वाल्मीकि ने रामायण लिखा तुलसीदास ने रामचरितमानस,, पर इनके आज कलयुग में भारतीय जनता पार्टी का सेंसर बोर्ड है ऐसे फिल्मों को पास कर रही है जो बेहद आपत्ति है,, उनके शब्द बेहद आपत्तिजनक है ऐसे लग रहा है बीजेपी का अन्य राजनीतिक जुड़ा हुआ संगठन बजरंग दल उन्हीं का विचारधारा वाला आदिपुरुष उसमें जो बजरंग बली है उन्हीं का है ,बीजेपी के किसी भी नेता ने कोई खंडन और खेत प्रकट नहीं कर रहे हैं,, बजरंगबली का जो डायलॉग है बेहद आपत्तिजनक है उसका टपोरी वाला भाषा वाला डायलॉग पूरे देश भर में इसका विरोध हो रहा है,, जिसमें बोला गया है बजरंगबली रावण को बोल रहा है कपड़ा तेरे बाप ,, तेल भी तेरे बाप का,, जलेगी भी तेरे बाप का,,,, हम नहीं कह रहे हैं तुलसीदास में और वाल्मीकि ने रावण को ब्राह्मण कहा गया है और इसमें जो लिखने वाला बनाने वाला भी ब्राम्हण है,,, तो जलना केवल नुकसान होना केवल ब्राह्मणों का ही है ब्राह्मण जैसे चाहे अपने हिसाब से कुछ भी लिख दे कुछ भी डायलॉग बना दे क्या यह मान्य है क्या सर्वमान्य है।।? भारतीय संस्कृति के साथ एकमत प्रकार का मजाक है ऐसे फिल्मों को तो सेंसर बोर्ड द्वारा प्रसारित ही नहीं करना चाहिए था,, रामायण भारत के हिंदू बहुसंख्यक आबादी का प्रेरणास्रोत है उसमें छेड़छाड़ और मजाक बिल्कुल आपत्तिजनक है।।

आदि पुरुष में जो माता सीता है उसको बेहद अश्लील दिखाया गया है,, ऐसा सीन दिखाया गया है जो आज तक के किसी भी रामायण और सीरियल और अन्य जगह नहीं दिखाया गया है बिल्कुल कलयुग का रामायण लग रहा है जिसको पूरा छेड़छाड़ किया गया है और छेड़छाड़ करने वाला कोई मुसलमान नहीं ब्राह्मण ही है,, और बाकी ब्राह्मणों को इसमें क्या विचारधारा है इसमें कोई बोल नहीं पा रहे हैं। और किसी का मुंह नहीं खुल रहा है।। और खुलेगा भी क्यों क्योंकि यह सोची समझी साजिश जैसा लग रहा है फिल्म को अपने हिसाब कर देश को गुमराह करने के लिए और अपने फायदे के लिए बनाना ऐसा धंधा बन चुका है।।

भारत में धार्मिक मान्यता बहुत चलती है मंत्री है धार्मिक माने जाते हैं जो कभी अभिवादन नहीं करना चाहिए दूर से नहीं, उनका हाथ मिलाते हुए फोटो आ रहा है,, मान के चलो या सब दिखाने के लिए है दिखावा है पाखंड है यह चीज सामने आती है, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री आदि पुरुष में भगवान राम के मूंछ दिखाया गया है पर इस पर किसी भी प्रकार का कोई टिप्पणी नहीं हो रहा है तो मतलब क्या है,, धर्म के नाम पर केवल राजनीति और वोट पाना ही है,, राम मंदिर के लिए क्या है??

हम भी महाबली बजरंगबली को मानते हैं पुजा करते हैं पर हमको आदीपुरुष में उनका डायलॉग और टिप्पणी से हमको बेहद आपत्ति है, हमारे मनोविज्ञान को प्रभावित कर रही है हमारे महाबली हनुमान के ऊपर विश्वास अलग धारणा से दिखाया जा रहा है, ऐसा बजरंगबली हमने आज तक नहीं देखा है जिसको ऐसा दिखाया जा रहा है।