय से विधायक है जब अमित शाह और नरेंद्र मोदी को कोई जानता भी नहीं था,, जो कभी चुनाव नहीं हारे, छत्तीसगढ़ के एक सबसे वरिष्ठ नेता में से एक है यानी उनका छत्तीसगढ़ के राजनीति से दूर करने का बीजेपी के नेताओं का एक योजना भी हो सकता है। लोकसभा चुनाव 2024 में क्या परिणाम आता है यह देखने लायक होगी, अब तक तीन दशक देखें तो भाजपा का अच्छा संतोष जनक, लोकसभा चुनाव में छत्तीसगढ़ में परिणाम मिला है। 2019 में नौ,लोकसभा सीट,बीजेपी जीती थी,, 2024 में अब देखते हैं क्या होता है,? लेकिन ब्यूरोक्रेसी से राजनीति में आने वाले लोगों को अगर राजनीतिक पार्टी ज्यादा वेल्यू देता है इस संगठन का लेवल कमजोर होता है हर को यही उनके संगठन के नीचे के कार्यकर्ता सोचेंगे जब ब्यूरोक्रेसी से आए हुए नेताओं को इतना पार्टी वैल्यू दे रही है या देती है या देते रहेगी तो जमीन में कौन काम करेगा हर कोई कोई मनोवैज्ञानिक मानसिक बल टूट जाता है जब संगठन जमीन पर कौन काम करेगा जमीन पर काम कर रहे हैं वालों का पार्टी वैल्यू नहीं देती, बीजेपी के संगठन के लिए भी यह सबसे बड़ा सोचने का विषय है,। ठीक वैसे ही एक बार पार्लियामेंट में लालु यादव ने बीजेपी के सबसे बड़ा केंद्रीय लेवल का नेता जसवंत सिंन्हा को सांसद में कहा था, जो ब्यूरोक्रेसी से राजनीति में आए थे,, लालु यादव ने कहा हम राजनीति में संघर्ष करके आए हैं जब जेपी आंदोलन हो रहा था तब आप कहां थे, आप तो उसे समय बहुत बड़े अफसर थे,, और हम पब्लिक के बीच संघर्ष करके आए हैं लाखों पब्लिक के सपोर्ट में आए हैं,, और आप ब्यूरोक्रेसी से बीजेपी राजनीतिक पार्टी के बैनर तले चुनाव जीत कर आए हैं,। जो पार्टी आंदोलन से उत्पन्न होती है जैसे आजादी के आंदोलन से कांग्रेस, आंदोलन से कई राजनीतिक पार्टियों उत्पत्ति हुई है भारत में कई ऐसे राजनीतिक पार्टी अभी भी है,। लेकिन राजनीतिक पार्टी ब्यूरोक्रेसी से आए हुए लोगों को ज्यादा वैल्यू देगी तो वह पार्टी का संगठन बिल्कुल कमजोर हो जाता है। और यही भाजपा के साथ भी हो सकता है।