गरियाबंद जिले के देवभोग में11kvलाइन सुधारने के दौरान अचानक बिजली सप्लाई चालू हो जाने के कारण, ठेके में काम कर रहे की दुखद मृत्यु का खबर आया। न्यूज़ माध्यम से पता चला है जवाबदारी अधिकारी ने कहा है लाइन सप्लाई कैसे चालू हो गया किस तरह से हुआ इसकी जांच कर रहे हैं? क्या जांच करेंगे इसका हम पॉइंट सबको बताते हैं,, ना फोटो में दिखाई दे रहा है फाल्ट सुधारने वाले का हेलमेट है ना दस्ताना है,, सुरक्षा के कोई साधन नहीं है यानी बिना हथियार के उसे लड़ने के लिए भेज दिए। बिजली कंपनियों के लिए दिशानिर्देश होती है जो भी कार्य कर रहे हैं उन्हें सुरक्षा के साधन देना अनिवार्य है इसमें दोषी कौन है? दोषी तो सरकार नहीं है क्योंकि बिजली कंपनी में सरकार का हिस्सा कितना परसेंट है किसी को पता नहीं है, बिजली कंपनी अधिकतर निजी क्षेत्र से है। सरकार बस देखती है कामों को देखती है उसमें हिस्सा बहुत कम है। बिजली कंपनी अधिकतर काम ठेके पर करवाती है चाहे सबस्टेशन ऑपरेटर हो चाहे, मरम्मत के कार्य, एवं बिजली सुधारने का कार्य, इसमें कंपनी का पैसा भी बचता है, चाहे ठेकेदार जाने जो श्रमिक है उसका बीमा करवाया है या नहीं उसको सुरक्षा उपकरण दे रहा है या नहीं इसमें बिजली कंपनी सीधे अपने आपको बचा सकती है तो जवाबदारी कौन है? जो ठेका लिया है वह जवाबदारी है और जो रोजी में काम कर रहा है वह जवाबदार है इसमें बिजली कंपनी की कोई जवाबदारी नहीं? बिजली कंपनी में चाहे सबस्टेशन ऑपरेटर हो चाहे और कन्या अन्य ठेका कर्मचारी कितना शोषण होता है उनको समय पर भुगतान ही नहीं होता सबको मालूम है कई हफ्तों से उनका पैसा कई सालों से रुका रहता है कई महीनों तक रुका भी रहता है भुगतान कैसे होता है कितना देरी होती है,? किसी ने कहा है पसीना सूखने से पहले श्रमिक का भुगतान मिल जाना चाहिए लेकिन यह बिजली कंपनी में बिल्कुल लागू नहीं होता। और इसमें दोषी जानता ही है मूर्ख जनता ही है जो समझती है बिजली कंपनी सरकार का है ऐसा नहीं है, इसमें सरकार का कितना हिस्सा है यह सभी जनता को मालूम नहीं। बिजली कंपनी लिमिटेड होती है लिमिटेड का मतलब भी कई लोगों को मालूम नहीं है,। हमको सब मालूम है पूरा सिस्टम मालूम है हर चीज को सार्वजनिक करना उचित नहीं है जनता अपना विवेक से समझे उसी पर छोड़ देते हैं।
अब इसमें दोषी कौन है, बिजली कंपनी है जो रेगुलर कर्मचारी हैं उन्हें सुविधा मिलती है और नियम भी है इसलिए बिजली विभाग के संविदा कर्मी अपनी रेगुलर की मांग पर हमेशा संघर्ष कर रहे हैं क्योंकि उनको मालूम है उनके अन्य कई साथी का दुखद मृत्यु एवं घायल हो चुके हैं। और ठेका कर्मचारी का आप इसका छोड़ ही दीजिए इसमें कुछ नहीं मिलने वाला,। लेकिन कंपनी अपनी तरफ से कुछ जरूर देगी,। मजबूरी में आदमी, अपनी रोजी रोटी के लिए काम करता है रेगुलर कर्मचारी से बहुत कम में काम करता है, दोषी वही है जो कम दर पर मजदूरी करता है अपनी जान को जोखिम में डालकर काम करता। जो कमाता है बिजली कंपनी को फायदा पहुंचाता है बिजली कंपनी कितना कम आती है और इन काम करने वाले श्रमिक पर कितना खर्च करती है। इस पर देखने वाला कौन है? और इस पर देखने वाला शासन और प्रशासन ही है इस पर किसी भी प्रकार का कार्यवाही और प्रतिक्रिया बिजली कंपनी के खिलाफ करने में सक्षम बिल्कुल नहीं है। बिजली कंपनी फायदा में रहती है और उनके काम करने वाले श्रमिक को समय पर भुगतान नहीं मिल पाता है, इस मामले पर दोषी शासन और प्रशासन है। बिजली कंपनी कितना फायदा पहुंचाती है फायदा में रहती है और उनके काम करने वाले श्रमिकों पर कितना खर्च करती है यह जरूर शासन प्रशासन के लिए देखने की आवश्यकता।
हमारी दृष्टि यही कहती है आने वाला समय में आज बिजली विभाग या कंपनी अपने बहुत से काम ठेके पर करवाती है वैसे अन्य विभाग भी हो सकते हैं एक कर्मचारी रेगुलर रहेगा बाकी ठेके पर रहेंगे, वही देखरेख करेगा। अन्य विभाग पुलिस जनसुरक्षा फॉरेस्ट एवं अन्य कई विभाग एजुकेशन डिपार्टमेंट के साथ-साथ। क्योंकि सरकार को फायदा उसी में है कम भुगतान पर काम हो सकता है और सरकार जवाबदारी के लिए भी नहीं है क्योंकि पब्लिक सुविधा में सरकार को ज्यादा खर्च करना पड़ता है कर्मचारियों पर खर्च करना पड़ता है इसका बचत हो सकता है क्योंकि ठेके में ही कम लागत पर काम हो सकता है। आज का नारा यही है पहले ही दे चुके हैं आत्मनिर्भर भारत यानी आत्मनिर्भर बनो सरकार के भरोसे में मत रहो।?? और हम अपनेguru ग्लोबल न्यूज़ को फॉलो करने वाले, से यही कहते हैं अपने विवेक को जागृत करो सोचो और समझो।.. thiks,,