लक्ष्मी का नाम तय है बीजेपी को हार का भय है?

पॉलिटिकल रिपोर्ट गोल्डन कुमार:-कोई भी रूलिंग पार्टी होती है तो दावेदारों की संख्या अधिक होती है, यानी जो पार्टी सत्ता में होती है उनमें उम्मीदवारों की संख्या सबसे अधिक होती है, और कार्य के हिसाब से अधिक दावेदार होते हैं, समीकरण के हिसाब से राजिम विधानसभा और छत्तीसगढ़ में बिल्कुल स्पष्ट दिखाई दे रहा है। कोई भी राजनीतिक पार्टी जनता के सर्वे एवं अलग-अलग एजेंसियों के माध्यम से किए गए सर्वे एवं खुद के सर्वे पर भरोसा करती है, किसको उम्मीदवार बनने पर पार्टी का समीकरण फिट बैठ सकती है और पार्टी को जीत मिल सकती है, पार्टी के जो वरिष्ठ नेता है पहले ही बयान दे चुके हैं कोई भी सिटिंग विधायक परफॉर्मेंस के आधार पर ही टिकट तय होंगे, उनके कार्य क्षमता, लोकप्रियता और जनता के बीच छवि को देखा जाता है,, और जनता की डिमांड क्या है,, राजिम विधानसभा में जनता की प्रमुख डिमांड देखें तो लोकल उम्मीदवार की चल रही है,, यानी लोकल क्षेत्र का हो उनके निवास अधिक दूरी पर ना हो जनता के बीच हर समय मौजूद रहे,, वर्तमान विधायक अमितेश शुक्ल इन सब चीजों में फेल दिखाई दे रहे हैं,, एवं विधानसभा कार्यकाल में भी सबसे कम उपस्थिति देखा गया है, हालांकि बहुत बड़े कदावर नेता होने के कारण अमितेश शुक्ल के ऊपर खुलकर पार्टी के छोटे कार्यकर्ता एवं नेताओं का विरोध नहीं देखा जाता, दूसरी पक्ष यह है कि वर्तमान विधायक अमितेश शुक्ल 1998 से हैं,, कांग्रेस पार्टी के उदयपुर शिविर एवं छत्तीसगढ़ के राजधानी रायपुर में हुए राष्ट्रीय अधिवेशन में बनाए गए नियमों के अनुसार पार्टी चिंतन शिविर में कांग्रेस को नया पीढ़ी का नेता तैयार करने के लिए कहा गया है दूसरी पक्ष आया है 1998 के बाद से विधायक अमितेश शुक्ल है दूसरी पीढ़ी का नेता कौन होगा,? यानी ब्लॉक में जो आवेदन दिए गए हैं, वह पार्टी के औपचारिकताएं हैं, फार्म एवं एप्लीकेशन सभी का लिया जा रहा है, पार्टी सोच समझकर टिकट पर निर्णय लेगी, जो दावेदार है उनकी विधानसभा में कितनी पकड़ है उनका छवि कैसा है, जो दावेदार है पूरे विधानसभा में उनकी पकड़ है या नहीं है, जनता के बीच मजबूत चेहरा है या नहीं, विपक्ष के दिए गए समीकरण के हिसाब से फिट बैठ रहा है या नहीं, लोकप्रियता के मामले में कौन ज्यादा मजबूत है,? दूसरी पक्ष यह भी है महिलाओं का अलग समीकरण है यहां से अब तक के आजादी के बाद देखें तो कोई भी राष्ट्रीय पार्टी महिला कैंडिडेट नहीं दिया है, और जो दिया है मजबूत उम्मीदवार नहीं दिया है जो जीत हासिल हो सके,, दूसरा पक्ष यह भी है,, चाहे पंचायत का चुनाव हो या पार्लियामेंट का चुनाव हो आदमी और जनता यही देखती हैं कौन दमदार है?,, तो सवाल उठता है दमदार का अभिप्राय क्या है?? पैसा के मामले में खर्च करने के मामले में दमदार या काबिलियत में दमदार,, यानी पार्टी जो जीते हुए प्रत्याशी होते हैं उन्हें पर अधिक भरोसा करती है,, और प्रत्याशी एवं दावेदार का लोकल छवि कैसा है और पूरे विधानसभा में छवि और पहचान कैसा है?

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