राजनीतिक विशेषज्ञ गोल्डन कुमार:-राजिम विधानसभा जिसे छत्तीसगढ़ का प्रयागराज कहते हैं, राजिम विधानसभा परिवर्तन करने वाली विधानसभा सीट में से एक है। वह समय पता चला जब आपातकाल के बाद, 1977 चुनाव में, स्व.श्यामाचरण शुक्ल अविभाजित मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री,को जनता दल से चुनाव लड़ रहे पवन दीवान के हाथों हार हुई थी, फिर पता चला राजिम विधानसभा की सीट परिवर्तन करने वाला विधानसभा सीट में से एक है। यह कभी भाजपा की जीत हुई है तो यहां कभी कांग्रेस की जीत हुई है, यहां के वर्तमान विधायक अमितेश शुक्ल को 2004-5 के चुनाव में चंदूलाल साहू ने हराया था, फिर 2013 के विधानसभा चुनाव में, संतोष उपाध्याय ने वर्तमान विधायक अमितेश शुक्ला को हराए थे, फिर 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की कर्ज माफी एवं परिवर्तन की लहर चल रही थी, वर्तमान विधायक अमितेश शुक्ला ने संतोष उपाध्याय को भारी 58000 से अधिक वोटों से संतोष उपाध्याय की करारी हार हुई थी, जब विधानसभा हार की समीक्षा हुई होगी हमारे अनुमान के मुताबिक, यहां विधायकों में काफी नाराजगी से यहां के कार्यकर्ता ने उनको सपोर्ट और वोट नहीं किया उन करण बीजेपी को 2018 चुनाव में विधानसभा चुनाव में हार का सामना करना पड़ा, बीजेपी का टिकट वितरण में काफी गड़बड़ी हुई थी ऐसा उनको पता चलते ही फिर 2019 के लोकसभा चुनाव में छत्तीसगढ़ के 11 विधानसभा सीटों पर पूरे नए उम्मीदवार के सामने रख दिए और नए उम्मीदवार से बीजेपी को सफलता मिला, बीजेपी में कब किनको टिकट दे दे किसी छोटे से कार्यकर्ता को टिकट दे दे इसमें कुछ कहा नहीं जा सकता कौन उम्मीदवार होंगे? वोटों के समीकरण के हिसाब से यहां बीजेपी ओबीसी कैंडिडेट ही उधार उतार सकती है, 90 परसेंट ऐसा ही चांस है, नए चेहरे भी हो सकते हैं, उसमें ओबीसी महिला भी हो सकती है, फिलहाल बीजेपी में ओबीसी महिला के कोई मजबूत दावेदार दिखाई नहीं दे रहे हैं, राजिम विधानसभा की दो विकासखंड फिंगेश्वर और छुरा, ज्यादातर दावेदार फिंगेश्वर विकासखंड से दिखाई दे रहे हैं, एवं छुरा विकासखंड से मात्र एक वर्तमान भाजपा के जिला अध्यक्ष राजेश साहू है। काफी समय से भाजपा के सक्रिय कार्यकर्ताओं में से एक है, एवं नए चेहरों की बात करें तो फिंगेश्वर विकासखंड से चंद्रशेखर साहू नए चेहरे हैं, वर्तमान जिला पंचायत सदस्य हैं, युवा चेहरा है, अपने क्षेत्र में लोकप्रिय हैं, और पुराने चेहरे की बात करें तो अशोक साहू ट्रैक्टर मैकेनिक है, क्षेत्रीय किसान एवं भाजपा के पुराने कार्यकर्ता है, उस क्षेत्र के समाज सेवक है, एवं भाजपा के अशोक सिंह राजपूत भी है उनका भी नाम चल रहा है, उसके बाद डॉ रूप सिंह साहू है, जिनको क्षेत्र में गरीबों के मसीहा के नाम से जानते हैं और क्षेत्रीय लोगों के स्वास्थ्य संबंधित समस्याओं को पीड़ित को अस्पतालों में इलाज एवं भर्ती के लिए हमेशा तत्पर रहते हैं, उनके बाद हाल ही में भारतीय जनता पार्टी ज्वाइन कीये ,जनता कांग्रेस से 2018 का विधानसभा चुनाव में 20,000 से अधिक मत प्राप्त किए रोहित साहू का नाम चल रहा है, भारतीय जनता पार्टी से एकमात्र महिला दावेदार डॉ श्वेता शर्मा भी है जो जिला पंचायत की अध्यक्ष रह चुकी है, लेकिन 2013 के विधानसभा चुनाव में भाजपा से बगावत करके विधानसभा चुनाव भी लड़ चुकी है, एवं अच्छी वक्ता है, पर राजिम विधानसभा में सबसे पहले, कौन पार्टी अपना उम्मीदवार घोषित करती है, राजनीति में यही होता है विपक्ष में कौन उम्मीदवार हो सकते हैं उनकी संभावना के हिसाब से कैंडिडेट हो सकते हैं, वोटों के समीकरण और गणित के हिसाब से कैंडिडेट तय होते हैं, अगर यहां वर्तमान से कांग्रेस अगर महिला कैंडिडेट उतारती है तो भाजपा भी महिला कैंडिडेट उतार सकती है, महिला कैंडिडेट की इसलिए संभावना लग रही है क्योंकि राजिम विधानसभा सीट से महिला विधायक अभी तक नहीं बनी है और महिलाओं के वोटों के समीकरण का फायदा उठाना चाहते हैं, छत्तीसगढ़ से राजिम विधानसभा से रूलिंग पार्टी कांग्रेस से पिछड़ा वर्ग से मजबूत महिला दावेदार श्रीमती लक्ष्मी अरुण साहू का नाम सबसे आगे चल रहा है, पिछले दो हजार अट्ठारह की विधानसभा चुनाव देखे तो आचार संहिता अक्टूबर में लगी थी, इस बार भी नवरात्रि के आसपास चुनाव तारीखों का ऐलान हो सकती है और आचार संहिता तारीखों के ऐलान के बाद लग जाती है, सब अपने-अपने दावेदार चुनावी तैयारी की ओर जुट गए हैं।

ग्लोबल न्यूज़ चौकीदार शब्द का इसलिए उपयोग किए हैं उसका खंडन कर देते हैं, 2019 के पार्लियामेंट इलेक्शन के समय ट्रेड चलता था मैं भी चौकीदार भाजपा से अधिक कार्यकर्ता मैं भी चौकीदार का प्रोफाइल यूज करते थे ,BJPके दावेदार में से एक बोधन साहू की तस्वीर है, हमारे छुरा विकासखंड क्षेत्र में दीवाल लेखन में पहली बार इनका नाम देखें फिंगेश्वर क्षेत्र के लोकल है लोकल किसान है परिवार से हैं, उस क्षेत्र के लिए नाम और पहचान सब जानते हैं, पूरे विधानसभा में दीवाल लेखन में इनका नाम दिखाई दे रहा है। फिर सोशल मीडिया और प्रिंट मीडिया के माध्यम से पता चला कि पूर्व में पुलिस इंस्पेक्टर रह चुके हैं, अपना पूरा सर्विस कैरियर 62 वर्ष पूरा किए, फिर रिटायरमेंट के बाद पॉलिटिक्स में आए हैं। देश में कई ऐसे उदाहरण हैं जो ब्यूरोक्रेसी से पॉलिटिक्स में आयें और सफलता पाएं, बोधन साहू पूर्व में थाना इंचार्ज रह चुके हैं तो इनको हर आदमी से मुलाकात हुआ होगा हर आदमी के मनोवैज्ञानिक बात समझ सकते हैं और आदमी की पहचान करने में उनकी क्षमता है, अब पॉलिटिक्स में अपना सर्विस कैरियर का अनुभव भी साझा कर सकते हैं,। जनता के बीच अपनी बातें रख सकते हैं, पार्टी और संगठन के ऊपर निर्भर करता है पार्टी किसे अपना उम्मीदवार बनाएगी। एक चीज तो हम भी देखे हैं भारतीय जनता पार्टी में अनुशासन का बड़ा महत्व है, छत्तीसगढ़ सहित केंद्र के शीर्ष नेता भी 2023 के विधानसभा चुनाव को हमारा चेहरा कमल का फूल के चेहरे पर चुनाव लड़ेगी तय है, पुराने और नए चेहरे पर मिलजुल कर चुनाव लड़ेगी। प्रदेश प्रभारी ने भी बयान दे चुके हैं किसी के सिफारिश पर टिकट नहीं मिलने वाला संगठन और जनता के बीच क्षेत्र के बीच काम करना होगा, कार्यकर्ता एवं जनता के बीच विश्वास जीतना होगा।
