पॉलीटिकल एनालिसिस by golden Kumar yadav:-भारत की सबसे बड़ी पुरानी पार्टी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस को यही सलाह देंगे,, बीजेपी के पीच में खेलोगे तो क्लीन बोल्ड हो जाओगे,,, विधानसभा2023 में हो गए,, ऐसा ही फिर किये तो पार्लियामेंट इलेक्शन 2024,में भी,, निपट जाओगे,,,,, बीजेपी देश की वह पार्टी हो चुकी है जो अपने नेता के दम पर किसी को भी मेंबर आफ असेंबली मेंबर ऑफ, पार्लियामेंट बना सकती है,, जैसे साजा विधानसभा में ईश्वर साहू को बनाया,,, बीजेपी चाहे तो किसी को भी टिकट दे सकती है और चुनाव जितवाने की दम रखती है,, विधानसभा चुनाव में स्पष्ट हुआ बीजेपी में अनुशासन है, कांग्रेस में आपसी खींचतान रस्साकसी, ज्यादा है, कांग्रेस फैसला करने में देरी नहीं,,बहुत देरी करती है,, जब बीजेपी यहां हिंदुत्व के मुद्दे पर चुनाव लड़ रही थी,, छत्तीसगढ़ के दो जगह हिंदुत्व का राजधानी के तौर पर हो गया और पूरे छत्तीसगढ़ को प्रभावित किया, बीजेपी के चाणक्य कहे जाने वाले फायर ब्रांड नेता वर्तमान गृह मंत्री, अमित शाह जब हिंदुत्व के मुद्दे पर लगातार कांग्रेस को घेर रहे थे, करप्शन के मुद्दे पर लगातार हावी हो रहे थे कांग्रेस पार्टी उसे डैमेज नहीं कर पाई डैमेज कंट्रोल नहीं कर पाई,, कांग्रेस पार्टी पॉलिटिकल रूप से फेल साबित हुई,, कांग्रेस अपने एटीट्यूट(घमंड) में हारी है,,, 21 अक्टूबर 2021 को झंडा विवाद के चलते जब कवर्धा में कई दिनों तक धारा 144,, कर्फ्यू लगा था,, फिर वही विवादित मंत्री को वहीं से टिकट दे दिए इसलिए दे दिए की 60000 से अधिक मतों से जीत प्राप्त किया है एंटी इनकंबेंसी कितना होगा कितना नुकसान होगा अधिक से अधिक और वही 40000 से चुनाव में हार गए,,, कांग्रेस चाहती तो उस विधायक का उस मंत्री का वहां से टिकट भी काट सकती थी पर नहीं काटने का परिणाम कांग्रेस को मिला,,, वहीं लापरवाही कांग्रेस ने साजा विधानसभा में किया, तात्कालिक राज्य सरकार के कृषि मंत्री रहे रविंद्र चौबे साजा विधानसभा से चुनाव लड़े,, उनको उस विधानसभा क्षेत्र से गरीब मजदूर आदमी ने चुनाव में हरवा दिया,,,, कांग्रेस ने किसी भी मंत्रियों का टिकट नहीं काटा,, छत्तीसगढ़ में 20 ऐसे सीटे चिन्हित हो चुकी है जो टिकट के वजह से कांग्रेस हारी है, इसीलिए किसी ने ठीक कहा है कांग्रेस टिकट नहीं कटती है जब चुनाव में नांक करती है तब अकल ठिकाने आता है,,, अगर कांग्रेस किसी मंत्री और, जनता की ओर से एंटी इनकंबेंसी कम होती और सहानुभूति वोट कांग्रेस की ओर पूरे प्रदेश भर में जाता,,, जिस क्षेत्र में सनातन के मुद्दे पर बात चल रही थी उतनी हवा नहीं मिलती जितनी उसे क्षेत्र से मंत्रियों का टिकट काट देते,,,, कांग्रेस लेकिन बीजेपी के पिच पर खेली और उसी के हिसाब से चुनाव लड़ी और अपने,, कांग्रेस अपने ही लापरवाही से चुनाव हारी है,, और कांग्रेस अपने जिम्मेदार नेताओं के ऊपर अभी तक आत्म मंथन नहीं कर पाई है,, आखिर हर का जिम्मेदारी कौन लेंगे,, कांग्रेस के हार का एक और कारण है टिकट वितरण,, जब आप जिला अध्यक्ष एवं ब्लॉक अध्यक्ष से उम्मीदवारों का नाम का फॉर्म भरवा रहे थे,, ऐसा ही करना था तो टिकट दिल्ली में क्यों तय हो रहा था,,,, ऐसा इसलिए है कि कांग्रेस के प्रदेश महामंत्री उन्होंने आरोप लगाया है और कई नेताओं ने आरोप लगाया है कि कांग्रेस ने टिकट पैसे में बांटी,,,! कर्नाटक की तरह एआईसीसी यहां सर्वे कर रही थी,,,, यहां उनका सर्वे करने नहीं दिया गया,,, ऐसा है कि कांग्रेस ने कांग्रेस को हराया,,,, बीजेपी चुनाव लड़ रही थी कांग्रेस वाले आपस में लड़ रहे थे,,, इसका जिम्मेदार भी कांग्रेस है,, क्योंकि कांग्रेस ने फॉर्म भरने के लिए अपने नेताओं को फार्म भरवारा,, दीवार लेखन करवाया बैनर पोस्टर लगवाए पूरा प्रचार करवा दिया,, सब अपना अपना गुट तैयार कर लिए थे,,, और जिसको टिकट मिला,, अलग-अलग गुट वाले से किसी भी प्रकार का संपर्क नहीं किया गया अपने एटीट्यूड (घमंड) में चुनाव लड़े,,, 75 पर का नारा देने वाली कांग्रेस पार्टी 35 पार की मुश्किल से,,, मध्य प्रदेश में तो खैर कमलनाथ की वजह से चुनाव हारे,, कांग्रेस पार्टी वहां समाजवादी पार्टी से लड़ रही थी,, राजस्थान में,, अशोक गहलोत और सचिन पायलट की आपसी लड़ाई से निपट गई,, बस तेलंगाना चुनाव जीती है,,,