राजनीति विशेषज्ञ गोल्डन कुमार:-छत्तीसगढ़ में 7 नवंबर एवं 17 नवंबर को दो चरणों में चुनाव है छत्तीसगढ़ के कांग्रेस सरकार के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने फिर से कर्ज माफी का घोषणा किसानों के बीच कर दिये है,,, प्रदेश में लगभग 14 लाख किसान लगभग 6000 करोड़ से अधिक कर्ज लिए हैं,, क्योंकि हिंदू मुस्लिम सिख इसाई धर्म होते हैं, किसानों का कोई जाति धर्म नहीं होता, किसान सभी वर्ग से होते हैं और इसमें वोटो का ध्रुवीकरण बिल्कुल संभव है,, किसान कर्ज माफी की घोषणा बिल्कुल आज की तरह पूरे प्रदेश भर में फैल गया,, अन्य विपक्षीय पार्टी के पास बोलने को कुछ आंकड़े नहीं बच पा रहे हैं और मुख्य विपक्षी पार्टी का घोषणा पत्र बीजेपी का नहीं आया है,,, लेकिन वोटो का ध्रुवीकरण पहले से ही हो गया,, सूत्रों के मिली जानकारी के अनुसार भाजपा भी कर्ज माफी की घोषणा करने की योजना बना रही थी शायद वह कांग्रेस के पास लीक हो गया इसलिए कांग्रेस पार्टी ने पहले से ही यह घोषणा कर दिया ताकि किसी भी प्रकार का मनोवैज्ञानिक दबाव कांग्रेस के ऊपर ना रहे,,, एवं कांग्रेस ने पिछड़ा वर्ग वोटो का ध्रुवीकरण के लिए जातीय जनगणना की बात कर रही है, 17 लाख आवास नई आवास देने की घोषणा किए हैं एवं किसानों को 20 कुंतल प्रति एकड़ धान खरीदने की घोषणा कर चुके हैं,, घोषणा पत्र जारी करने में कांग्रेस पार्टी बीजेपी से आगे चली गई है,, अभी बीजेपी का घोषणा पत्र नहीं आया है,,,, उससे पहले अभिभाजित मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह ने भी कर्ज माफी किए थे और लोकप्रिय बन गए थे,, एवं भाजपा भी उत्तर प्रदेश चुनाव जीतने के लिए 2017 में किसने की कर्ज माफी का घोषणा किया था और बीजेपी की सरकार वहां बन गई,,,, राजनीति में अब किस एक वोटो का ध्रुवीकरण कारण करने का बिल्कुल मापक बन गए हैं,,,, ऐसे मुद्दों में किसान घोषित करने वाली पार्टी के तरफ बिल्कुल उनका रुख चला जाता है,, लेकिन कर्ज माफी का घोषणा हुआ है अभी अल्पकालीन ऋण या दीर्घकालीन ऋण अन्य कई प्रकार के बैंक कर्ज होता है,,, जिला सहकारी बैंक होते हैं एवं राष्ट्रीयकृत बैंक होते हैं एवं प्राइवेट बैंक होते हैं जिसमें किसानों को फसल उत्पादन करने के लिए कर्ज दिया जाता है,, एवं इसमें कितना लिमिट तक कर्ज माफ करना है यह पूरा क्लियर अभी से नहीं किया गया है,,,, लेकिन किसानों के मुद्दे पर वोटो का ध्रुवीकरण बिल्कुल दिखाई दे रहा है,,,, कई सरकारी अब तक की सरकार है कर्मचारियों के लिए ज्यादा काम करती थी,, पहले यह लगता था कर्मचारी ही सरकार बदलते हैं लेकिन अब कर्मचारियों से कहीं ज्यादा किस सरकार बदलने और नहीं बदलने में प्रभावित करते हैं,, कर्मचारियों से कई गुना संख्या में अधिक किसान एवं मजदूर है मजदूरों के लिए भी कई प्रकार के समीकरण है और उनकी लोकतंत्र में संख्या अधिक है और लोकतंत्र में जिनकी संख्या अधिक होती है उन्हीं को सरकार चुनने एवं सरकार बनाने एवं बिगड़ने में योगदान रहता है,,,, कर्मचारियों की तुलना में किसने की हालत बिल्कुल खराब है अब तक के सरकारी ने किसानों के लिए कर्मचारियों की अपेक्षा बहुत काम किया है किसानों का जमीन बिक रहा है,, और उसको कर्मचारियों की आमदनी इतनी बढ़ गई है कि कर्मचारी खरीद रहे हैं,, किसान और कर्मचारियों में समानता नहीं है,, 15 एकड़ का किसान एक चपरासी के वैल्यू के बराबर नहीं है क्योंकि चपरासी का वैल्यू सरकारी रेट में अधिक पैसा मिलता है और 5 एकड़ का किसान का वैल्यू उतना नहीं है और देश में कई भूमिहीन किसान भी है मजदूर वर्ग भी हैं जिनका संख्या अधिक है।

किसानों को हर काम अब ट्रैक्टर यानी डीजल और पेट्रोल,, चाहे सिंचाई के लिए हो चाहे दवाई छिड़काव के लिए हो हर जगह इन चीजों का उपयोग होता है इन चीजों में टैक्स भी काम करके किसानों को फायदा पहुंचाया जा सकता है लेकिन अब तक के कोई भी सरकार ने इन चीजों को टैक्स कम करने का घोषणा नहीं किया, सरकारों को ऐसा योजना बनाना चाहिए दीर्घकालीन योजना जो किसान कर्ज में ना रहे पहले कर्ज बढ़ाते हैं फिर कर्ज माफ करते हैं आखिर कर्ज किस क्यों हो रहे हैं किसान कर्ज में ना रहे इसका पॉलिसी बनाना चाहिए, जो भी योजनाएं हैं सरकारी हैं आने वाले लोकसभा को चुनाव को प्रभावित बिल्कुल कर सकती है यह विधानसभा चुनाव पांच राज्यों का एक प्रकार का सेमीफाइनल है,।