2014 में आई देश में एनडीए सरकार इसलिए बात कर रहे हैं, इनके ही पॉलिसी में गड़बड़ी है ,इनका पॉलिसी निजी क्षेत्र को फायदा पहुंचाने के लिए बनाया है, जब मरीज को गरीब मरीज को आयुष्मान कार्ड एवं स्मार्ट कार्ड में इलाज करवाना है तो सरकारी में क्यों नहीं होता बल्कि प्राइवेट में भेज देते हैं, एवं कई आरोप ऐसे भी लग चुके हैं प्राइवेट अस्पताल स्मार्ट कार्ड एवं आयुष्मान योजना से इलाज किया अलग से पैसा अतिरिक्त भी देना पड़ा,जनता के पैसे को प्राइवेट अस्पताल में इलाज के लिए देना है यानी प्राइवेट का विकास हो रहा है ,अगर आप चाहते तो वही पैसा आप सरकारी अस्पताल के सुख सुविधा में वृद्धि करके पैसा बचा सकते थे पर ऐसा कहां होगा, लेकिन सरकार में यहां कांग्रेस है और विपक्ष में बीजेपी है और बीजेपी की इतनी हैसियत नहीं है कि ऐसे मुद्दे पर अपना सवाल उठा सके क्योंकि खुद को पता है पॉलिसी में किसका खेल है,? ऐसा कोई राष्ट्रीय पार्टी नहीं करना चाहती क्योंकि राजनीतिक पार्टियों को फंडिंग प्राइवेट क्षेत्र से मिलता है, सोचने की बात यह है कि छत्तीसगढ़ में बड़े-बड़े प्रिंट मीडिया एवं न्यूज़ चैनल है एक छोटे से अखबार यह खबर को कवरेज किया क्या कारण है,?गरियाबंद ट्राइबल क्षेत्र यानी आदिवासी बेल्ट,के जिला अस्पताल के बाद, ऐसा मामला धमतरी में सामने आ रहा है, जिला अस्पताल के मुख्य चिकित्सा अधिकारी का कहना है अगर जांच हुई कोई मरीज शिकायत करता है तो डॉक्टरों के खिलाफ कार्यवाही करेंगे, जिला अस्पताल में आए मरीजों को निजी अस्पताल में भेजने का आरोप है, ऐसा देश के सरकारी अस्पताल केवल खानापूर्ति एवं अधिकारियों के मेडिकल एवं प्रमाण पत्र छुट्टी प्रमाण पत्र के लिए ही बने हैं ऐसा लगता है, इलाज वगैरह होता है या नहीं यह तो जनता के लिए ही सोचने की बात है, क्या ऐसा है नॉर्मल सर्दी खांसी बुखार के लिए ही सरकारी अस्पताल है बाकी बड़े-बड़े प्रॉब्लम निजी क्षेत्र में जाना होगा, देखने को यही मिलता है सरकारी अस्पताल में मरीज कम निजी अस्पताल में ज्यादा मिलते हैं क्या कारण है यह तो गंभीर विषय है,? निजी अस्पताल के कई शिकायतें सामने आती है परंतु वह क्षेत्रीय मीडिया एवं स्थानीय नेताओं के चुप्पी के कारण रुक जाती है, मीडिया में खबर आते ही चर्चा का विषय बन जाता है कई मीडिया इसे कवरेज करती है और कई मीडिया इसे कवरेज नहीं करते,?
