श्री गुरु ग्लोबल न्यूज स्वतंत्रता दिवस पर विशेष,, इसलिए इतिहास के पन्ने खोलने पर देश अब यही जान रहा है ,जानना चाहता है,, भारत विभाजन में कौन दोषी है,? राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ एवं बीजेपी के नेताओं के हालिया बयान देखें तो पंडित जवाहरलाल नेहरू जो पहले प्रधानमंत्री बने हैं उनके सर पर ठीकरा फोड़ देते है, एवं कांग्रेस के नेता उनके बचाव में जो अंग्रेज पार्लियामेंट में जो अंग्रेज अधिकारी सत्ता हस्तांतरित करने में अंतिम समय तक रहे उनके ऊपर यह ठीकरा फोड़ती है,,, पहले अंग्रेजों ने भाषा के आधार पर राज्य बनाया, यह तो दुर्भाग्य पहले ही था जो अखंड भारत में तोड़ने की बात होती है भाषा के आधार पर अंग्रेजों ने तो बांटो और राज करो का पॉलिसी अपनाया था यह तो पूरे देश को पता है, भारत की सत्ता अंग्रेज को मालूम हो गया था अब ज्यादा दिन तक भारत में शासन करना मुश्किल है, सत्ता हस्तांतरण करने की बात आई, यह तो इतिहास के पन्ने में लिखा हुआ है, सत्ता में प्रमुख कांग्रेस मुस्लिम लीग जनसंघ, हिंदू महासभा जिसे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ भी कह सकते हैं,, बंगाल में तो मुस्लिम लीग और जनसंघ सत्ता एक साथ चलाएं, आजादी से पहले, आजादी के आंदोलन में तो हिंदू मुस्लिम सिख इसाई सभी धर्म का योगदान है, यह सच्चाई है जितना खून हिंदू का बहा है उतना ही खून मुस्लिम एवं सिख समाज का भी बहा है,, जब अंग्रेज सत्ता छोड़ रहे थे तो मुख्य रूप से जिंन्ना एवं पंडित जवाहरलाल नेहरू एवं सरदार वल्लभभाई पटेल,, प्रमुख थे,, इतिहासकार यह कहते हैं कि महात्मा गांधी पंडित जवाहरलाल नेहरू को प्रधानमंत्री बनना चाहते थे,, और कांग्रेस कई नेता सरदार वल्लभ भाई पटेल को बनाना चाहते थे,,, यह सब आजादी घोषित होने की पहले की बात है, पर जिन्ना इस पर राजी नहीं हो रहे थे,,, धर्म के आधार पर देश का बटवारा हो गया और बटवारा कितना दुर्भाग्य है लाखों पब्लिक का निरम्म हत्या हुआ बटवारा के समय कई घटनाएं घटी जिसका डंस आज भी झेल रहे हैं,,, बटवारा जनता नहीं चाहती थी हिंदू मुस्लिम एक साथ रहे क्योंकि रह चुके थे पाकिस्तान दूसरा देश बनता ही नहीं पर निष्कर्ष यही है नेताओं में आपने अपने सत्ता स्वार्थ के लिए देश का बंटवारा कर दिये,,, अगर देश का बंटवारा नहीं हुआ रहता ना भारत-पाकिस्तान होता ना भारत पाकिस्तान के कई युद्ध से देश को आर्थिक नुकसान हुए हैं न रक्षा बजट में बहुत खर्च उठाना पड़ता है, ना बांग्लादेश देश पैदा होता ना सीमा संबंधी खर्च देश को उठाने पड़ते,,,, ना जम्मू एवं लद्दाख संबंधी विवाद होता है,, अखंड भारत की कल्पना तो सब करते हैं लेकिन यह कब होगा यह आने वाला समय ही बताया क्योंकि समय बलवान होता है,, भारत और पाकिस्तान बलूचिस्तान का विलय भी हो सकता है क्योंकि कुछ कहा नहीं जा सकता, क्योंकि कोई भी चीज असंभव नहीं है,,,,
भारत और पाकिस्तान के बीच जो भी राजनीतिक गतिविधियां पब्लिक का मामला नहीं है वह केवल पॉलिटिकल मामला है, भारत और पाकिस्तान के व्यापारिक संबंध चल रहे हैं, लेकिन इंटरनेशनल में कुछ देश एवं भारत एवं पाकिस्तान के जो कुछ नेता है वह यही चाहते हैं कि मामला बिगड़ा रहे और जैसे राजनीति में होता है बिगड़ने का राजनीतिक फायदा उठाएं, जनता आपस में लड़ते रहे और इसका राजनीतिक रोटी सेकने का काम पॉलिटिकल नेता करते हैं, एक प्रकार का यह मुर्गे की तरह लड़ाई है जिसमें सेना पीसते हैं सेना को नुकसान उठाना पड़ता है, जनधन की हानि होती है, वैसा ही मामला है जैसे मुर्गी दाना खाने के समय लड़ाई करते हैं, और साथ ही रहते हैं,।