भाजपा ने 2018 में नहीं किया था किसानों को सम्मान,इसलिए चुनाव में उसका तोड़े थे अभिमान?

युवा किसान गोल्डन कुमार:-छत्तीसगढ़ चुनाव है तो किसान धान एमएसपी मिनिमम सपोर्ट प्राइस की बात बिल्कुल नहीं करेंगें स्वामीनाथन कमीशन की सिफारिश को अगर लागू करें तो धान का भाव अभी ₹4000 प्रति कुंटल से ऊपर होता है जिसको केंद्र में कांग्रेस ने नहीं पूरा कर पाई वर्तमान में भाजपा पूरा कर सकी, देश में किसानों के लिए ऐसा पॉलिसी होना चाहिए कंपनी अपना एमआरपी तय करती है वैसे किसान अपने उत्पादन का एमएसपी खुद तय कर सकते हैं, किसानों को कोचिया के पास अपना खून पसीने का कमाई भाव,वही तय करता है, सरकार MSP तय करती है लेकिन कई राज्यों में यह लागू नहीं है, किसानों को लागत कम हो, उत्पादन में रासायनिक दवाइयों में सब्सिडी मिले डीजल में सब्सिडी मिले, रासायनिक उपकरण बिना टैक्स के मिले, बिजली में सब्सिडी मिले, बिजली कंपनियों द्वारा किसानों से अधिभार ना लिया जाए, बिजली के बिलों में ब्याज ना वसूला जाए, किसानों को ईमानदार किसानों को केसीसी में ब्याज में और सब्सिडी मिले, तहसील एवं एसडीएम कार्यालय में किसानों से जुड़ी हुई समस्याओं के लिए निर्धारण अवधि तय हो, निश्चित समय में उनका कार्य हो जाए, देश में स्वामीनाथन कमीशन का सिफारिश लागू नहीं होगा, लेकिन वही कर्मचारियों के लिए छठा सातवां वेतन आयोग पेंशन और भत्ता मेडिकल सब चीजें लागू हुआ, तो किसानों का विकास कहां हुआ किसानों का जमीन कॉर्पोरेट के आगे बिक रहा है, जिनके पास अधिक पैसा है किसानों का जमीन उनके पास जा रहा है, किसानों का शोषण हो रहा है, किसानों के जमीन के सर्कल रेट का फिर से मूल्य निर्धारण हो,

बीजेपी वाले प्रश्न करेंगे विधानसभा में हार गए फिर लोकसभा में कैसे जीत गए? लोकसभा में इसलिए जीत गए क्योंकि राष्ट्रीय लेवल में चुनाव भारत और पाकिस्तान का मुद्दा बन गया था, और कांग्रेस की कमियां के कारण चुनाव जीत गए, किसानों का कर्ज माफ सहकारी बैंकों का हुआ था उसमें कोई लिमिट नहीं था राष्ट्रीय कृत बैंकों का कर्जा माफ करने में बहुत टाइम लग गया, किसान इसमें प्रभावित हो गया और वोट भाजपा में और डाल दिए, और दूसरी बात आप 2017 से ही 2022 की बात कर रहे थे जिसमें पक्के मकान एवं किसानों की आय दोगुनी कई मुद्दे पर, एवं अन्य राज्यों में विपक्ष के वोटों में बंटवारा हुआ, इसलिए फिर से पूर्ण बहुमत की सरकार बन गई,

हमारा नाम गोल्डन है और यही सवाल करेंगे देश के शासन और प्रशासन से, देश के रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया विनियम का दर गोल्ड से होता है, जब प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री थे उस समय एक कुंटल अनाज बेचने में कितना सोना आता था आज एक कुंटल अनाज बेचने में कितना सोना आता है, आप खुद तुलना कीजिए सोना का दाम बढ़ा है और किसानों का अनाज का दाम घटा है, कर्मचारियों की आमदनी बढ़ी है और किसानों की आमदनी घटी है प्राइवेट क्षेत्र में नौकरी करने वालों की आमदनी और शासकीय क्षेत्र में नौकरी करने वाले की आमदनी में जमीन आसमान का फर्क है, मजदूरी दर में बहुत फर्क है देश में समानता इस मामले में नहीं है, एवं वेतन विसंगति भी है, क्या फिर से मूल्य निर्धारण कर पाएंगे,? कोई ₹200 रोजी कमा रहा है वह भी अपना घर चला रहा है और जो 2000 रोजी कमा रहा है वह भी अपना घर चला रहा है लेकिन समाजिक स्थिति बहुत फर्क है,

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