मोदी ही तय करेंगे लाल किला से 15 अगस्त 2024 को झंडा कौन फहरायेगा?

India capital city New Delhi Shri Guru global news, golden Kumar yadav,,,,,, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से पहले देश में पूर्व प्रधानमंत्री रहे हर कोई लाल की लाल किला झंडा फहराया लेकिन सभी प्रधानमंत्रियों का भाषण देखें तो मोदी का भाषण है बिल्कुल पॉलीटिकल, ही रहा है, अब तक जितने भी प्रधानमंत्री रहे लाल किला से भाषण देते हुए फिर से सत्ता में लाने की अपील एवं फिर से चुनाव जीतने की बात नहीं कहे, चाहे पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू लाल बहादुर शास्त्री नरसिंह राव, इंदिरा गांधी, बीपी सिंह चौधरी चरण सिंह यहां तक के एनडीए के प्रधानमंत्री बने हैं अटल बिहारी वाजपेई, इतने प्रधानमंत्री में कोई भी सत्ता के लिए पूरे देशवासियों से सत्ता के लिए गिड़गिड़ाते हुए नहीं देखा गया, जितने भी प्रधानमंत्री रहे जितना भी काम की है पर वोट और पुनः जिताने की बात नहीं कहे,जब काम ही अच्छा किये है तो सपोर्ट जनता का जरूर मिलेगा इसमें मांगने की क्या जरूरत है,?15 अगस्त 2023 लाल किला से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी झंडा फहराये और उनका भाषण पूरी तरीका से पॉलिटिकल दिखाई दे रहा है और दूसरी बात ऐसा साइकोलॉजी ढंग से महसूस हो रहा है कि वह लाल किला से आखरी भाषण दे रहे हैं, प्रधानमंत्री के 2014 से 2023 तक के पूरे भाषण को विश्लेषण करें तो 2023 का भाषण विपक्ष को ऊपर आरोप, एवं अपना उपलब्धि कम और विपक्ष को घेरते हुए दिखाई दे रहे, और जनता से और देशवासियों से फिर से उन को सत्ता में लाने की अपील कर रहे हैं,, देश में लोकतंत्र है जनता को अपना नेता चुनने का हक है, 15 अगस्त 2024 को लाल किला से झंडा कौन फहराएगा प्रदेश देश की जनता को तय करना है, इतना बात होता है मोदी रहे या ना रहे भारत रहेगा भारत देश जीता जागता राष्ट्र पुरुष है यह प्रधानमंत्री पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई भी कह चुके हैं, अब तक जितने भी प्रधानमंत्री रहे 5 साल के बाद जनता के बीच जाना ही पड़ता है अपने कामों की उपलब्धि बताना ही पड़ता है पर माध्यम लाल किला नहीं होना चाहिए विदेश की गरिमा की बात है, वह लाल किला का भाषण पूरे देशवासियों के लिए है, आप अपने पॉलिटिकल कार्यक्रम में कुछ भी बोल सकते हैं लेकिन लाल किला में पूरे देशवासियों के लिए होती है पूरा संदेश पूरी दुनिया में जाता है, अगर वोट परसेंट की तुलना करें तो मोदी के खिलाफ लगभग 60 पर्सेंट वोट विरोध में पड़ा है मात्र 33 परसेंट वोट एनडीए के सपोर्ट में मिला है, उनको केवल वोट समीकरण गणित के हिसाब से जीत मिला है, उनके विरोध में तो वोटो की तुलना करें तो उनसे कहीं ज्यादा अधिक है, आप विपक्ष को सार्वजनिक क्षेत्र पूरे देश के क्षेत्र में आप पॉलिटिकल विरोध करना उचित नहीं है, प्रधानमंत्री पद और गरिमा के बीच तो सवाल उठाने जायज है विपक्ष भी उठा रहे हैं, देश में स्वर्गीय इंदिरा गांधी के बाद से 30 साल बाद कोई मजबूत सरकार बना है, सबसे अधिक सांसद 400 से अधिक सांसद प्रधानमंत्री राजीव गांधी के समय में अधिक थे, लेकिन प्रधानमंत्री का स्वतंत्रता समारोह में भाषण पूरी तरीके से पॉलिटिकल दिया गया उतना ही भाषण दिया करें प्रत्येक भाषण देखें तो 2014 से 2023 तक के डेढ़ घंटा से अधिक समय तक रहा, सबसे लंबा भाषण देने में भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का एक प्रकार का रिकॉर्ड है, रिकॉर्ड बनता है तो रिकॉर्ड है टूटता है क्योंकि क्रिकेट और राजनीति में कुछ कहा नहीं जा सकता कभी भी कुछ भी हो सकता है,

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