नरवा घुरवा बाड़ी, किसानों के FD को क्या किये संगवारी?

आदिम जाति सेवा सहकारी समिति, खड़मा थाना जिला जिला गरियाबंद छत्तीसगढ़, पंजीयन क्रमांक 1183, किसानों के शेयर यानी फिक्स डिपाजिट पैसे को उस समय के कर्मचारी एवं संचालकों के द्वारा निकाल कर के किस तरह से बेबुनियाद चीजों में खर्च किया गया, कहते हैं कि हाथी खरीदने वाला पहले हाथी का चारा का व्यवस्था करता है उसका रखरखाव का व्यवस्था करता है तब हाथी खरीदता है, लेकिन संचालकों एवं समिति के कर्मचारियों को तो पैसा काट रहा था, (जिसे छत्तीसगढ़ी में पइसा चाबत रीहिस भी कह सकते हैं )किसानों का पैसा का उम्र में दर्द कहा क्योंकि खून पसीने की कमाई उनका नहीं था, उसे समय के मुख्य कर्मचारी तोषन जिनके प्रबंधक कार्यकाल में छुरा विकास खंड के अंतर्गत रसेला में आग लगने वाला घटना घटा था वहां के बहुमूल्य दस्तावेज जलकर खाक हो गए सबूत मिट गया, उसके बाद उसका उनका प्रमोशन करके खड़मा में सुपरवाइजर बनाकर भेज दिए, किसने भेजा कौन भेजा या तो खैर जांच का विषय है,? फिर उस समय के कर्मचारी भूपेंद्र,, किसानों द्वारा चुने हुए संचालक सदस्यों ने भी वित्तीय अनियमितता की है हुए हैं जरूर स्पष्ट होता है,, जो भी शिकायत होने पर जिला कलेक्टर एवं पुलिस थाना में क्या जांच हुआ क्या कार्यवाही हुआ यह अभी स्पष्ट मालूम नहीं है,, जिला सहकारी बैंक के कर्मचारी पांडे कई कर्मचारियों का यहां से ट्रांसफर हो गया,, आखिर ट्रांसफर क्यों होता है,, क्या ट्रांसफर कर देने से मामला रफा_ दफा हो जाता है,, या फिर ट्रांसफर का चार्ज लेने वाला जिम्मेदारी ले सकता है, तो इसका जिम्मेदारी कौन लेगा,,? मामला यह है कि समिति के पैसे से खरीदा हुआ गाड़ी को किराए में दे दिए, जिसको किया है मैं दिए वह दूसरे को किराया में दे दिया गाड़ी कबाड़ी की तरह पड़ा हुआ है, गाड़ी का फिटनेस खराब हो गया है, और किराया का पैसा भी नहीं मिला है, गाड़ी का नंबर,CG231426, engine number,TC92FT824365, गाड़ी का चेचिस नंबर, MAT 45740767F11100, व्यक्ति का नाम, शिव कुमार सिन्हा, निवासी ग्राम सेमरा जिसको किराया में दिया गया था कुछ पैसा भी दिया गया है ऐसा समिति के द्वारा किए गए थाना एवं जिला कलेक्टर के पास दिए गए एप्लीकेशन में है, उनसे समिति को गाड़ी का किराया मांगने के लिए निवेदन किया जा रहा है क्या कार्यवाही हुआ क्या किराया दिया गया इसकी जानकारी अभी गुरु ग्लोबल न्यूज़ को नहीं है, अब सवाल उठता है किसानों के पैसे के खरीदे गए गाड़ी का समिति को किराया से मतलब है या गाड़ी भी सही सलामत किराया लेने वाला व्यक्ति देगा, जब आदमी लोगों के पास साइकिल नहीं था तो बहुत आज से 30_40 साल पहले, साइकिल किराए पर मिलता था और साइकिल किराए पर देने वाला स्टोर वाला ₹1 घंटा से पैसा वसूल तथा और सामने वाला तो कहता था पंचर होगा तो तुम को पैसा देना पड़ेगा, क्या समिति ने ऐसा किराए में लेने वाला व्यक्ति से ऐसा लिखित में लिया था, साइकिल साइकिल होता है और गाड़ी गाड़ी होता है इसमें तो समिति और गाड़ी देने वाला गाड़ी लेने वाला ही जान सकते हैं क्या उनसे बात हुई है, बड़ा उलझा हुआ मामला है ऐसे मामले के तो आर्थिक अपराध शाखा जांच कर सकती है पर अभी तक इनके पास किसी भी प्रकार का एप्लीकेशन नहीं हुआ है संबंधित प्रशासन चाहे तो करवा सकते हैं क्योंकि किसानों का मामला है और सामने इलेक्शन है इस तरह के पैसे को बर्बादी आर्थिक अनियमितता दिखाई दे रही है, इनके दोषी पर ठोस कार्यवाही हो यह किसानों को पैसा को किस तरह से उपयोग किए हैं इनकी पूरी बैंक डिटेल और पूरी संपत्ति का डिटेल निकालने की जरूरत है इसको केवल आर्थिक अपराध शाखा ही कर सकती है ऐसे मामले वही अच्छे से देख पाते हैं अब छत्तीसगढ़ शासन जाने क्या करना है और आने वाले समय में चुनाव भी है, किसानों को इन मामलों में काफी गुस्सा दिखाई देता है और खड़मा समिति से दो और समिति अलग होकर बन गए हैं पत्तियां और लोहझर पहले सामूहिक किसानों का एक ही केंद्र था वह खड़मा था,। सब है इनमें सभी इन समिति के अंतर्गत गांव के किसानों का भी हिस्सा बिल्कुल है क्योंकि समिति अलग होने से पहले की घटना है किसानों के फिक्स डिपाजिट पैसे को किस तरह से दुरुपयोग किया गया,।

कई किसान अशिक्षित है समिति और बैंकिंग के बारे में जानकारी नहीं है, कई किसान ना समझ है बिल्कुल बच्चों की तरह जिनको, चाय नाश्ता खिलाकर के किसानों का वोट ले सकते हैं अपने वोट का वैल्यू नहीं समझते, समिति में संचालक सदस्य किसानों का जनप्रतिनिधि होता है उनसे सवाल-जवाब कर सकते हैं पर ऐसा नहीं है, कई किसान ऐसे हैं इन सब चीजों से उनसे कोई मतलब नहीं, कोई दिलचस्पी नहीं जो जानकारी है समझदार है वही समझता है अपना हक के लिए लड़ता है,।

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