कांग्रेस ने अंग्रेजों से आजादी दिलाया लेकिन अंग्रेजी कानून देश को अभी भी गुलाम रखी है।, लेकिन भाजपा ने भी कुछ नहीं किया ।

श्री गुरु ग्लोबल न्यूज न्यू दिल्ली: भारत के किसी भी पुलिस स्टेशन में जाएंगे तो वहां हजारों गाड़ियां सड़ती हुई आपको दिख जाएंगी। यह गाड़ियां पूरी तरह से सड़ जाती हैं। एक अनुमान के मुताबिक भारत को हर साल इससे लगभग 20,000 करोड़ रुपए का नुकसान हो जाता है। ब्रिटिश पार्लियामेंट में 1872 में ब्रिटिश एविडेंस एक्ट 1872 पारित किया था। इसके अनुसार अपराधी के पास बरामद सारी चीजें एविडेंस के तौर पर पेश की जाएंगी। उन्हें सुरक्षित रखा जाएगा और अदालत में पेश किया जाएगा।1872 में साइकिल का भी आविष्कार नहीं हुआ था। फिर जब यही कानून ब्रिटिश सरकार ने भारत पर लागू कर दिया तो यह भारतीय एविडेंस एक्ट 1872 बन गया।यानी कि कोई अपराधी यदि पकड़ा जाता है तो वो जिस गाड़ी में होगा उस गाड़ी को भी एविडेंस बना लिया जाता है। किसी गाड़ी में अपराध हुआ है तो उसे भी एविडेंस एक्ट के तहत जप्त कर लिया जाता है। या फिर दो गाड़ियों का एक्सीडेंट हुआ है तब दोनों गाड़ियों को एविडेंस एक्ट में जप्त कर लिया जाता है। मुझे आश्चर्य होता है कि सरकारी वाहनों को इनसे मुक्त क्यों रखा गया है ? अगर ट्रेन में अपराध होता है तो मैंने आज तक नहीं देखा कि पुलिस पूरी ट्रेन को जप्त कर के थाने में खड़ी की हो या किसी सरकारी बस में कोई अपराध हुआ हो या सरकारी बस या विमान में कोई मुजरिम पकड़ा गया हो तो पुलिस ने एविडेंस एक्ट के तहत सरकारी बस या विमान को उठाकर थाने में रखा हो ? जितने भी वाहन पकड़े जाते हैं, यह जब तक केस का फाइनल फैसला नहीं आ जाता तब तक थाने में पड़े रहते हैं। गर्मी बारिश सब झेलते हैं।और आपको तो पता ही है कि भारत में 50 से 60 साल मुकदमे की सुनवाई में लग जाते हैं। तब तक यह वाहन पूरी तरह से सड़ जाते हैं। जब केस का निपटारा होता है तब यह वाहन कबाड़ तो छोड़िए, सड़कर खाद बन चुके होते हैं। Prime minister Modi,, ने एक बार कहा था कि हमने ब्रिटिश जमाने से चले आ रहे बहुत से कानूनों में बदलाव किया है,,, लेकिन अब इंडियन एविडेंस एक्ट 1872 में भी बदलाव करने की जरूरत है। सोचिए कि एक वाहन बनाने में कितने घंटे की मजदूरी कितनी पावर कितना कच्चा माल लगा होगा,, और वह सब कुछ सड़ जाता है किसी के काम नहीं आता।,

नेताओं के पास दूर दृष्टि एवं समझदारी नहीं होती,, इनके पास देश के लिए कोई समय नहीं है, इनके पास दूर दृष्टि बिल्कुल नहीं,, कई कानून में अभी भी अनुच्छेद है, उसमें कई बड़े-बड़े छेद है और उसे छेद को जानबूझकर रखे हैं,, जैसे दल बदल कानून में,, जनता जनाधार को वोट लेकर के एक विधायक अपना पूरे लाखों मतदाता का अपना मत परिवर्तन कर देता है, लेकिन उसकी विधायक निधि का पैसा भत्ता पेंशन, मिलते ही रहता है और उसके ऊपर धोखाधड़ी का मामला नहीं चलता जनता के जनाधार का,, बस उनकी विधानसभा की सदस्यता जाएगी और कुछ नहीं होगा,, लेकिन वह सरकार को बचा लेता, सिस्टम कहां से बदलेगा वोट बदलेंगे तो विधायक खरीद जाएंगे सांसद बिक जायेंगे,।

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