जहां-जहां चुनाव होती है ईडी सीबीआई इनकम टैक्स आईटी इस संवैधानिक संस्थाओं का दुरुपयोग बिल्कुल होता है इसमें दो मत की बात नहीं, पहले भी हो चुकी है कई आरोपी है जब वही नेता बीजेपी में शामिल हो जाते हैं तो ईडी सीबीआई मामला रफा-दफा कर देते हैं, इन सब संवैधानिक संस्थाओं से जनता का विश्वास उठ रहा है बस यह संवैधानिक संस्था राजनीतिक पार्टियों की कठपुतली बन चुकी है ऐसा लगता है, दिल्ली के शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया को भी तो ED गिरफ्तार किया है, अभी तक उनका आरोप सिद्ध नहीं कर पाये, कोई सबूत जुटा नहीं पाए,, उनके पास जो भी संपत्ति अटैच किए थे वह उनके मंत्री बनने के पहले उसके हैं ना उनके बैंक लॉकर में कुछ मिला है, पैसा कहां खर्च किए क्या किए उसका कोई सबूत प्रवर्तन निदेशालय अभी तक कोर्ट में नहीं दे पाई है, इन सब संवैधानिक संस्थाओं का दुरुपयोग ना हो इनका केवल एक ही उपाय है इन संस्थाओं को नियंत्रण गृह मंत्रालय से हटाकर के संविधान में संशोधन करके राष्ट्रपति के हाथों सौंप देना चाहिए तभी निष्पक्षता हो सकती है या सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के नियंत्रण में कर देना चाहिए, इन सब संस्थाओं के दो प्रमुख है प्रधानमंत्री एवं विपक्ष के नेताओं के सुझाव में नियुक्तियां होती है, फिलहाल केंद्र में तो विपक्ष है ही नहीं एक तरफा भारतीय जनता पार्टी का कंट्रोल है राजनीति में, उनके पास भारी बहुमत में सरकार है, माननीय कोर्ट भी उनके दबाव में कई काम कर चुकी हैं यह भी तो उदाहरण मिल चुका है काफी ई डी सीबीआई इन सब संस्थाओं को तो छोड़ दीजिए, यह सब जो हो रहा है उसके लिए दोषी कहे तो सत्ता भोग चुकी राजनीतिक पार्टी ही है, एवं जो वर्तमान में सत्ता भोग रहे हैं उनको भी एहसास नहीं है लोकतंत्र है सत्ता आते-जाते रहती है जब सत्ता पलट जाएगी तो यह हमारे साथ भी हो सकता है, जो इतिहास में शासन कर चुकी है उनको भी कोई दूरदृष्टि इस मामले पर नहीं थी वर्तमान में शासन में है उनको भी दूर दृष्टि नहीं है उनको दिखाई नहीं दे रहा है कि आने वाला समय में विपक्ष नहीं बैठ सकते हैं, इन सब संवैधानिक संस्थाओं को राष्ट्रपति या सुप्रीम कोर्ट के जज के नियंत्रण में कर सकते हैं कोई बड़ी बात नहीं है लोकसभा में प्रस्ताव लाए और राज्यसभा में प्रस्ताव लाकर के यह राष्ट्रपति के सिग्नेचर से बिल्कुल हो सकती है पर कोई करना नहीं चाहेंगे, इन सब संवैधानिक संस्थाओं का डर दिखाकर के कई राजनीतिक उपयोग एवं सत्ता हासिल जो हुआ है राजनीतिक उपयोग जो हुआ है और आगे भी बिल्कुल हो सकता है इसमें कोई बड़ी बात नहीं जब तक यह संस्थाएं संवैधानिक संस्था है संवैधानिक पद में रहने वाले के लिए ही नियंत्रण में हो तभी संभव है क्योंकि राष्ट्रपति को पक्ष और विपक्ष दोनों चुनते हैं सुप्रीम कोर्ट का जज कानून और न्यायपालिका का मुख्य संरक्षक होता है इसमें पक्षपात बिल्कुल संभव नहीं है, लेकिन न्यायपालिका में प्रमुख रहे हो बाद में राज्यसभा सांसद बनाते हैं यह भी एक प्रकार का जनता का भरोसा उठने वाला सवाल है उसके कार्यपालिका पर सवाल बिल्कुल संभव है जब वह न्यायपालिका के पद पर रह कर के किसी राजनीतिक पार्टी में जा रहा है मतलब सवाल उठना लाजिब है,,,

ऐसा नहीं है कि केस सीबीआई अच्छा काम कर सकती है कई ऐसे देश के मामले हैं सीबीआई अभी तक जांच नहीं कर पाई है, सबूत जुटा नहीं पाई है कई बड़े-बड़े हाईप्रोफाइल मामले भी हैं, इसी प्रकार ईडी और इनकम टेक्स आईटी डिपार्टमेंट कई ऐसे मामले हैं जो स्वतह संज्ञान लेकर जांच कर सकती हैं परंतु बिल्कुल केंद्र सरकार के दबाव में काम कर रही है यह पूरे देश को एहसास हो चुका है,।

सबसे पहला कि कांग्रेस सरकार भी है, आपका आर्थिक अपराध शाखा जनता का पैसा हर महीने ले रही है तनख्वाह ले रही है तो क्या काम कर रही है सवाल कांग्रेस पर भी उठना जरूरी है दोषी कांग्रेस भी है राज्य सरकार की है आपका आर्थिक अपराध शाखा क्या कर रही है? कि केस केंद्रीय संस्थाओं के पास जा रहा है अगर आप पहले से मामला दर्ज कर देते हैं तो हम जांच कर रहे हैं केंद्र सरकार को दखल करने से बिल्कुल रोक सकते थे लेकिन पहला दोषी वर्तमान की शासन कर रही कांग्रेस ही है, जब जनता के पास जाना है तो राजनीतिक पार्टियां एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगाती है, लेकिन कार्यप्रणाली देखे तो दोनों का कोई अंतर नहीं है दोनों एक ही है ऐसा लगता है, जिनके ऊपर ऊपर आरोप लगता है उन्हीं को झेलना है गेहूं के साथ में कीड़े भी पीस जाते हैं यही हो रहा है और आगे भी यही होगा लगता है, ग्लोबल न्यूज़ मतलब निष्पक्ष न्यूज़ ऐसा न्यूज़ प्रिंट मीडिया इलेक्ट्रॉनिक मीडिया मैं नहीं आने वाला यह गरीब मीडिया है अपना खुद का पोर्टल न्यूज़ है किसी के दबाव में बिल्कुल काम नहीं कर सकते जो बातें हैं बिल्कुल लिखते हैं। और हम भी यही कहते हैं सत्यमेव जयते,