जगदलपुर नहीं राजिम विधानसभा में फंसा है सबसे बड़ा पेंच!

पॉलिटिकल विशेषज्ञ गोल्डन कुमार की रिपोर्ट:-नवरात्र के पहले दिन कांग्रेस की पहली सूची कई चीजों को पहलू को सूची देखने के बाद पता चलता है कि काफी चिंतन और मंथन करने के बाद सूची जारी किया गया,, कांग्रेस ने लगभग हाई प्रोफाइल सीटों को ही पहले चरण के होने वाले मतदान एवं दूसरे चरण के कुछ सीटों पर ही उम्मीदवार का ऐलान किया गया है,, बस्तर संभाग की जगदलपुर सीट अनारक्षित सीट है वहां अभी पेंच फंसा हुआ है,, ठीक उसी प्रकार राजिम विधानसभा की भी सूची जारी कर सकती थी पर यहां भी बहुत बड़ा पेंच फंसा हुआ है,, कई ऐसे नाम है जो सामने आए हैं कई मीडिया चैनल में संभावित तौर पर चल रहा था वही नाम आए हैं, सर्वे रिपोर्ट एवं देख तो कई लोगों का नाम चलता ही है लोकप्रियता के हिसाब से भी, लगभग आठ विधायकों का टिकट कटा है, यही मन कर देखो तो छत्तीसगढ़ में लगभग 30 विधायकों का टिकट काटने की संभावना है,, क्योंकि छत्तीसगढ़ प्रभारी कुमारी शैलजा ने बयान दिया था कुछ दिन पहले प्रत्येक लोकसभा सीट पर दो महिला प्रत्याशी कांग्रेस पार्टी उतरेगी, यहां से कांग्रेस के वरिष्ठ नेता, अमितेश शुक्ल यहां से सिटिंग विधायक है,,, और यहां से विपक्षी पार्टी के द्वारा पिछड़ा वर्ग कैंडिडेट 17 अगस्त से ही जारी कर दिया गया था, पेंच इसलिए फसा है,, सामान्य आरक्षित सीट राज्य विधानसभा है लेकिन यहां पिछड़ा वर्ग आदिवासी दलित की संख्या अधिक है, और फिलहाल जाती है जनगणना के हिसाब से ओबीसी वर्ग के लिए कांग्रेस अधिक काम कर रही है और उनको मौका देने की बात कह रही है उनके हिसाब से राजिम विधानसभा का सीट पर पेच फंसा हुआ है, दूसरा पेज इसलिए फंसा है जैसे वरिष्ठ विधायक सत्यनारायण शर्मा ने चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया और अपने बेटे को सामने ला रहे हैं और मीडिया के हिसाब से उनका सीट कंफर्म दिखा रही है लेकिन कांग्रेस पार्टी ने घोषित नहीं किया है,,, ऐसे विधानसभा सीटों का कांग्रेस पार्टी के लिए पेज इसलिए फसा है क्योंकि विपक्ष पार्टी परिवारवाद का आरोप कांग्रेस पार्टी पर लगाती है,,, राजिम विधानसभा का पेंच इसलिए फंसा है,, 2 साल पहले हुए कांग्रेस पार्टी के उदयपुर चिंतन शिविर में नई पीढ़ी के नेताओं को मौका मिलने का बात कही गई है ऐसे सीटों पर कांग्रेस के हार के लिए आत्म मंथन करने की चिंतन शिविर में कई ऐसे कड़े फैसले कांग्रेस के नियम में लिया गया है और रखा गया है, पेंच इसलिए फंसा है कि राजिम विधानसभा परिवर्तन करने वाली विधानसभा सीटों में से एक है जो कभी बीजेपी और कभी कांग्रेस यहां से सिटिंग विधायक बने हैं,,,, और यहां पर पिछड़ा वर्ग से साहू कैंडिडेट से 2003 _4 के विधानसभा चुनाव में, पंचायत मंत्री रहे अमितेश शुक्ल यहां से चंदूलाल साहू से हार गए थे,,, फिर 2013 में संतोष उपाध्याय से हार गए थे खैर उस समय मोदी लहर चल रही थी भाजपा के पक्ष में माहौल था,,, खैर पीढ़िवाद और परिवार बाद में तो बीजेपी भी कांग्रेस के बराबर है रमन सिंह के बेटे को सांसद बनाया,, राष्ट्रीय स्तर में कई भाजपा के नेता है,,, राजिम विधानसभा का पेंच इसलिए फंसा है क्योंकि स्थानीय विधायक सर्वे रिपोर्ट में फेल दिखाई दे रहे हैं,,, राजिम विधानसभा का पेंच इसलिए फंसा है वर्तमान विधायक विधानसभा में सभी विधायकों से सबसे कम उपस्थिति 5 सालों में उनका रहा है, एवं इस विधानसभा में अधिक 33 दावेदार ने ब्लॉक स्तर पर अपना आवेदन प्रस्तुत किया था,, राजिम विधानसभा का पेंच इसलिए फंसा है क्योंकि स्थानीय स्तर पर स्थानीय क्षेत्रीय पिछड़ा वर्ग महिला एवं पुरुष उम्मीदवारों का मांग चल रही है,,, एवं वर्तमान विधायक सामान्य वर्ग से आते हैं,

भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के लिए पांच राज्यों में होने वाला विधानसभा चुनाव सबसे अहम है और कांग्रेस इसे मजबूती से चुनाव लड़ना चाहती है तभी आने वाला महागठबंधन में उनको इंडिया गठबंधन में अधिक सीट शेयरिंग का मनोवैज्ञानिक दबाव बना सकती है,, अधिक अंतर से जीतना चाहती है और देश में अभी पिछड़ा वर्ग दलित एवं आदिवासी जातीय जनगणना की राजनीति चल रही है,,, पिछड़ा वर्ग के वोट के लिए अधिक से अधिक पिछड़ा वर्ग उम्मीदवार एवं महिला उम्मीदवारों की बातें चल रही है,, जिसकी जितनी जनसंख्या उसकी उतनी भागीदारी की बातें चल रही है तो वैसे में सामान्य वर्ग की जनसंख्या के हिसाब से कितने उम्मीदवार देती है यह देखने लायक होगी और सूची में देखें तो कई सामान्य उम्मीदवार घोषित हो चुके हैं,!

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