जिनके पास पैसा है उसके पास AC है गर्मी में भी एस आराम की जिंदगी है?

पहले इस प्रकार था घर का डिजाइन होता था मिट्टी के मकान होते थे कितनी भी गर्मी पड़े पंखा कूलर की जरूरत नहीं पड़ती थी, आज कंक्रीट सीमेंट के मकान है बिना पंखा कूलर एयर कंडीशनर के रह नहीं सकते। एयर कंडीशनर एसी सिंगल फेस में काम नहीं करना पड़ता सिंगल फेस में कभी काम करता है इनवर्टर रहता है तब पर खर्च ज्यादा पड़ता है एयर कंडीशनर के लिए थ्री फेस कनेक्शन की जरूरत होती है। एक एयर कंडीशनर लगभग 20000हजार से अधिक रुपए में मिलती है और बिजली का कनेक्शन जोड़ दें तो 30,000 हजार से अधिक पड़ती है फिर हर महीने बिजली बिल। इन सब चीजों की व्यवस्था केवल रहीस आदमी कर सकते हैं ₹200 मनरेगा में रोजी कमाने वाले के बस की बात नहीं है। देश की अस्सी परसेंट संपत्ति केवल 10 परसेंट भारत के लोगों के पास है मतलब जो 10 परसेंट आबादी है उसी का जिंदगी स्वर्ग का है। जनगणना तो फिलहाल आंकड़े आए नहीं है लगभग भारत की आबादी 130 करोड़ जिसका 10 % यानी मात्र 13 करोड़ लोग। बाकी लोगों को ऐसे ही सबकी झेलना है। बाकी लोगों का जिंदगी वैसा ही रहेगा क्योंकि सिस्टम का पॉलिसी इस प्रकार बना है उन्हीं लोगों का विकास होना है। क्योंकि सरकार सब से बराबर टैक्स लेती है किस से ज्यादा टैक्स लेना है किसका पैसा सार्वजनिक क्षेत्र में लगना है यह आज तक हो नहीं पाया है। इसलिए अमीर अमीर हो रहे हैं गरीब गरीब ही रहेंगे।

देश में सुखा रहती है और कहीं बाढ़ से प्रभावित होता है, यह सब चीज ग्लोबल वार्मिंग कहते हैं पेड़ काट रहे हैं गर्मी और बढ़ रही है। प्रकृति अपना स्वरूप दिखा रही है कहीं बादल फट रहे हैं तो कहीं सूखा ही रह जाता है। जैसे 2014 में सब पानी बादल फट कर केदारनाथ में गिर गया बाकी ज्यादा सुखा अकाल पड़ गया। एक तरफ सरकार कहती हैं बिजली बचाए लेकिन बिजली उपयोग एक प्रकार का धंधा बन चुका है या बिजनेस है पैसे से मतलब है। विद्युत उत्पादन करने के लिए कोयला और पानी की आवश्यकता होती है यानी भारत में तापीय ऊर्जा से बिजली उत्पादन होता है मतलब ऑक्सीजन जल रहा है। तब बिजली बन रही है। और एक तरफ उदाहरण दे रहे हैं कि ग्लोबल वार्मिंग से खतरा है। यह एक प्रकार का सिस्टम का नौटंकी है। फिजूलखर्ची ना हो एयर कंडीशनर के लिए बिजली बनाना ही ना पड़े तभी ग्लोबल वार्मिंग से बचत हो सकती है। क्या इन चीजों को और महगा कर दो और इसका पैसा, अच्छे चीजों में लगाएं पर जिससे पैसा वसूलना है उससे नहीं, इन सब चीजों से 10 परसेंट लोगों को कोई प्रभावित नहीं पड़ रही है। प्रभावित बाकि जनसंख्या हो रही है। कई सरकारी संस्थाएं मैं बड़े-बड़े लोगों को मुफ्त में एयर कंडीशनर का लाभ बाकी 80 परसेंट जनसंख्या वालों के पैसे से मिल रहा है और बाकी का जिंदगी बिल्कुल नर्क के समान है। भारत में समानता बनाने के लिए आज तक कोई बेहतर पॉलिसी नहीं आया है।

यानी काला धन देश के 10 परसेंट लोगों के पास है जो देश की अस्सी परसेंट संपत्ति पर काबिज हैं, और यह चीज ₹200 मनरेगा में मजदूरी कमाने वाले गरीब कमजोर आदमी कभी नहीं समझ पाएंगे।

हमारे हिसाब से लाल बहादुर शास्त्री, उसके बाद चौधरी चरण सिंह केवल देश के, देश के बेहतर राजनेता हुए हैं लेकिन जो 10 परसेंट लोग हैं इसके नामोनिशान को ही खत्म कर रहे हैं, दोनों के नाम से कोई योजना चलती है ना कोई मूर्ति बनता है ना इनके नाम से कोई भवन है बनता है उनके नाम को ही मिटा दे रहे हैं,। इन दोनों के विचारधारा को केवल 10 परसेंट लोग ही खत्म कर रहे हैं और यह देश की राजनीति के लिए अच्छी बात नहीं है, इन दोनों राजनेता के विचारधारा को वर्तमान की कोई भी राजनीतिक पार्टी नहीं पकड़ पा रही है। लाल बहादुर शास्त्री तो कांग्रेस के नेता रहे हैं बेहतर नेता रहे हैं लेकिन वर्तमान में कांग्रेस भी इसे भूल गई है जैसे सरदार पटेल को भूल गई थी उसे बीजेपी ने पकड़ लिया उसका मूर्ति बना दिया लेकिन लाल बहादुर शास्त्री को कौन पकड़ेगा। चौधरी चरण सिंह को राष्ट्रीय लोक दल आज भी उनके नाम से राजनीति करती है फिर अच्छी बात है।

पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह किसानों के नेता।

80 परसेंट वालों की जिंदगी और एयर कंडीशनर में 10 परसेंट वालों की जिंदगी में अंतर को देखिए।

भारत आत्मनिर्भर नहीं कंपनियों पर निर्भर है। जैसे अंग्रेजों का ईस्ट इंडिया कंपनी। एक तरफ भारत गुलामी की ओर जा रहा है। यानी जिनके पास 10 परसेंट लोगों के पास अस्सी परसेंट संपत्ति है वही राज करेंगे। बाकी पर शासन करेंगे।

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