जो अपने बाप दादा का नहीं हुए हैं वह बीजेपी के कैसे हो गए?

गोल्डन यादव राजनीति विश्लेषक:-विरासत की राजनीति में आए हुए दो पार्टी के नेता जो फिलहाल एनडीए गठबंधन में 2024 के चुनाव लड़ेंगे, एक है जयंत चौधरी दूसरे हैं चिराग पासवान पहले चिराग पासवान की बात करते हैं,, जिसको परिवारवादी भी कह सकते हैं,, राजनीति जिसे परिवारवादी,भी कह सकते हैं यहां कुछ भी समझौता हो सकता है,, या अपने स्वार्थ के लिए जनता के जनाधार के साथ भी समझौता कर सकते हैं। सबसे पहले बात करेंगे लोग जनशक्ति पार्टी के संस्थापक भारत के पूर्व खाद्य मंत्री, रामविलास पासवान के बेटे चिराग पासवान की जो फिल्मी दुनिया से राजनीति में आये,है,,। रामविलास पासवान के निधन के बाद, उनकी पार्टी को तोड़ा गया, चिराग पासवान अलग-अलग हो गए, केंद्रीय मंत्री थे उसका दिल्ली में मिला हुआ बंगला खाली कराया गया,, फिर भी बीजेपी का साथ चिराग पासवान नहीं छोड़ा अंतिम दम तक सीट शेयरिंग में लगे रहे और उसे बिहार में शेड्यूल कास्ट आरक्षित सीट उन्हें 5 सीट चुनाव लड़ने के लिए nda गठबंधन में मिल गया,। वही उधर रामविलास पासवान के भाई पशुपतिनाथ,, उसको एनडीए गठबंधन से बाहर कर दिया गया, मतलब राजनीति में जब तक उनका वोट वैल्यू है तब तक इस्तेमाल करो वोट के लिए खत्म होते ही उसको बाहर कर दो, दूसरा उत्तर प्रदेश के जंयत चौधरी जो 2019 में चुनाव हार करके टूट गए थे, फिर 2022 के उत्तर प्रदेश चुनाव में अखिलेश यादव ने उनको गठबंधन में करके राजनीति में 22 विधायक जीताए है,, फिर राज्यसभा सांसद बनाएं,, वही जयंत,चौधरी अखिलेश यादव को धोखा देते हुए,, 2024 के राज्यसभा चुनाव में अखिलेश यादव को हराने का काम किया,, जी अखिलेश यादव की वजह से विधायक जीतने के बाद भारतीय जनता पार्टी से सौदा करने का काबिल बनाया उसी के साथ जयंत चौधरी ने धोखा दिया,, मतलब राजनीति गंदी है, यानी जो सीढ़ी बनाता है उसी के साथ धोखा देता है,। जो उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी के साथ मात्र दो सीटों पर समझौता करके एनडीए गठबंधन में है,। बात करते हैं उनकी राजनीति विरासत की किसानों को नेता रहे,, जो किसानों की राजनीति करते रहे भारत के पूर्व प्रधानमंत्री भी रहे, चौधरी चरण सिंह के बेटे के बेटे हैं,। मतलब चौधरी चरण सिंह के विरासत की राजनीति में आए हुए उसका इतना कद छोटा हो गया कि भारतीय जनता पार्टी मात्र दो लोकसभा सीट, पर समझौता कर सकता है , यानी जो दल ने उसको आगे बढ़ाया उसका नहीं हो सकता तो क्या भारतीय जनता पार्टी का ऐसे दल हो सकते हैं,। क्या जनता को ऐसी पार्टियों को स्वीकार करना चाहिए जो गिरगिट की तरह रंग बदलते हैं जो राजनीतिक पार्टियों के साथ कुछ भी विचारधारा का समझौता कर सकते हैं। दूसरी तरफ चिराग पासवान जो जाति का राजनीति करते हैं जिनका कोर वोट शेड्यूल कास्ट है,। भारतीय जनता पार्टी तो आरक्षण खत्म करना चाहती है संविधान खत्म करना चाहती है तो क्या शेड्यूल कास्ट के वोटर, चिराग पासवान को सपोर्ट करेंगे,। क्या किसान जयंत चौधरी को सपोर्ट करेंगे।

राजनीति में कोइ ऐसे नेता एवं दल होते हैं जो बिना सत्ता के नहीं रह सकते, फिलहाल बीजेपी का दिल्ली में सत्ता है, उनको लग रहा उनको लग रहा है भाजपा फिर से सत्ता में आ सकती है, इसलिए भाजपा के साथ है, लेकिन ऐसे नेताओं का कोई भरोसा नहीं अगर दिल्ली के भाजपा सत्ता में नहीं आए तो यह लोग राजनीति का विकल्प खुला रहेगा, क्योंकि अपने पार्टी के चुनाव चिन्ह पर लड़ेंगे दल बदल कानून तो लागू होगा नहीं जिसको मन,करेंगे उसको सपोर्ट करेंगे। वैसे ही नेता में जिसको हमने चिन्हित किया है नीतीश कुमार, उत्तर प्रदेश से ओमप्रकाश राजभर,, एकनाथ शिंदे महाराष्ट्र से, चंद्रबाबू नायडू आंध्र प्रदेश से,, जयंत चौधरी और चिराग पासवान को भी इसमें ले लेते हैं जो कुछ भी समझौता करके nda में है,.!

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