आदिवासी का शोषण कोई कर रहा है,तो वह आदिवासी ही है ?

गुरु ग्लोबल न्यूज़ प्रस्तावना:-राजनीतिक पार्टियों से जुड़ा हुआ व्यक्ति कभी अपने समाज का भला कर ही नहीं सकता वक्त आने पर समाज का वोटों सौदा करेगा फिर अपना स्वार्थ देखेगा फिर कुछ नहीं मिले तो पद त्याग कर देगा और राजनीतिक पार्टियां नए नेता को चुनकर को उनकी जगह दूसरे को विस्थापित कर देंगे,””सरकार ने पॉलिसी बनाया आदिवासी का जमीन आदिवासी ही खरीद सकता है””उनका तर्क यह था कि आदिवासी का जमीन आदिवासी खरीदेंगे तो कम भाव मिलने के कारण नहीं बेचेगें और कई और तर्क है, फिर पॉलिसी में कुछ गड़बड़ी आया तो बीच-बीच में इसको संशोधन करते रहे 2 एकड़ से अधिक भूमि स्वामी अपनी जमीन को दे सकते हैं 2 एकड़ यथावत रहेगी,, बीच में जिला प्रशासन के परमिशन से अन्य जाति में हस्तांतरण हो सकती है ऐसा नियम बनाया गया पर यह नियम इतना कठोर और इतना खराब बनाया गया जिसमें अभी वर्तमान में भारत के राष्ट्रपति है खुद आदिवासी हैं उनकी कई समाचार आप देख सकते हैं,, यानी जो गरीब एवं मजबूर आदिवासी है उनको जमीन का भाव नहीं मिल पा रहा है जितना सरकारी रेट सर्कल रेट है उससे कम भाव में उनका जमीन बिकता है,, तो इस पॉलिसी में स्पष्ट होता है आदिवासी का शोषण आदिवासी कर रहा है मजबूर आदिवासी का जमीन बिक रहा है, आदिवासी का जमीन बाजार भाव से कम मिल रहा है मतलब आदिवासी का कोई शोषण कर रहा है तो वह आदिवासी ही है, और इस पॉलिसी में कई संशोधन आए पर समाज के आदिवासी से उच्च वर्ग के लोग इसका विरोध करके इस पॉलिसी को संशोधन नहीं करने दीए और इसमें कई राजनीतिक पार्टियां भी शामिल है उनका नाम लेना उचित नहीं है,, और यही चीज रिजर्वेशन में भी होता है कमजोर आदिवासी आरक्षण का लाभ नहीं उठा पाते और आदिवासी के उच्च वर्ग के हैं वह निम्न वर्ग आदिवासियों के हक छीन ले रहे हैं जब तक यह पॉलिसी में सुधार नहीं किया गया या मुख्यधारा में आ चुके आदिवासी को इनसे कुछ अलग तक नहीं किया गया तब तक आदिवासियों का विकास हो ही नहीं सकता, और हम खैर आदिवासी नहीं हैं हमारे खून में आदिवासी का खून नहीं दौड़ रहा है लेकिन हमें आदिवासियों की स्थिति परिस्थिति देख कर के हमको पीड़ा होती है,, अपने आसपास एवं देश में आदिवासी समाज की स्थिति बिल्कुल दयनीय है आजादी के 75 साल के बाद ही इनका विकास क्यों नहीं हो पा रहा है यह सबसे बड़ा सवाल है ?और कई इनके और विचार है वह आने वाला समय में बिल्कुल सार्वजनिक करेंगे।

  • जैसे पॉलिटिशन का काम होता है पॉलिसी बनाना और मीडिया यानी पत्रकारों का काम होता है समाज को नई दिशा देना लेकिन आजादी के समय की मीडिया और पंडित जवाहरलाल नेहरू इंदिरा गांधी की जमाने की मीडिया प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जमाने की मीडिया में बहुत फर्क हो गया है आज की मीडिया वही खबर चलाती है जिसमें खुद को स्वार्थ है खुद को फायदा है समाज से कोई मतलब नहीं। सामाजिक खबरों पर दिलचस्पी नहीं ,
  • श्री गुरु ग्लोबल न्यूज़ के खबरों को बड़े से बड़े पॉलिटिशन आईएएस आईपीएस कहते हैं बहुत अच्छा लिखते हो पूरा दिल की बात लिख देते हो पर फॉलो बहुत कम लोग करते हैं और हमारे पास काबिलियत की कमी नहीं है मात्रा पैसा और पावर की बस कमी है।
  • लेकिन मीडिया में आने के बाद पता चला राजनीति पॉलिटिक्स में पहले से ही कीचड़ गंदगी थी और कुछ लोग मीडिया को भी गंदगी करने में लग गए हैं पत्रकारिता को भी बदनाम करने में लग गए हैं कई लोग यही लगता है इसमें बहुत पैसा है, लेकिन जिस दिन सम्मान चला गया उस दिन पैसा तो कोई वैल्यू नहीं,।

guruglobal

Learn More →

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *