श्री गुरु ग्लोबल न्यूज न्यू दिल्ली:-16 मार्च2024 को देश में आम चुनाव लोकसभा चुनाव की आचार संहिता लग गई, सात चरण में चुनाव होंगे 4 जून को मतगणना होगी,, साथ में चार राज्यों की विधानसभा चुनाव जिसमें उड़ीसा और आंध्र प्रदेश, बड़े राज्य,शामिल है,,, देश में पहली बार 1952 में चुनाव हुआ,, उस समय चुनाव आयोग को चुनाव करवाने में 4 महीना का समय लगा,, तो देश आजादी के इतने दिनों के बाद इतनी बड़ी क्षमता होने के बाद चुनाव करवाने में 46 दिन समय लग रहा है,, तो इसमें देश में क्या विकास हुआ,,। उस समय संसाधन नहीं थे आने-जाने का व्यवस्था नहीं था बैलट पेपर से चुनाव होता था,, आज संसाधन है रेलवे है पुलिस है आर्मी है,सीआरपीएफ के जवान है, हेलीकॉप्टर है आवागमन के कई सार्थक साधन है, तकनीकी है मोबाइल है कैमरा है सेटेलाइट है, तो यही सवाल उठता है हमने आजादी के 75 साल में क्या विकास किया है,, फिर भी चुनाव आयोग को चुनाव करवाने में बहुत समय लग रहा है,,,। पहले के चुनाव में देखें तो चरण की संख्या चुनाव चरण की संख्या कम थी,, 4 से 5 चरण में हो जाते थे,,। चुनाव आयोग लगातार दिन में बढ़ोतरी कर रही है,। चलो मान लेते हैं जम्मू और कश्मीर में धारा,370 हटाने के बाद पहली बार चुनाव हो, चुनाव आयोग को चुनाव करवाने में कठिनाइयां हो सकती है,, इसी शंका से सात चरण में चुनाव करवा रही है,, लेकिन मध्य भारत के उत्तर भारत के कुछ इलाके एरिया ऐसे हैं कुछ राज्य ऐसे हैं जो 2 से 3 चरण में चुनाव हो सकते थे, जैसे महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश यहां चार चरण में करवा रहे हैं जो शांत एरिया है जहां हिंसा की संभावना नहीं रहती ही थी पहले भी,, बंगाल उत्तर प्रदेश और बिहार को आप जम्मू कश्मीर से तुलना करते हुए सात चरण में चुनाव करवाना,, बिहार बंगाल उत्तर प्रदेश में चार चरण में चुनाव हो सकते थे,, चुनाव आयोग किस जरिए से इतना लंबा चुनाव इस क्षेत्र में करवा रही है यह सवाल उठता है। चुनाव शांतिपूर्ण हो,, इस तरीके से चुनाव करवाने से आत्मविश्वास,, चुनाव आयोग की क्षमता पर सवाल उठता है,, भारत देश की क्षमता पर सवाल उठता है क्या आप इतना लंबा इस क्षेत्र में चुनाव करवा रहे हैं। जिस क्षेत्र में नक्सल प्रभावित क्षेत्र है उसे क्षेत्र में समझ में आता है,, वहां चुनाव लंबा ले जाना,, लेकिन उत्तर प्रदेश में कहां नक्सल प्रभावित क्षेत्र है,, आप मैदानी क्षेत्र में सात चरण में चुनाव करवा रहे हैं कश्मीर की तरह,, भारत देश की कार्य क्षमता और भारत के जवानों पर कार्य क्षमता को चुनाव आयोग को क्यों डर है,, मैदानी क्षेत्रों में इतना लंबा चुनाव कराना शांतिपूर्ण क्षेत्र में इतना लंबा चुनाव करना,, चुनाव आयोग एवं देश के वीर जवानों की कार्य क्षमता पर अपनी कार्य क्षमता पर सवाल जरूर उठना है क्या इस देश में आप चुनाव समय अनुसार जल्दी भी कर सकते थे,,। देश में इतना बड़ा ब्यूरोक्रेसी है आईएएस आईपीएस है,, देश में बहुत बड़ा संसाधन है,, लोकतंत्र में यह चुनाव समय के हिसाब से 30 से 35 दिनों में बिल्कुल संभव हो सकती थी,,। आने वाला समय में चुनाव समय अवधि बिल्कुल घटना चाहिए।