टिकट वितरण में ना हो उपेक्षा”नहीं तो हार के बाद ना करना पड़े रेस्ट हाउस में हार की समीक्षा?

राजनीति विशेषज्ञ गोल्डन कुमार:-आज तो खैर रंगीन जमाना आ गया है हमने एक ब्लैक एंड वाइट टीवी जमाने में बॉलीवुड के मशहूर अभिनेता राजकुमार का एक डायलॉग लिखते हैं,”रेस में हम हारे हुए घोड़े पर दांव नहीं लगाते जानी, हम वही घोड़े पर दाव लगाते हैं जिस पर जीतने का उम्मीद हो और वह घोड़ा तेज दौड़े भी और तेज भागे भी, और जीतने का उम्मीद भी हो,””””””यह डायलॉग बिल्कुल राजिम विधानसभा के भारी अंतर से 2018 चुनाव हारे हुए संतोष उपाध्याय पर बिल्कुल फिट बैठती है,””सरकार तभी रिपीट करती है, जब आपके विधायक पूर्ण बहुमत में आए क्योंकि अप्रत्यक्ष प्रणाली में मुख्यमंत्री वही चुनते हैं, विधायक दल का नेता तभी चुन पाएंगे जब आपके विधायकों की संख्या अधिक होगी, भारत के राजनीतिक इतिहास को देखें तो कई राज्य की सरकारें इसलिए पूर्ण बहुमत में नहीं आ पाई क्योंकि उनके विधायकों का anti-incumbency था, पर मुख्यमंत्री पर नहीं था, छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह तो जीत गए लेकिन उनके विधायक सही संख्या में नहीं आ पाए,””छत्तीसगढ़ के प्रभारी ओम माथुर का कुछ महीनों पहले बयान आया था छत्तीसगढ़ में बीजेपी के 40% विधायकों पुराने विधायकों को टिकट काटा जाएगा अधिक से अधिक नए उम्मीदवारों को मौका मिल सकता है, पिछले 2018 के परिणाम देखें तो लगभग 19 सीटें ऐसी रही जिसमें हार जीत का अंतर 5 से 10000 वोटों का रहा है, लेकिन इस बार का माहौल अभी आचार संहिता लगने में कुछ महीने शेष है, कुछ वोटर साइलेंट है कुछ सरकार के बिल्कुल समर्थन भी कर रहे हैं, मनोवैज्ञानिक ढंग से देखें तो कई मतदाता ऐसे भी रहते हैं जो रूलिंग पार्टी है जो सरकार में है उसके खिलाफ बोलने से कतराते हैं, खुलकर नहीं बोल पाते, और यही चीजें राजनीतिक पार्टी एवं लीडर को गुमराह में रख देती है, जो वास्तविकता है वह समझ में नहीं आती और टिकट वितरण में गड़बड़ी भी हो जाती है और इसे नुकसान भी झेलना पड़ता है जैसे दो हजार अट्ठारह में भाजपा को काफी नुकसान झेलना पड़ा उनके विधायकों पर काफी संख्या के विधायकों पर काफी नाराजगी थी उनके कार्यकर्ताओं में नाराजगी थी उसे पार्टी नजरअंदाज करते हुए, यह भी कह सकते हैं पार्टी उसे समझ नहीं पाई और चुनाव में हार का सामना करना पड़ा, लेकिन इसे सीख लेते हुए भाजपा ने 2019 के लोकसभा चुनाव में 11 सांसदों के सीटिंग सांसदों के टिकट काटकर के नए उम्मीदवारों को मौका दिए जिसमें 9 सांसद की सफलता मिली। जिससे भाजपा के कार्यकर्ताओं को मानसिक बल मिला और अब तक पार्टी के लिए काम कर रहे हैं, चुनाव हार जीत अलग महत्व है लेकिन कार्यकर्ताओं और नेताओं में मनोबल एवं आत्मविश्वास बड़ा महत्व रखता है,। हर एक दावेदार को टिकट मिल नहीं सकता जिसको एक को ही मिलना है एवं पार्टी को संभाल करके एवं सभी को संतुष्ट करना भी राजनीतिक पार्टियों के लिए प्रकार की चुनौती होती है, लेकिन पार्टी अनुशासन और नियम से चलती है। अलग-अलग पार्टियों का अनुशासन एवं नियमावली होती है,।

  • 2023 का विधानसभा चुनाव काफी रोमांचक है राजनीतिक पार्टी क्षेत्रीय पार्टी अपना वोट बैंक बचाने के लिए एवं वोट बैंक बढ़ाने के लिए चुनाव लड़ेंगे,
  • कोविड-19 के बाद पहला चुनाव है।
  • 10 साल केंद्र के सत्ता में रहे मोदी सरकार का फैसला एवं 5 साल सरकार में रहे कांग्रेस का फैसला होने वाला है और यही फैसला लोकसभा चुनाव को भी प्रभावित कर सकती है ऐसा चुनाव है,
  • राजस्थान मध्य प्रदेश छत्तीसगढ़ देश के राजनीतिक मुख्य राष्ट्रीय पार्टी जिसमें कांग्रेस और आम आदमी पार्टी का राष्ट्रीय स्तर पर गठबंधन होने का फैसला हुआ है और राज्य में विधानसभा में किस प्रकार के तकरार होते हैं यह देखने लायक होगी,
  • यह चुनाव इतना रोमांचक है किनका वोट परसेंट किसके और जाता है और किस को नुकसान पहुंचता है, तीनों राजनीतिक पार्टियों को अपना वोट परसेंट बचाने के साथ साथ सरकार बनाने के लिए भी संघर्ष करना है।
  • 15 साल सत्ता में रह चुकी भाजपा कुर्सी मुफ्त में नहीं देने वाली ऐसा प्रतीत होता है संघर्ष जरूर करेगी।

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