Golden Kumar ✍????,छत्तीसगढ़ में मानसून आते ही अब विधानसभा चुनाव में चुनावी सरगर्मी तेज हो चुकी है चौक चौराहे एवं दुकान में आसपास बैठे लोग राजनीतिक चर्चा ही करते हैं सरकार के कामकाज एवं उनके कार्य प्रणाली पर, एवं छत्तीसगढ़ में पिछले 15 साल की भाजपा की तुलना में कांग्रेस की सरकार के 5 सालों की कार्यकाल को देखें तो किसानों एवं मजदूर वर्ग में सरकार के तरफ से अच्छा फीडबैक मिलता है, सरकार जैसे भी हो कांग्रेस का ही बनना दिखाई दे रहा है लेकिन वह चुनाव है लोकतांत्रिक प्रक्रिया है यह तो होगा ही और परिणाम जब आएंगे तब पता चलेगा, उसी को देखते हुए छत्तीसगढ़ में भाजपा कांग्रेस से दावेदार सामने आते हैं, राजिम विधानसभा कभी भाजपा की जीत हुई है कभी कांग्रेस की जीत हुई है यानी यह परिवर्तन करने वाला विधानसभा क्षेत्र है, ऐसे में उम्मीदवार चयन करना दोनों पार्टियों के लिए टेढ़ी खीर साबित होती है, छत्तीसगढ़ का प्रयागराज कह जाने वाला राज्य विधानसभा बहुत वीआईपी सीट है यहां से अविभाजित मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री श्यामाचरण शुक्ला यहां से विधायक बनकर मुख्यमंत्री बने हैं और यहां के वर्तमान विधायक अमितेश शुक्ल प्रथम पंचायत मंत्री रह चुके हैं, चुनाव दो हजार अट्ठारह के चुनाव में 58 हजार से अधिक मतों से विजय प्राप्त हुए। उस समय ऐसा कहते हैं कि कांग्रेस की लहर थी और बहुत मतों से अमितेश शुक्ला विजय प्राप्त हुए, विधायक अमितेश शुक्ला की कार्यकर्ताओं के बीच अच्छी पकड़ है, लेकिन टिकट आलाकमान एवं पार्टी के संसदीय बोर्ड एवं चुनावी कार्यसमिति तय करती है। पार्टी अपनी-अपनी एजेंसी के माध्यम से सर्वे कर आती है फीडबैक लेती है एवं गोपनीय तरीके से कार्यकर्ताओं से चर्चा करती है किसको टिकट देना उचित रहेगा कौन जीत दिला सकता है, छत्तीसगढ़ प्रभारी कुमारी शैलजा ने पार्टी के निष्ठावान कार्यकर्ता, जिसमें पार्टी को भरोसा हो, एवं जिसके पक्ष में माहौल हो जिताऊ उम्मीदवार को टिकट मिल सकता है,, एवं कांग्रेस के उदयपुर शिविर में जो चिंतन शिविर में जो आया था 50 साल से ऊपर विधायक सांसद को टिकट कट सकता है। नए कार्यकर्ता को भी मौका मिल सकता है। पार्टी नए नए चेहरों को भी मौका दे सकती है। एवं भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के छत्तीसगढ़ राजधानी रायपुर में हुए राष्ट्रीय महाधिवेशन में भी कई निर्णय लिए गए हैं, इस तरह भाजपा को देखें तो कई ऐसे दावेदार भी हैं जो पूर्व में भी विधानसभा चुनाव लड़ चुके हैं और हार का मुंह देख चुके हैं उसमें से पहला नंबर आता है डॉक्टर श्वेता शर्मा का, दूसरा नाम आता है रोहित साहू का जो वर्तमान में जिला पंचायत सदस्य हैं, श्वेता शर्मा के लिए अच्छी बात यह है कि वह निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में टिकट नहीं मिलने से नाराज के कारण 2013 में चुनाव लड़ी थी और हार का मुंह देखना पड़ा, दूसरी तरफ रोहित साहू है जो पिछले जनता कांग्रेस से चुनाव लड़े थे 2018 में 20,000 से अधिक मत प्राप्त किए थे फिर चुनावी रुझान को देखते हुए भाजपा में शामिल हुए, अब इसके बाद नाम आता है डॉक्टर रूप सिंह साहू का दो हजार अट्ठारह में पार्टी के तरफ से टिकट की मांग किए थे पर किसी कारणवश नहीं मिल पाया, पुराने नेता है तो इनका कार्यकर्ताओं से सीधा संपर्क अच्छा है पार्टी में अच्छी पकड़ है, एवं पिछड़ा वर्ग से भी आते हैं और राजिम विधानसभा से पिछड़ा वर्ग उम्मीदवार ज्यादा चर्चा में रहते हैं। अगर कांग्रेस से देखें तो श्रीमती लक्ष्मी करुण साहू जिला पंचायत सदस्य हैं वर्तमान में एवं वन विभाग कैंपा की सदस्य हैं, जीते हुए प्रत्याशी हैं समय-समय पर हर समय क्षेत्र की दौरा कर रही है कार्यकर्ताओं एवं जनता से सीधे संपर्क में है। एवं महिला भी हैं। राजिम विधानसभा से अब तक कांग्रेस पार्टी कोई महिला कैंडिडेट को टिकट नहीं दिया है उसके लिए प्लस प्वाइंट आ रहा है।

भारतीय जनता पार्टी के सबसे बड़े युवा चेहरा के रूप में वर्तमान जिला पंचायत सदस्य चंद्रशेखर साहू भी दावेदार है,, इनका क्षेत्र के युवाओं के बीच अच्छी पकड़ है इनके कार्यकर्ता काफी संख्या में है, जिला पंचायत सदस्य जनता के सेवा के साथ-साथ पार्टी के हर एक गतिविधि में सक्रिय रहते हैं और इनको काफी आने वाला समय में उम्मीद है। भारतीय जनता पार्टी में अधिकतर उम्मीदवार दावेदार जो दिखाई दे रहे हैं वह केवल फिंगेश्वर क्षेत्र से अधिक है वहां से एक और पूर्व में थाना इंचार्ज रह चुके ( बोधन साहू) रिटायर होने के बाद वह भी दावेदार के रूप में है पर कार्यकर्ताओं के लिए वह नए हैं।

डॉक्टर श्वेता शर्मा भारतीय जनता पार्टी के चेहरा है, उनकी कमियां यही है कि 2013 में पार्टी से बगावत करके चुनाव लड़ चुकी है लेकिन पढ़ी-लखी तेजतर्रार है, दूसरी कमियां है कि सामान्य वर्ग से आती हैं, अगर पिछड़ा वर्ग से भाजपा से अन्य महिला दावेदार दिखाई नहीं दे रहे हैं वैसे मैं इनको भी मौका मिल सकता है अगर कांग्रेस या अन्य दल महिला प्रत्याशी को आगे कर देंगे तो इनका ऑप्शन के लिए महिला उम्मीदवार के लिए डॉक्टर श्वेता शर्मा भी हो सकती है। जैसे ताश की पत्ती में उदाहरण के लिए बड़ा एकका अगर फेंक दिए तो उसको काट के लिए तुरुप का पत्ता जरूरी होता है ऐसे में श्वेता शर्मा का भी प्रयोग हो सकता है। ताकि चुनाव में माहौल मजबूती से रहे,।

राजिम विधानसभा का टिकट चयन ऐसे समय में होगी आचार संहिता लगने के बाद नॉमिनेशन के 2अंतिम दिनों में फैसला हो सकती है क्योंकि कई बड़े बड़े पेच़ सामने आएंगें।

राजिम विधानसभा के, मंझे हुए राजनेता, प्रथम पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री, श्री अमितेश शुक्ला, ब्यूरोक्रेट यानी सरकारी कर्मचारी अधिकारी को नियंत्रण में रखते हैं, जनता को काम करने के लिए हमेशा तत्पर रहते हैं और किसी भी अधिकारी कर्मचारी किसी भी मामले पर शिकायत आने पर उन पर तुरंत कार्यवाही करते हैं, हमेशा अपने भाषण में यही बात कहते हैं सरकारी कर्मचारी यानी जन सेवा, सेवा का कार्य है इस पर किसी भी प्रकार की लापरवाही बर्दाश्त नहीं किया जा सकता,