पॉलीटिकल रिपोर्टर गोल्डन कुमार:-छत्तीसगढ़ की प्रयागराज कहे जाने वाली राजिम विधानसभा, शुक्ला परिवार की परंपरागत सीट नहीं है यहां से दिवंगत श्यामाचरण शुक्ला अविभाजित मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री तक बने, फिर 1998 चुनाव के समय यह सीट उनके पुत्र अमितेश शुक्ल यहां से विधायक बने, विधायक अमितेश शुक्ला यहां से दो बार चुनाव जीते और दो बार चुनाव, यानी उनके लिए विधानसभा 50_50 कह सकते हैं, प्रदेश में भूपेश सरकार के कामकाज को देखें तो माहौल कांग्रेस सरकार के पक्ष में है और कांग्रेस यहां मजबूत दिखाई दे रही है, उदयपुर चिंतन शिविर एवं रायपुर में हुए राष्ट्रीय अधिवेशन में पार्टी के कई नियम बदल गए हैं नए कानून के हिसाब से यह सीट महिला कोटे में जा सकती है, उसका कारण यह भी है यहां से पार्टी में कोई महिला कैंडिडेट अभी तक नहीं उतारा है, ना कोई महिला यहां से अभी तक विधायक बनी है, राजनीति में महिला ऐसा समीकरण है जिसमें जातिगत समीकरण को भी फेल कर देते हैं क्योंकि महिलाओं की आबादी जितने मतदाता है उसे आधी संख्या में महिला मतदाता होती है और महिला केवल महिला को भी पसंद करते हैं और राजनीतिक पार्टियों से ऐसा समीकरण में बिल्कुल पक्ष का माहौल रहता है और जीत भी मिलने का उम्मीद रहता है, नए राजनीति में महिलाओं की प्राथमिकता बढ़ रही है महिलाएं आगे आ रही हैं पहले कोई महिला दावेदार नहीं होते थे अब कई महिला दावेदार सामने दिखाई दे रहे हैं, कांग्रेस में देखें तो सबसे मजबूत महिला दावेदार में श्रीमती लक्ष्मी अरुण साहू है,, राजनीति में सीनियर एवं क्षेत्र में लोकप्रिय एवं काबिलियत में देखें तो लक्ष्मी साहू का नाम चल रहा है, पहले कांग्रेस में उतने दावेदार दिखाई नहीं पड़ते थे लेकिन 2023 के चुनाव से पहले दावेदार सामने आ रहे हैं दूसरी दावेदार श्रीमती पुष्पा जगन्नाथ साहू है जो फिंगेश्वर जनपद पंचायत के अध्यक्ष हैं, और इधर भारतीय जनता पार्टी में कांग्रेस के प्रत्याशी को देखकर अगर प्रत्याशी चयन करेंगे तो बीजेपी में अन्य कोई महिला दावेदार नहीं दिखाई दे रहे हैं और सबसे काबिलियत में जिला पंचायत गरियाबंद के अध्यक्ष रह चुकी डॉक्टर श्वेता शर्मा का नाम चल रहा है, जो 2013 में विधानसभा चुनाव भी लड़ चुकी हैं, सबसे अधिक सोशल मीडिया में फॉलोवर कहे तो श्वेता शर्मा का ज्यादा है, कई समय पहले से इनका पोस्टर सभी जगह लगते आ रहा है, इनका नाम भी आ सकता है अब पार्टी समीकरण और सर्वे के हिसाब से टिकट तय करेगी, जो दावेदार हैं न्यूज़ एवं सोशल मीडिया के माध्यम से पता चल रहा है, जनता के बीच जिनका नाम रहता है अपने-अपने समर्थकों को नाम आगे जरूर करते हैं,
पंचायत चुनाव में सीटें महिलाओं के लिए रिजर्व होती है लेकिन विधानसभा लोकसभा में ऐसा नहीं है आरक्षण नहीं है लेकिन राजनीतिक पॉलिटिकल पार्टियां संख्या के हिसाब से महिलाओं के लिए सीटें अलग से निकालती है कौन-कौन सी टीमें महिला प्रत्याशी होंगे , ऐसा राजिम विधानसभा में संयोग दिखाई दे रहा है क्योंकि यहां से कोई महिला विधायक नहीं बनी है कभी भी यह सीट महिला के नाम पर छोड़ा नहीं गया है और यहां से कोई महिला विधायक अभी तक नहीं बना है राजनीतिक समीकरण के हिसाब से महिला उम्मीदवार चमत्कार भी कर सकते हैं और महिलाओं को राजनीतिक में प्राथमिकता भी मिल सकती है,