न्यू इंडियन पॉलीटिशियन :_golden kumar यूनिवर्सल सिविल कोर्ट यानी ucc, जो उस कानून अधिनियम का विरोध कर रहे हैं उसे हम यही कहेंगे जो परंपरा की बात कर रहे हैं”आपके पूर्वज धोती कुर्ता लुंगी पहनते थे, और आज क्यों आप जींस टीशर्ट पहनने लग गए हैं समय के हिसाब से अपडेट होना जरूरी है”यूनिवर्सल सिविल कोर्ट समय की जरूरत है, जैसे यह नहीं कि इलेक्शन हार जाएंगे मुस्लिम समाज हमारे वोट बैंक से अलग हो जाएगा,, दूसरा पहलू यही है जो मुस्लिम समाज की पीड़ित महिलाएं एवं मुस्लिम समाज की महिलाएं हैं, अपने मन में कुछ और कहें और वोट, पार्लियामेंट इलेक्शन में मुस्लिम बहुत सीटों में उत्तर प्रदेश और बिहार में देख चुके हैं इसका परिणाम मिल चुका है मुस्लिम महिलाएं बीजेपी की ओर वोट कीये है, जो विरोध कर रहे हैं राजनीतिक पार्टी से हमारी यही राजनीतिक सलाह है जो अपना बात है रख सकते हैं पर विरोध करना उचित नहीं है, यूनिवर्सल सिविल कोर्ट मानसून सत्र में आ रही है और पार्लियामेंट में तो पास हो जाएगी राज्यसभा में बिल्कुल पास हो जाएगी और राष्ट्रपति का सिग्नेचर होते ही लागू भी हो जाएगा, इसे बीजेपी को राजनीतिक फायदा लाभ उठाने ना दें,, अगर आप आदिवासी समाज की परंपरा की बात कर रहे हैं उन्हें बाहर भी कर सकते हैं माननीय सांसद अपनी बातें सांसद में रख सकते हैं,
भारत में कई जाति धर्म निवास करते हैं एवं अलग-अलग परंपरा मारने वाले समुदाय रहते हैं, माननीय सुप्रीम कोर्ट भी कर चुकी है एक यूनिवर्सल सिविल कोर्ट लाइए जो लागू हो सके, क्योंकि तलाक संबंधी कई पेंडिंग केस आज भी पेंडिंग है सुनवाई नहीं हो पा रहा है, सुनवाई को भी पलट देते हैं, राजनीतिक लाभ को देखते हुए, उदाहरण के लिए शाहबानो केस में माननीय सुप्रीम कोर्ट ने फैसला किया था परंतु उस समय की राजीव गांधी सरकार मुस्लिम बहुल सीटों में चुनावी नुकसान को देखते हुए फिर से अध्यादेश लाकर उसे पलट दिया, और वैसा ही कई उदाहरण सामने आ रहे हैं, स्थिति और समय के हिसाब से कई कानून जरूरी होता है, यूनिवर्सल सिविल कोर्ट में संपत्ति तलाक एवं फैमिली से जुड़ी हुई कई अच्छी चीजें हैं उसे अच्छा से समझने की जरूरत है और जो कमियां हैं उसे सुझाव भी दे सकते हैं, केवल इसे मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड एवं मौलवी लोग ही अधिक विरोध कर रहे हैं, लेकिन दूसरा पहलू यह है कि इसमें मुस्लिम महिलाएं पीड़ित है यह भी है इसे सोचना चाहिए, तलाक तलाक करके छोड़ देते हैं और उनके साथ क्या बीता होगा उनके साथ गुजारा भत्ता कैसा होगा यह जरूरी है, लेकिन कुछ अपवाद महिलाएं भी है कानून का दुरुपयोग भी करती हैं यह भी है इसे सोचना समझना जरूरी है कुछ कमियां है उसे जरूर सामने ला सकते हैं।
राजनीति सार्थक होना चाहिए, ऐसा नहीं कि विपक्ष में है तो हर चीज का विरोध करो, हमने तो जम्मू कश्मीर के 35a और 370 का विरोध नहीं किया बल्कि समर्थन किया, उसको केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और लद्दाख बनाया उसका भी समर्थन किए,लेकिन केंद्र सरकार के किसान काला कानून का बिल्कुल विरोध किए, लेकिन केंद्र सरकार के हर निधि का विरोध नहीं किये, जो गलत लगता है उसको जरूर विरोध करना है समाज एवं देश के लिए, अन्य राजनीतिक पार्टियों से बिल्कुल उम्मीद रखते हैं सोच समझ कर फैसला करेंगे ucc का। जिनको अपने वोट बैंक की चिंता है पार्लियामेंट में वर्क आउट कर सकते हैं एवं कुछ नहीं बोल सकते हैं यह हो सकता है लेकिन उसका विरोध करना उचित नहीं, उम्मीद है जरूर पार्लियामेंट में पास हो जाएगा और कानून बन जाएगा। कानून पालनकरना एवं कानून लागू करना यह न्याय पालिका एवं कार्यपालिका की जिम्मेदारी रहेगी।